कानपुर। व्यापक अर्थ में यह माना जाता है कि लिंग के व्यक्त होने से ही सृष्टि की उत्पत्ति होती है। एक अर्थ में यह भी माना जाता है कि यही सभी प्राणियों के अस्‍तित्‍व का प्रमुख कारण और निवास स्थान है। शास्त्रों में कहा जाता है लिंग परमानंद का कारण है जिससे कमसा ज्योति की उत्पत्ति हुई है। शिव जी देवताओं के भी परम देवता है पतियों के भी परम पति है वह पर परम पूज्य एवं भुवनेश हैं। जिनमें यह सारा विश्व व्‍याप्‍त है और वो इस विश्व की से भी परे हैं। भगवान शिव की विधि विधाएं ब्रह्मांड का प्रतीक हैं। उन पर विराजमान नागराज वासना का प्रतीक है, गंगा अध्यात्म का प्रतीक है, चंद्रमा ज्योति का प्रतीक है, तीन नेत्र अग्नि का प्रतीक है, मुंडमाला निसारता का प्रतीक है। प्राचीन काल से हमार राष्ट्र के वीरों का युद्ध घोष हर हर महादेव ही रहा है और इसी कारण शिव को युद्ध का देवता भी कहा गया है।

शिव से बड़ा कोई देव नहीं

महर्षि वेदव्यास जी ने लिखा है शिव के समान कोई देवता नहीं है शिव के समान कोई गति नहीं है दान में भी शिव के समान कोई दानी रही है और युद्ध में भी भगवान शिव के समान अन्य कोई हो ही नहीं सकता। सनातन धर्म में सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार तीनों को ब्रह्मा विष्णु एवं शिव के रूप में प्रतिपादित किया गया है। शिव शक्ति का स्‍वरूप है, शिव अनादि एवं कालातीत है। महाशिवरात्रि भगवान शिव और शक्ति का पर्व है। जो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है भारत ही नहीं विश्व के अनेक देशों में महाशिवरात्रि का पर्व उत्साह पूर्वक मनाया जाता है।

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शिवलिंग पूजा का रहस्य पौराणिक कथाओं के अनुसार

महाशिवरात्रि को मध्यरात्रि में भगवान शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए अतः मंदिर में शिवलिंग की पूजा की जाती है लिंग ऊर्जा का प्रतीक है विश्व की प्राचीन सभ्यता में भी लिंग पूजा प्रचलित रही है भारत में 12 ज्योतिर्लिंग का बहुत महत्व है जो कि चारों दिशाओं में स्थित है। गरुड़ पुराण के अनुसार शिवरात्रि 1 दिन पूर्व यानि त्रयोदशी तिथि में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को रुद्राक्ष बेलपत्र, भांग, अकोला, भस्म आदि अत्यधिक पसंद है। अवंतिका उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर शिवलिंग की पूजा संस्थान की भस्म से की जाती है।

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शिवजी को प्रसन्‍न करना है आसान

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कुछ और चीजों पर भी ध्यान देना चाहिए। जैसे शिव जी का स्नान कराने से परिवार में कला लगती है और आपके घर में सौहार्द बढ़ता है। गाय के दूध और शुद्ध घी से शिवजी का अभिषेक करने से आपकी शारीरिक निर्बलता भी दूर होती है। शिव जी की प्रतिमा पर गेहूं चढ़ाने से संतान प्राप्ति का भी लाभ होता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से घर में सुख शांति रहती है। शिवलिंग पर गन्ने का रस और मुसम्मी का रस मिलाकर चढ़ाने से मन को शांति मिलती है और ईश्वरीय शक्ति में वृद्धि होती है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से छय रोग में राहत मिलती है और आपके पाप कर्म कट जाते हैं।