- लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुरूप कुछ स्टूडेंट्स ने उठाया कदम

- ट्रेडिशनल डिपार्टमेंट और छोटूराम के आम स्टूडेंट्स ने चुना प्रत्याशी

Meerut। सीसीएस यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव में लिंगदोह की सिफारिशों को लेकर भले ही जिम्मेदारों की आंखे न खुली हो। लेकिन यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने जागरुकता की पहल की है। यूनिवर्सिटी के कई डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स ने मिलकर अध्यक्ष पद पर अपना प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए चुन लिया है। ऐसे में अभी यूनिवर्सिटी में पैनल के अन्य सदस्यों की तलाश चल रही है।

विभिन्न डिपार्टमेंट ने मिलकर चुना

यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ अध्यक्ष संजीत पटेल एवं मनु ने बताया कि यूनिवर्सिटी में फोर डी मॉडल के तहत चुनाव होने चाहिए थे। इसके बारे में जानकारी मिली थी। जिसको ध्यान में रखते हुए हमने मेरिट लिस्ट में आने वाले गौरव यादव को अध्यक्ष पद के लिए खड़ा करने का विचार किया है। इस दौरान मनू अग्रवाल, निखिल, सिद्धार्थ, श्वेता, स्नेहा, समीर, अतीर, लखन, सुधीर आदि मौजूद रहे।

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हेडिंग- सोशल मीडिया पर भी दिख रहा विरोध

- फेसबुक पर लोगों ने रखी अपनी बेबाक राय

- लिंगदोह समिति की सिफारिशों का हो रहा खुलेआम उल्लंघन

मेरठ। चौधरी चरण सिंह यूनीवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव के दौरान जहां लिंगदोह समिति की सिफारिशों का खुले तौर पर अनदेखा किया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर छात्रनेताओं के मनमाने रवैये पर भी यूनिवर्सिटी प्रशासन मौन साधे बैठा है। नामांकन के दौरान नेताओं ने अपने अपने तरीके से शक्ति प्रदर्शन किया। वहीं चुनाव प्रचार के सभी मानक बेअसर साबित हुए। अब यूनिवर्सिटी के मनमाने रवैये का सोशल मीडिया पर विरोध तेज हो गया है।

आम लोगों के भी सवाल

यूनिवर्सिटी में अवैध चुनाव पर आम लोग ही सोशल मीडिया से सवाल उठा रहे हैं। सोशल साइट्स व्हाट्सअप फेसबुक और ट्विटर पर आम लोग कमेंट कर विरोध दर्ज करा रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब चुनाव ही अवैध है तो यूनिवर्सिटी इन चुनावों को क्यों करा रहा है। ऐसे चुनाव पर रोक लगनी चाहिए।

वर्जन

शिक्षा तो अब बस नाम की रह गई है। नेतागीरी और गुंडागर्दी ने कॉलेज को अखाड़ा बना दिया है। शिक्षा का मंदिर अब विवाद का अड्डा बन गया है। यूनिवर्सिटी को कुछ रूल्स बनाने चाहिए और उनको फॉलो करना चाहिए। वरना वो दिन दूर रही जब बची-खुची साख भी खत्म हो जाएगी।

-आशीष जैन

आज के दौर में नेतागीरी हमारे एजूकेशन सिस्टम को खराब कर रही है। कभी इसको छात्रों को सुविधा प्रदान करने के लिए रखा गया था लेकिन अब यह बेमानी सा हो गया है। अब तो शिक्षा में सियासत हावी हो गई है।

-संजीव अग्रवाल

यूनिवर्सिटी को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है.लेकिन इन दिनों यूनिवर्सिटी में ही कानून तोड़े जा रहे हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए जब छात्र ही कानून तोड़ेंगे तो बाकी जनता क्या करेगी।

-प्रदीप गुर्जर

जो छात्र अभी से कानून को हाथ में ले रहे हैं। सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। वे भविष्य में कैसे नेता बनेंगे यह समझा जा सकता है। ऐसे छात्रनेताओं की बिल्कुल जरूरत नहीं है। यूनिवर्सिटी को ऐसे इलेक्शन पर रोक लगानी चाहिए।

-चेतन शर्मा