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15 बच्चों से शुरू किए गए स्कूल में अब पढ़ रहे हैं 185, नहीं मिलती है गवर्नमेंट से कोई हेल्प
कॉलेज के दिनों से महजबी को सोशल वर्क का रहा है जुनून


जब मन में हौसला हो तो नामुमकिन कुछ भी नहीं। इस बात को जायज ठहराया है महजबी हसन ने। वो कपाली स्थित तमोलिया में एक स्कूल चला रही हैं, वो भी बिना गवर्नमेंट की हेल्प के, नाम है तालीम-ए-दीन। हां कभी-कभार प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन थोड़ी बहुत हेल्प कर देते हैं, लेकिन यह उनके लिए नाकाफी है।
आसान नहीं था
शुरू में सब कुछ आसान नहीं था। पैरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं थे। महजबी ने घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल भेजने की अपील की। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और 15 बच्चों के साथ स्कूल शुरू हुआ। फिलहाल यहां पांच टीचर्स (जावेद सुरी, सौफिया जफर, जीनत, उजाला, अफरोज) 185 बच्चों को फ्री एजुकेशन प्रोवाइड करवा रहे हैं। यहां हिन्दू हो या मुस्लिम, सिख हो या ईसाई सभी एक साथ एजुकेट हो हो रहे हैं।
फौरन जारी हो गए
महजबी हसन को बच्चों की पढ़ाई का ख्याल कैसे आया? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि शुरू से ही सोशल वर्क उनकी फितरत में शामिल है। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान भी वे सोशल वर्क से जुड़ी रहीं। भालूबासा की रहने वाली महजबी शादी के बाद अपने ससुराल अजाद बस्ती आ गयी। उन्हें लगा कि अब उनका सोशल वर्क का शौक पूरा नहीं होगा। एक दिन उन्होंने पति मोहम्मद सलमान खान से अपने दिल की बात बतायी। उनके हसबैंड इस नेक काम के लिए फौरन राजी हो गए और इसके बाद 2010 में तमोलिया में नीव पड़ी तालीम-ए-दीन की।
ख्वाहिश बस इतनी सी
महजबी की ख्वाहिश है कि वो ताउम्र एजुकेशन की लौ जलाती रहें। अब तक उन्होंने जो किया है अपने बलबूते और हसबैंड की हेल्प से किया है। तालीम-ए-दीन फिलहाल दो कमरे के किराए के छोटे से घर में चल रहा है। महजबी ने कहा कि अगर गवर्नमेंट थोड़ी सी भी मदद मिल जाए, तो उनका काम आसान हो जाएगा। उन्होंने प्राइवेट ऑर्गनाइजेशन और आम लोगों से भी हेल्प करने की अपील की है। अगर आप भी तालीम-ए-दीन को कुछ हेल्प करना चाहते हैं तो महजबी के मोबाइल नंबर 9709152540 पर कांटेक्ट कर सकते हैं।
मेरे घर के कई लोग फ्रिडम फाइटर रहे हैं। सोशल वर्क से हमारा पुराना नाता है। इसके प्रति वाइफ का जुनून देखकर मैंने उसे इजाजत दे दी। महजबी घर और स्कूल दोनों में संतुलन बना कर चलती है
मो। सलमान खान, महजबी के पति
स्कूल के रजिस्ट्रेशन, जमीन और बिल्डिंग के लिए हमने कई बार चांडिल बीओ ऑफिस के चक्कर लगाए, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। अगर थोड़ी भी हेल्प मिल जाएगी, तो हमें बच्चों को एजुकेट करने में आसानी होगी।
महजबी हसन प्रिंसिपल, तालीम-ए-दीन

 

Report by : kishor.kumar@inext.co.in

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