पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य) Maha Shivratri 2022 Puja Samagri, Vidhi And Katha : महाशिवरात्रि पर्व का महत्व सभी पुराणों में मिलता है। महाशिवरात्रि भगवान शिव की सबसे बड़ी रात के रूप में प्रसिद्ध है। इस बार यह महापर्व 1 मार्च को है। महाशिवरात्रि पर विशेष रूप से शिव पूजन होता है और भक्त दिन भर का उपवास रखते हैं। लोग मंदिरों में प्रार्थना करने के लिए आते हैं और यहां तक कि घर पर पूजा का आयोजन भी करते हैं। गरुड़ पुराण, पदम पुराण,स्कन्द पुराण, शिव पुराण तथा अग्नि पुराण सभी में महाशिवरात्रि पर्व की महिमा का वर्णन मिलता है।

पूजन सामग्री
शिव पूजन में थोड़ी अलग तरह की वस्तुएं ही उपयोग होती हैं। इनमें भांग,धतूरा,मदार आदि भी शामिल होती है। इसके अलावा शिव पूजन में रोली ,मौली, चावल, दूध, चंदन, कपूर, विल्बपत्र, केसर, दूध, दही, शहद, शर्करा, खस, भांग, आक-धतूरा एवं इनके अलावा फूल फल,गंगाजल,जनेऊ,इत्र,कुमकुम,पुष्पमाला, शमीपत्र,रत्न-आभूषण, परिमल द्रव्य,इलायची, लौंग,सुपारी,पान,दक्षिणा बैठने के लिए आसन आदि की आवश्यकता होती है।

पूजन विधान
इस दिन प्रातः काल दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर काले तिलों का उबटन लगाकर स्नान करें,फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प करें कि मैं महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प पाप के नाश के लिए,भोगों की प्राप्ति हेतु तथा अक्षय मोक्ष की प्राप्ति हेतु लेता हूँ।इसके पश्चात शिवजी का पूजन,गणेश,पार्वती,नंदी के साथ उनके प्रिय जैसे - आक,धतूरे के पुष्प, बेलपत्र, दूर्वा,कनेर, मौलश्री, तुलसी दल आदि के साथ षोडशोपचार द्वारा विधि-विधान से करें।इस दिन शिवजी पर पके आम्रफल चढ़ाना अधिक फलदायी होता है। पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन दान करें। शिव स्तोत्र,रुद्राष्टाध्यायी, शिवपुराण की कथा,शिवचालिसा का पाठ और रात्रि जागरण करें।दूसरे दिन व्रत का पारण करने के उपरांत प्रातः काल योग्य ब्राह्मणों द्वारा हवन और रुद्राभिषेक करके अन्न-जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें।

व्रत कथा
शिवमहापुराण के अनुसार बहुत पहले अबुर्द देश में सूंदरसेन नामक निषाद राजा रहता था।वह एक बार जंगल मे अपने कुत्तों के साथ शिकार के लिए गया।पूरे दिन परिश्रम के बाद उसे कोई भी जानवर नहीं मिला।भूख प्यास से पीड़ित होकर वह रात्रि में जलाशय के तट पर एक वृक्ष के पास जा पहुंचा।जहां उसे शिवलिंग के दर्शन हुए। अपने शरीर की रक्षा के लिए निषादराज ने वृक्ष की ओट ली लेकिन उनकी जानकारी के बिना कुछ पत्ते वृक्ष से टूरकर शिवलिंग पर गिर पड़े उसने उन पत्तों को हटाकर शिवलिंग के ऊपर स्थित धूलि को दूर करने के लिए जल से उस शिवलिंग को साफ किया।उसी समय शिवलिंग के पास ही उसके हाथ से एक बाण छूटकर पृथ्वी पर गिर गया।अतः घुटनों को भूमि पर टेककर एक हाथ से शिवलिंग को स्पर्श करते हुए उसने उस बाण को उठा लिया। इस तरह राजा द्वारा रात्रि-जागरण,शिवलिंग का स्नान,स्पर्श और पूजन भी हो गया।प्रातः काल होने पर निषाद राजा अपने घर चला गया और पत्नी के द्वारा दिये गए भोजन को खाकर अपनी भूख मिटाई।यथोचित समय पर उसकी मृत्यु हुई तो यमराज के दूत उसको पाश में बांधकर यमलोक ले जाने लगे,तब शिवजी के गणों ने यमदूत से युद्द कर निषाद को पाश से मुक्त करा दिया।इस तरह वह निषाद अपने कुत्तो के साथ भगवान शिव के प्रिय गणों में शामिल हुआ।

Maha Shivratri 2022 Puja Muhurat : महाशिवरात्रि पर बेहद खास है 'शिव योग' नवग्रहों को करें शांत, इन शुभ मुहूर्तों में पूजन से मिलेगा विशेष फल