पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। इस बार यह पर्व दिनाँक दिनाँक 11 मार्च 2021,गुरुवार को मनाया जाएगा।इस दिन चतुर्दशी तिथि अपराह्न 2:40 बजे से लगेगी,धनिष्ठा नक्षत्र रात्रि 9:45 बजे तक ,बेहद शुभ *"शिव योग" प्रातः 9:23 बजे तक, श्रीवत्स योग एवं अमृत योग प्रातः 6:36 से अपराह्न 2:40 बजे तक रहेगा जोकि शुभ है। भी रहेगा।इस दिन प्रातः 9:21 बजे से पंचक प्रारम्भ होगी। बुध ग्रह का प्रवेश मध्यान्ह 12:34 बजे से होगा।शिवरात्रि का भोग व मोक्ष को प्राप्त कराने वाले दस मुख्य व्रतों जिन्हें( 10 शैव व्रत) भी कहा जाता है, में सर्वोपरि है।महाशिवरात्रि पर्व का महत्व सभी पुराणों में मिलता है।

शुभ श्रेष्ठ शिव योग
गरुड़ पुराण, पदम पुराण,स्कन्द पुराण, शिव पुराण तथा अग्नि पुराण सभी में महाशिवरात्रि पर्व की महिमा का वर्णन मिलता है।कलियुग में यह व्रत थोड़े से ही परिश्रम साध्य होने पर भी महान पुण्य प्रदायक एवं सब पापों का नाश करने वाला होता है।फाल्गुन मास की शिवरात्रि को भगवान शिव सर्वप्रथम शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे, इसलिये भी इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस बार शुभ श्रेष्ठ शिव योग,श्रीवत्स एवं अमृत योग में जिस कामना को मन में लेकर मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान संपन्न करेगा,वह मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होगी।इस लोक में जो चल अथवा अचल शिवलिंग हैं,उन सब में इस रात्रि को भगवान शिव की शक्ति का संचार होता है, इसलिए इस शिवरात्रि को महा रात्रि कहा गया है।इस एक दिन उपवास रहते हुए शिवार्चन करने से साल भर के पापों से शुध्दि हो जाती है।

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पूजन सामग्री
शिव पूजन में प्रायः भयंकर वस्तुएं ही उपयोग होती हैं।जैसे-- भांग,धतूरा,मदार आदि इसके अतिरिक्त रोली,मौली,चावल,दूध,चंदन,कपूर,विल्बपत्र, केसर,दूध,दही,शहद,शर्करा, खस, भांग,आक-धतूरा एवं इनके पुष्प,फल,गंगाजल,जनेऊ,इत्र,कुमकुम,पुष्पमाला, शमीपत्र,रत्न-आभूषण, परिमल द्रव्य,इलायची, लौंग,सुपारी,पान,दक्षिणा, बैठने के लिए आसन आदि।

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उद्दापन विधि
रात्रि के समय द्वादश लिंगों एवं द्वादश कुम्भों से युक्त मंडल बनाना चाहिये,उस मंडल को दीपमालाओं से सुशोभित कर उसके बीच वेद मंत्रों के साथ कलश स्थापना करना चाहिए उसकी षोडशोपचार विधि से शिवजी की पूजा करें।पूजन के पश्चात 108 बिल्वपत्र द्वारा अग्नि में हवन करें फिर तिल, अक्षत,यव आदि वस्तुओं को लेकर दोगुना हवन करें,हवन के अंत मे शतरुद्री का जाप करें ऐसा करने से शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं।प्रातः काल 12 ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए।इस प्रकार उद्धापन करने से शिवजी एवं माता पार्वती जी अत्यंत प्रसन्न होकर शुभफल प्रदान करते हैं।

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पूजन विधान
इस प्रातः काल दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर काले तिलों का उबटन लगाकर स्नान करें,फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प करें कि मैं महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प पाप के नाश के लिए,भोगों की प्राप्ति हेतु तथा अक्षय मोक्ष की प्राप्ति हेतु लेता हूँ।इसके पश्चात शिवजी का पूजन,गणेश,पार्वती,नंदी के साथ उनके प्रिय जैसे - आक,धतूरे के पुष्प,बेलपत्र,दूर्वा,कनेर,मौलश्री,तुलसी दल आदि के साथ षोडशोपचार द्वारा विधि-विधान से करें।इस दिन शिवजी पर पके आम्रफल चढ़ाना अधिक फलदायी होता है।पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन दान करें। शिव स्तोत्र,रुद्राष्टाध्यायी, शिवपुराण की कथा,शिवचालिसा का पाठ और रात्रि जागरण करें।दूसरे दिन व्रत का पारण करने के उपरांत प्रातः काल योग्य ब्राह्मणों द्वारा हवन और रुद्राभिषेक करके अन्न-जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।