- व्यापारी व अफसरों में हुई कहासुनी

- आये दिन राहगीर व व्यापारी खुले गटर में गिर कर हो रहे चोटिल

- निर्माण विभाग जान कर बन रहा अंजान

GORAKHPUR: नवीन मंडी में शुक्रवार को खुले गटर को लेकर व्यापारी और अफसरों के बीच जमकर गदर हुई। इसकी मरम्मत कराने को लेकर एक घंटे तक उनके बीच कहासुनी होती रही। व्यापारियों का कहना था कि मंडी के विकास के नाम पर टैक्स दिए जाते हैं, इसके बावजूद मंडी की हालत बदहाल है। निर्माण विभाग के सौतेला व्यवहार की वजह से आज भी खुले गटर पर ढक्कन नहीं लगाए गए। इसकी वजह से आये दिन गटर में गिरकर राहगीर व व्यापारी चोटिल हो रहे हैं। साथ ही माल लदी गाडि़यों के टायर भी ब्रस्ट हो जाते हैं। सचिव के आश्वासन के बाद मामला शांत हुआ।

अफसरों पर उतारा गुस्सा

पूर्वाचल की सबसे बड़ी मंडी महेवा मरम्मत के अभाव में बदहाल होती जा रही है, लेकिन मंडी का निर्माण विभाग सुधि नहीं ले रहा है। फल-सब्जी मंडी में करीब एक दर्जन से अधिक गटर बनाए गए है। इस रास्ते से गुजरने वाले राहगीर आए दिन चोटिल होते हैं। शुक्रवार को इसी मामले को लेकर आक्रोशित व्यापारी सचिव कार्यालय पहुंचे और जिम्मेदार अफसरों पर अपना गुस्सा जाहिर किया। एक अफसर तो इतना तक कह दिया कि सभी व्यापारी चंदे के पैसे से दुकान के सामने टूटे गटर का ढक्कन लगवा ले। इस पर सभी आग बबूला हो गए और अफसरों पर पूरी भड़ास निकाल दी।

मंडी समिति को व्यापारी मंडी शुल्क व विकास के नाम पर ढाई प्रतिशत टैक्स देते हैं। इसके बावजूद व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा गई है। लिहाजा साल भर से गटर के ढक्कन टूट गए हैं, लेकिन उसकी मरम्मत नहीं कराई गई।

अविनाश गुप्ता, व्यापारी

मंडी में व्यापारी को जो सुविधा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही है। मरम्मत के अभाव में पूरी मंडी जर्जर हो चुकी है। गटर के ढक्कन टूट कर अलग हो गए। जिससे समस्या हो रही है।

राजेश कुमार सोनकर, व्यापारी

हर बार मंडी को विकास के नाम पर टैक्स दिए जाते हैं, लेकिन फिर भी व्यवस्थाएं भगवान भरोसे चल रही है। लोग आये दिन खुले गटर में गिर कर घायल होते हैं।

सुनील कुमार सोनकर, व्यापारी

मंडी परिषद निर्माण विभाग से इस संबंध में बात की जा रही है। व्यापारियों की सुविधाओं को देखते हुए जल्द ही खुले गटर पर ढक्कन लगाए जाएंगे।

राजीव श्रीवास्तव, उप निदेशक, प्रशासन विपणन