इस वर्ष महालक्ष्मीव्रतारम्भ सोमवार यानी 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक चलेगा। भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आरंभ करके आश्विन कृष्ण अष्टमी पर्यंत प्रतिदिन 16 अंजलि कुल्ले करने चाहिए। फिर प्रातः स्नान आदि नित्य कर्म करने के बाद चंदनादि निर्मित लक्ष्मी की प्रतिमा का स्थापन करें।

लक्ष्मी की प्रतिमा के समीप 16 सूत्र के डोरे में 16 गांठ लगाकर उनका 'लक्ष्म्यै नमः' से एक गांठ का पूजन करके लक्ष्मी की प्रतिमा का पूजन करें। इसके बाद

धनंधान्यं धरां हर्म्यं कीर्तिमायुर्यश: श्रियम्।

तुरगान् दन्तिन: पुत्रान् महालक्ष्मि प्रयच्छ मे।।

से उक्त डोरे को दाहिने हाथ में बांधें और हरी दूर्वा के 16 पल्लव और 16 अक्षत् लेकर कथा सुनें। इस प्रकार इनका आश्विन कृष्ण अष्टमी को विसर्जन करें।

— ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र, शोध छात्र, ज्योतिष विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

 

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