नई दिल्ली (पीटीआई)। मशहूर पौराणिक टीवी सीरियल 'महाभारत' में 'भीम' का किरदार निभाने वाली प्रवीण कुमार सोबती अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार देर रात उन्होंने आखिरी सांस ली। प्रवीण न सिर्फ एक एक्टर थे बल्कि शानदार एथलीट भी रहे। वह काॅमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने वाले भारत के पहले और इकलौते हैमर थ्रोअर थे। 74 साल की उम्र में अंतिम सांस लेने वाले प्रवीण बीएसएफ के एक पूर्व सैनिक थे और उन्होंने भारत के लिए एशियन गेम्स में दो गोल्ड सहित चार मेडल जीते थे।

काॅमनवेल्थ में मेडल जीतने वाले इकलौते हैमर थ्रोअर
सोबती ने 60 और 70 के दशक के दौरान सालों तक डिस्कस और हैमर थ्रो प्रतियोगिताओं में अपना दबदबा बनाया। उन्होंने तीन एशियन गेम्स, एक काॅमनवेल्थ गेम्स में पदक जीते और दो ओलंपिक - 1968 मैक्सिको और 1972 म्यूनिख में भाग लिया। सोबती के डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल 1966 और 1970 के एशियाई खेलों में आए थे। उन्होंने 1966 के एशियाई खेलों में हैमर थ्रो में ब्रांज जीता और उसी साल काॅमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। उन्होंने 1974 के एशियाई खेलों में डिस्कस थ्रो भी सिल्वर भी जीता था। उनका हैमर थ्रो सिल्वर एकमात्र ऐसा पदक है जिसे किसी भारतीय ने राष्ट्रमंडल खेलों में जीता है।

खेल के बाद एक्टिंग की दुनिया में जमाया सिक्का
एक बार खेल से रिटायर होने के बाद उन्होंने मनोरंजन की दुनिया में कदम रखा और पूरी दुनिया में बतौर एक्टर भी पहचाने जाने लगे। सोबती ने अभिनय में कदम रखा और 1988 में महाभारत में अपनी भूमिका के बाद लोकप्रिय हो गए। उन्होंने "युद्ध", "अधिकार", "हुकुमत", "शहंशाह", "घायल" और "आज का अर्जुन" जैसी लगभग 50 फिल्मों में सहायक भूमिकाएँ भी निभाईं। एथलेटिक्स प्रशासक ललित भनोट ने सोबती को एक मिलनसार और आसानी से मिल जाने वाला इंसान बताया। पूर्व एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया सचिव एवं वर्तमान योजना समिति प्रमुख भनोट ने कहा, "वह आसानी से दूसरों के साथ घुलमिल जाता था, अपने हंसमुख स्वभाव के साथ जुड़ जाता था। वह बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे। वह हमेशा दूसरों की मदद के लिए भी तैयार रहता थे। उनका राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी काफी लंबे समय तक बना रहा।"