-ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स के लिए मची मारामारी

-रोजाना दर्जनों लोग निराश होकर लौट रहे वापस

ALLAHABAD: सुबह से शाम तक लाइन लगाने के बावजूद ब्लड बैंकों से दर्जनों लोगों को वापस लौटना पड़ रहा है। लाख कोशिशों के बाद भी उनको प्लेटलेट्स नहीं मिल पा रहा है। इसे डेंगू का प्रकोप ही कहेंगे कि तमाम ब्लड बैंकों में डेंगू के मरीजों की लाइन लगी है और प्लेटलेट्स की डिमांड पूरी नहीं हो रही है। बढ़ रही मांग को देखते हुए अब राशनिंग भी शुरू कर दी गई है।

खुद जांच करने लगे हैं ब्लड बैंक

डेंगू के इलाज में प्राइवेट हॉस्पिटल्स की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए खुद ब्लड बैंक आगे आ गए हैं। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के ब्लड बैंक ने अपनी ओर से मरीजों के खून के सैंपल की जांच शुरू कर दी है। डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार बीस हजार से कम प्लेटलेट्स काउंट होने पर ही मरीजों को यह चढ़ाया जाए। इसका पालन करने के लिए ब्लड बैंक अपनी जांच में काउंट कम आने के बाद मरीजों को प्लेटलेट्स दे रहे हैं। बाकी को वेटिंग में डाल रहे हैं।

रोजाना 250 से 300 यूनिट की खपत

शहर के एक प्राइवेट और तीन सरकारी ब्लड बैंकों में रोजाना ढाई से तीन सौ यूनिट प्लेटलेट्स की खपत हो रही है। कभी-कभी यह आंकड़ा बढ़ भी जाता है। ब्लड बैंक के अधिकारियों का कहना है कि कई बार तो ऐसे मरीज भी आ रहे हैं, जिनका प्लेटलेट्स काउंट बेहतर है लेकिन डॉक्टर डिमांड कर रहे हैं। इस पर लगाम लगाना जरूरी है। यही कारण है कि पहले सीरियस मरीजों को यूनिट उपलब्ध कराई जा रही है।

होते हैं रिएक्शंस के चांसेज

एक्सप‌र्ट्स की मानें तो जब तक जरूरी न हो तो तब तक मरीज को प्लेटलेट्स नहीं चढ़ाई जानी चाहिए। क्योंकि दूसरे के ब्लड से तैयार प्लेटलेट्स के बॉडी में जाने से रिएक्शन के चांसेज बने रहते हैं। इससे मरीज को कठिनाई हो सकती है। इसलिए डब्ल्यूएचओ ने बीस हजार की लिमिट तय की है। फिर भी लोग मनमानी करने पर उतारू हैं। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग को कड़े कदम उठाना चाहिए।

इनको कर दिया गया वापस

केस-1

धूमनगंज के रहने वाले 65 वर्षीय विलास सिंह को ब्लड बैंक ने प्लेटलेट्स देने से इंकार कर दिया। जबकि लैब से मिली उनकी रिपोर्ट में प्लेटलेट्स काउंट 18 हजार से कम था। लेकिन जब ब्लड बैंक ने सैंपल की जांच की उसमें 31 हजार काउंट आ रहा था। ऐसे में मना किए जाने के बाद परिजनों ने नाराजगी व्यक्त की। ब्लड बैंक कर्मचारियों का कहना था कि डॉक्टर को सोच समझकर मरीज को प्लेटलेट्स के लिए रेकमंड करना चाहिए।

केस-2

मीरापुर के रहने वाले देव का प्लेटलेट्स काउंट भी बीस हजार से कम था। डॉक्टर के रेकमेंडेशन पर परिजन ब्लड बैंक पहुंचे तो पता चला कि अभी स्टॉक खत्म हो गया है। अभी उन मरीजों को प्लेटलेट्स दिया जा रहा है जिनका काउंट 4 से 5 हजार से कम है। ऐसे में परिजन परेशान हो गए। काफी मान-मनौव्वल के बाद उनको चार की जगह दो यूनिट दिया जा सका।

वर्जन

जो सीरियस मरीज हैं या जिनका प्लेटलेट्स काउंट निर्धारित मानक से कम है उनको पहले फैसिलिटेट किया जा रहा है। इससे पहले खुद हमारी ओर से सैंपल की जांच की जा रही है। अधिक डिमांड होने से कुछ लोगों को वेटिंग में भी डाला जा रहा है।

-डॉ। अशोक अग्रवाल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आईएमए

डेंगू के इलाज को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है। अक्सर लोग नॉर्मल प्लेटलेट्स होने के बावजूद इसको चढ़वाने की जिद करते हैं। उन्हें नहीं मालूम कि इससे मरीज को नुकसान पहुंच सकता है। जब तक जरूरी न हो, प्लेटलेट्स नहीं चढ़वाया जाना चाहिए।

-डॉ। ओपी त्रिपाठी, फिजीशियन बेली हॉस्पिटल