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रुष्टयहृह्रङ्ख : एक तरफ डीजीपी ओपी सिंह बच्चों के लिये समर कैंप आयोजित कर पुलिस की छवि को चमकाने की कोशिश में जुटे हैं, वहीं उनके मातहत इन कोशिशों में पलीता लगाने में से बाज नहीं आ रहे। लखनऊ पुलिस की ऐसी ही दो करतूतों का सीएम योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है। जहां गोमतीनगर में चेकिंग के दौरान युवती को लाठी से मारने वाले दो कॉन्सटेबल को सीएम ने सस्पेंड करने के आदेश दिये वहीं, आशियाना में एनबीडब्ल्यू आरोपी को दबोचने गए पुलिसकर्मियों द्वारा महिला से बदसलूकी के मामले की जांच के आदेश दिये हैं। इतना ही नहीं, इस मामले को नजीर मानते हुए सीएम ने पूरे प्रदेश में सिविल मामलों में रात में दबिश देने पर रोक लगा दी है। दिलचस्प बात यह है कि राजधानी में तमाम आला पुलिस अधिकारी बैठते हैं लेकिन, दोनों गंभीर घटनाओं को पुलिस के अफसरों ने कार्रवाई के लिये मुफीद नहीं माना लिहाजा, सीएम योगी को इस पर एक्शन लेना पड़ा।

कॉन्सटेबलों ने फेंककर मारी थी लाठी, सस्पेंड

- पीडि़ता ने सीएम आवास जाकर की थी शिकायत

गोमतीनगर निवासी प्रगति पत्रकारपुरम स्थित रोटरी इंटरनेशनल में जॉब करती हैं। मंगलवार रात वह अपने सहकर्मी ऋचांक तिवारी के साथ बाइक पर सवार होकर एसआरएस सिटी मॉल जा रही थीं। इसी दौरान जनेश्वर मिश्र पार्क के करीब स्टंटबाजों के खिलाफ चेकिंग कर रहे कॉन्सटेबल्स ने ऋचांक को रोकने के लिये उन पर लाठी फेंककर मारी। लेकिन, यह लाठी रिचांक को न लगकर बाइक में पीछे बैठी प्रगति के मुंह पर जा लगी। जिससे उनकी नाक पर गंभीर चोट आ गई और वह लहूलुहान हो गई। हालांकि, बावजूद इसके कॉन्सटेबलों ने अपनी गलती मानने व उन्हें हॉस्पिटल ले जाने के बजाय रिचांक और प्रगति को धमकाना जारी रखा। घटना से अवाक प्रगति ने फोन कर अपने परिजनों को बुला लिया। सूचना मिलने पर कई एनजीओ कर्मी भी वहां पहुंच गए और प्रगति को लेकर सीएम आवास ले जाकर वहां मौजूद अधिकारियों से पूरे मामले की शिकायत की। हालांकि, घटना के बाद सभी अधिकारी चुप्पी साधे बैठे रहे और आरोपी कॉन्सटेबलों के खिलाफ कार्रवाई की जहमत नहीं उठाई। आखिरकार, बुधवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले का संज्ञान लिया और लखनऊ पुलिस की इस हरकत पर गहरी नाराजगी जताई। सीएम ने दोषी कॉन्सटेबल्स को तुरंत सस्पेंड करने का निर्देश दिया। जिसके बाद कॉन्सटेबल अंकित कुमार और कॉन्सटेबल रोबिस कुमार को सस्पेंड कर दिया गया। सीएम के निर्देश पर पूरे मामले की जांच एएसपी चक्रेश कुमार को सौंपी गई है।

दबिश के दौरान महिला से बदसलूकी पर जांच के आदेश

- वारंटी को दबोचने गए पुलिसकर्मियों पर घर में मौजूद महिला व उनकी बेटी से बदसलूकी का आरोप

आशियाना निवासी अरविंद सिंह के खिलाफ कोर्ट ने एनबीडब्लू जारी कर रखा है। रविवार देरररात पुलिस ने अरविंद के घर पर दबिश दी। उस वक्त अरविंद घर पर मौजूद नहीं थे। पुलिसकर्मियों ने उनके गेट पर दस्तक दी। आवाज सुनकर अरविंद की बेटी अमिषा सिंह राणा बाहर निकलीं। उन्होंने गेट के भीतर से ही अरविंद के घर में न होने की जानकारी दी। आरोप है कि इतने भर से पुलिसकर्मी संतुष्ट न हुए और गेट फांदकर जबरन उनके घर में घुस गए। पुलिसकर्मियों ने उन दोनों के संग बदसलूकी की। पुलिस ने उनके संग गुंडों जैसा सुलूक करते हुए भद्दी-भद्दी गालियां भी दीं। इस घटना के फौरन बाद अमिषा ने सीएम योगी और डीजीपी ओपी सिंह को ट्वीट कर पूरी घटना की शिकायत की थी। ट्विटर पर पुलिस ने सफाई दी कि अरिवंद सिंह के खिलाफ एनबीडब्ल्यू वारंट जारी हुआ था। जिसके चलते पुलिस उन्हें अरेस्ट करने उनके घर पहुंची थी। इंस्पेक्टर आशियाना ने भी बदसलूकी के आरोपों से इंकार किया था। हालांकि, अमिषा की शिकायत पर सीएम योगी ने सख्त नाराजगी जताई और पूरे मामले की जांच एएसपी नॉर्थ अनुराग वत्स को सौंपते हुए रिपोर्ट तलब की है। साथ ही सीएम ने प्रदेश पुलिस को सिविल मामलों में रात में दबिश नहीं देने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि पुलिस सामान्य अपराध के आरोपियों व वारंट तामील कराने के लिये रात में कार्रवाई न करे।