- महाकाली के इस मंदिर में बाहरी शहरों से भी आते हैं भक्त

- सिद्धपीठ मां काली के मंदिर की है काफी मान्यता

Meerut : सदर स्थित महाकाली का यह प्राचीन मंदिर अपने आप में बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। सिद्धपीठ मां काली के मंदिर को कुछ लोग श्मशान महाकाली भी बोलते हैं, क्योंकि ऐसा बताया जा रहा है इस मंदिर की जगह साढ़े चार सौ साल पहले श्मशान हुआ करता था। मंदिर की पुजारिन श्रुति बैनर्जी ने बताया कि मंदिर की जगह पहले श्मशान घाट हुआ करता था और उसी के बीच में मां काली की मूर्ति भी विराजमान हुआ करती थी। धीरे-धीरे यहां भक्तों की मुरादें पूरी होने लगी और चमत्कार होने लगे। श्रुति बैनर्जी ने बताया कि भक्तों की मां के प्रति श्रद्धा देखते हुए हमारे पूर्वजों ने सिद्धपीठ महाकाली मंदिर की स्थापना की थी।

दूर से आते हैं भक्त

मंदिर की पुजारिन श्रुति ने बताया कि यहां केवल शहरी नहीं बल्कि बाहरी शहरों से भी भक्त मां के दर्शन करने आते हैं। मंदिर में जिसने भी पूरे विधि विधान से मां का गुणगान किया है और मां की महाआरती को अटेंड किया है उसकी मान्यता महाकाली अवश्य पूरी करती है। श्रुति ने बताया कि मंदिर में लोग मां को चुनरी व नारियल भी चढ़ाते हैं। यहां से हजारों के बिगड़े काम बने हैं और हजारों को पुत्र की प्राप्ति, शिक्षा के क्षेत्र में सफलता और करियर व रोजगार में भी सफलता मिली है।

होती है स्पेशल आरती

दुर्गा मां के नवरात्रों में मंदिर में मां की सुबह आरती व श्रृंगार किया जाता है। इसके साथ ही रोजना रात दस बजे नगाड़ों के साथ महाकाली की स्पेशल आरती की जाती है। इस आरती का अपना विशेष महत्व माना जाता है। इसके साथ ही छठी पर जागरण और सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर मंगल आरती व भंडारा किया जाता है।

-श्रुति बनर्जी, पुजारिन

सिद्धपीठ महाकाली मंदिर, सदर