- लगातार बढ़ते वाहन और डीजल पेट्रोल की खपत बढ़ा रही प्रदूषण

- पिछले साल बनी थी योजनाएं लेकिन नहीं हुआ अमल

 

ये इलाके ज्यादा पॉल्यूटेड
आईआईटीआर की पिछले वर्ष की पोस्ट मानसून रिपोर्ट के अनुसार रेजीडेंसियल इलाकों में इंदिरा नगर, अलीगंज, चौक जैसे इलाके सबसे अधिक पॉल्यूटेड हैं। जहां पर हवा में घुले प्रदूषकों का स्तर मानकों से कई गुना अधिक मिला है। आईआईटीआर के एक्सप‌र्ट्स ने वाहनों की बढ़ती संख्या को कम करने और यातायात व्यवस्था बेहतर करने की संस्तुति की थी। लेकिन अधिकारी और पब्लिक कोई भी प्रदूषण की समस्या को लेकर संजीदा नहीं दिख रहा।

हेल्थ को खतरा
आईआईटीआर के साइंटिस्ट्स का कहना है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से हार्ट, सांस की बीमारियां जैसे सीओपीडी के मरीजों प्रेगनेंट महिलाएं, वृद्ध लोगों और बच्चों को सबसे अधिक नुकसान होता है। पीएम 10 और पीएम 2.5 का बढ़े हुए स्तर में सांस लेने से हार्ट की बीमारियों, सांस की समस्याएं जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस होने का खतरा है। नवजात शिशुओं के विकृति होने, प्रीमेच्योर डिलीवरी, और मार्टेलिटी रेट बढ़ने का खतरा है। मानकों के अनुसार हर एक पीएम10 की मात्रा 10 तक बढ़ने पर म़ृत्यु दर भी एक प्रतिशत तक बढ़ती है।

पॉल्यूशन कम करने को दिए सुझाव-

- प्रमुख सड़कों को चौड़ा किया जाए

- चौराहों पर ट्रैफिक को स्मूथ करने के लिए बदलाव किए जाएं

- ट्रैफिक सुगम बनाने के लिए सड़कों को अतिक्रमण मुक्त किया जाए

- पैदल यात्रियों के लिए फुटपाथ बनाए जाएं

- प्राइवेट भवनों/जमीनों पर भी पार्किंग की व्यवस्था हो

- पार्किंग चार्जेज को बढ़ाया जाए और घंटे घंटे के हिसाब से चार्ज लिया जाए ताकि लोग वाहनों का कम इस्तेमाल करें

- पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे मेट्रो बस में यात्रा पर सब्सिडी दी जाए ताकि लोग पर्सनल वेहिकल कम प्रयोग करें।

- ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार किया जाए।

- सिटी के आस पास के एरिया में रिहायशी कांपलेक्स बनाए जाएं

- सड़कों पर डंप हो रहे कूड़े को हटाया जाए।

- सभी खाली संभावित जगहों पर पौधारोपण किया जाए।

- पूरे शहर में सीएनजी स्टेशन की संख्या को बढ़ाया जाए

- बैट्री आपरेटेड वेहिकिल्स की संख्या को बढ़ाया जाए

- जेनरेटर की जगह सोलर एनर्जी को बढ़ावा दिया जाए।

- टायर, सूखी पत्तियों, कूड़े, को जलाने पर रोक लगे

- प्रेशर हार्न पर प्रभावी रोक लगाई जाए

- जहां ज्यादा ट्रैफिक है वहां डस्ट रिमूवल सिस्टम को लगाया जाए

10 साल में 10 लाख से अधिक बढ़ गए वाहन
राजधानी में प्रदूषण के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोत्तरी हो रही है। वर्ष 2007 में वाहनों की कुल संख्या 904831 थी। जो कि 2017 में बढ़कर 19,78,345 पहुंच गई। यानी 10 वर्षो में 10.73 लाख वाहनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई। जबकि 2016 में यह संख्या 18,64,556 थी। इस प्रकार से पिछले एक वर्ष में ही 6.10 परसेंट की दर से वाहनों में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

वाहनों की संख्या

2007--9,04,831

2016-- 18,64,556

2017--19,78,345 (6.10 परसेंट बढ़ोत्तरी)

फ्यूल की खपत (31 मार्च 2017 के अनुसार)

पेट्रोल की खपत 193345 किलोलीटर

डीजल की खपत-230626 किलोलीटर

सीएनजी की खपत-32134736 किलो

488 तक पहुंचा था पॉल्यूशन
पिछले वर्ष दिसंबर माह में लखनऊ में प्रदूषण का स्तर 488 तक पहुंच गया था। जिसके अनुसार लखनऊ देश का सबसे अधिक पाल्यूटेड सिटी थी। करीब 15 दिन से अधिक समय तक यह स्तर 400 के ऊपर बना रहा था। इसके बाद प्रदेश सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए आदेश जारी किए। खुले में कूड़ा जलाने पर रोक लगाने सहित कई अन्य आदेश भी दिए। लेकिन यह आदेश सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहे। जिसका नतीजा सबके सामने है।

डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट का अध्ययन करेगी सरकार
प्रदेश सरकार प्रदूषित शहरों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताजा रिपोर्ट का अध्ययन करेगी। इस रिपोर्ट में विश्व के टॉप 20 प्रदूषित शहरों में यूपी के चार शहर शामिल हैं। वर्ष 2016 की रिपोर्ट के आधार पर इसमें कानपुर को सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है। वन एवं पर्यावरण विभाग की प्रमुख सचिव रेणुका कुमार ने कहा कि अभी डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट मंगाई गई है। उसका विस्तृत अध्ययन करने के बाद ही इसके बारे में कुछ कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में यह देखा जाएगा कि किन आधार पर कानपुर, वाराणसी, लखनऊ व आगरा को प्रदूषित शहरों में रखा गया है। इन शहरों में साफ व स्वच्छ हवा के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लिये कोई एक विभाग जिम्मेदार नहीं होता बल्कि, इसमें कई विभागों की सामूहिक जिम्मेदारी होती है।

प्रदूषण नियंत्रण भाजपा की सोशियो पॉलिटिकल रिस्पांसिबिलिटी
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ। महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा है कि भाजपा प्रदूषण नियंत्रण व प्रकृति संरक्षण को अपनी सोशियों पॉलिटिकल रिस्पॉन्सिबिलिटी मानती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का स्वच्छ भारत अभियान भी प्रदूषण नियंत्रण में कारगर साबित होगा। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट 2016 की है उम्मीद की जा सकती है कि 2017 और 2018 की रिपोर्ट बेहतर आएगी। महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा है कि विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में भारतीय नाम चिंता का विषय हैं। प्रत्येक राजनीतिक दल, सामाजिक दल, विद्यार्थी, शिक्षक, व्यापारी, किसान सभी को जुटकर प्रकृति संरक्षण और प्रदूषण से मुक्ति के लिए जन आन्दोलन खड़ा करना होगा।