माघ मेले का पांचवां प्रमुख स्नान पर्व माघी पूर्णिमा आज

संगम की रेती पर चल रहा जप-तप व अनुष्ठान का दौर थम जाएगा

ALLAHABAD: माघी पूर्णिमा स्नान के साथ ही संगम की रेती पर चल रहा जप-तप और अनुष्ठान का दौर समाप्त हो जाएगा। जहां पुण्य नक्षत्र में पूर्णिमा की डुबकी लगाने के बाद मेला क्षेत्र में कल्पवास कर रहे करीब 80 हजार कल्पवासी अपने गन्तव्य स्थानों की ओर रवाना होने लगेंगे। वहीं पूर्णिमा से एक दिन पहले मेला क्षेत्र में दूरदराज के क्षेत्रों से सिर पर गठरी लेकर हजारों श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे।

महीने भर आबाद रहा अस्थाई शहर

तम्बुओं की नगरी में माह भर धार्मिक अनुष्ठान का संकल्प लेकर श्रद्धालुओं ने पौष पूर्णिमा से कल्पवास प्रारंभ किया था। करीब एक महीने तक धार्मिक सत्संग और भंडारे के दौर का समापन माघी पूर्णिमा के दिन हो जाएगा। वहीं मेला क्षेत्र में गुरुवार को शैया दान, भगवान सत्यनारायण की कथा व भंडारे का दौर खूब चला।

शिविरों में आयोजित हुआ भंडारा

दंडी स्वामी नगर, आचार्य बाड़ा व खाक चौक के कई शिविरों में कल्पवासियों ने कथा सुनी और दंडी संन्यासियों को भंडारा कराया गया। साथ ही दान-दक्षिणा भी दी गई। प्रशासन ने भी स्नान पर्व के लिए पुख्ता बंदोबस्त किया है। पहले की तरह ही श्रद्धालुओं के स्नान के लिए 19 घाटों की व्यवस्था रहेगी। संगम नोज सहित अन्य घाटों पर महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।

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पुण्य नक्षत्र में दिनभर होगा स्नान

माघ मेले का पांचवां प्रमुख स्नान पर्व माघी पूर्णिमा पर शुक्रवार को श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाएंगे। ज्योतिषाचार्य पं। विद्याकांत पांडेय ने बताया कि माघ महीने में त्रिवेणी तट पर किए गए स्नान दान का अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। लेकिन पूर्णिमा का मुहूर्त काल पुण्य नक्षत्र में सुबह 6.39 से लग रहा है। जिसका मान शाम को 5.50 बजे तक रहेगा। इस नक्षत्र की बेला में किया गया दान श्रद्धालु की अक्षय फल का कारक बनेगा।