पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। महाशिवरात्रि पर्व का महत्व सभी पुराणों में मिलता है। गरुड़ पुराण, पदम पुराण,स्कन्द पुराण, शिव पुराण तथा अग्नि पुराण सभी में महाशिवरात्रि पर्व की महिमा का वर्णन मिलता है।कलियुग में यह व्रत थोड़े से ही परिश्रम साध्य होने पर भी महान पुण्य प्रदायक एवं सब पापों का नाश करने वाला होता है। शिव पूजन करते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

शिवपूजन में ध्यान रखने योग्य मुख्य बातें:

1. पूजा के समय पूर्व या उत्तर मुख होकर बैठना चाहिए, संकल्प किया जाना चाहिए।

2. भस्म,त्रिपुड़ और रूद्राक्ष माला यह शिवपूजन के लिए विशेष सामग्री है जो पूजन के समय शरीर पर होना चाहिए।

3. भगवान शिव की पूजा में तिल का प्रयोग नहीं होना चाहिये और चम्पा का पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए।

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4. शिव की पूजा में दूर्वा,तुलसीदल चढ़ाया जाता है।तुलसी में मंजरियों से पूजा श्रेष्ठ मानी जाती है।

5. भगवान शंकर के पूजन के समय करतल नहीं बजाना चाहिये।

6. शिव की परिक्रमा सम्पूर्ण नहीं की जाती है।जिधर से चढ़ा हुआ जल निकलता है उस नाली का उलंघन नही किया जाना चाहिए।वहाँ से प्रदक्षिणा उल्टी की जाती है।

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7. शिव की पूजा में केसर,दुपहरिका, मालती,चम्पा,चमेली,कुंद, जूही आदि के पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए।

8. दो शंख,दो चक्रशिला, दो शिवलिंग,दो गणेश मूर्ति,दो सूर्य प्रतिमा,तीन दुर्गा जी की प्रतिमाओं का पूजन एक बार में नहीं करना चाहिए।

9. भगवान शंकर की आधी बार,विष्णु की चार बार, दुर्गा की एक बार, सूर्य की सात बार, गणेश जी की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए।

10. शिव जी को भांग का भोग अवश्य लगाना चाहिए।