हे प्रभु, ये आपके नाम पर क्या हो रहा है?

- अंधविश्वास के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने का खेल जारी है

- शहर में भगवान के नाम पर हो रही प्रोडक्ट की ब्रांडिंग

Meerut भगवान का नाम जोड़ा और चलने लगे ठगी के धंधे। इन दिनों ठगी का धंधा चल भी बहुत जोरों पर रहा है। क्योंकि अगर दुनिया में अंधविश्वास पैदा करने वाले बैठे हैं, तो उसे बढ़ावा देने वाले भी कम नहीं हैं। ऐसा हो क्यूं रहा है? 'पीके खड़ा बाजार में' कैंपेन के जरिए यही सवाल उठाया है, आई नेक्स्ट ने। संडे को पीके ने सिटी का रुख किया तो पता चला कि भगवान नाम पर सब कुछ गारंटी से चल रहा है। फिर वह रत्‍‌न बेचने का बिजनेस हो या अगरबत्ती, मोमबत्ती और नींबू-मिर्ची का। सभी जगह लोगों का विश्वास जीतने के लिए भगवान का ही सहारा लिया गया है।

बिक्री बढ़ाने के लिए भगवान

घर हो या फिर दुकान लोग बहुत सारे भगवान के फोटो, मूर्ति और कैलेंडर सजाए हुए हैं। फिर दुकानों की तरफ नजर दौड़ाई तो वहां भी लोग चार से पांच फोटो को चिपकाए हुए थे। नया साल आने पर पुराने कैलेंडर को फेंक देते हैं। पीके का सवाल था अगर घर के बाहर फोटो लगाने से भगवान की कृपा बनी रहती है। तो फिर लोग अपनी परेशानी को दूर करने के लिए इतनी दूर पैदल चलकर अलग से मंदिर क्यों जाते हैं। क्या घर वाला फोटो और मंदिर वाले में कोई फर्क है? भगवान वाले कैलेंडर को फेंकने से भगवान का अपमान नहीं होता? फिर दुकानदार से पूछा यह पूजन सामग्री पर भगवान की तस्वीर क्यों लगाई है? दुकानदार ने कहा पूजा-पाठ की सामग्री है, इससे ज्यादा बिक्री होती है। पीके ने पूछा पूजन सामग्री खत्म होने के बाद डिब्बी यूजलेस हो जाती है। तब भगवान की फोटो का अपमान नही होगा, इस पर दुकानदार जवाब टटोलने लगा। पीके को मार्केट में तमाम प्रोडक्ट ऐसे मिले जिसको बेचने के लिए भगवान का सहारा लिया जा रहा है। पीके के मन में सवाल उठा कि भगवान के नाम पर अपने प्रोडक्ट की ब्रांडिंग करने वालों को खुद की काबिलियत पर भरोसा नहीं है क्या? अपने प्रोडक्ट की कमजोरी को छिपाने के लिए भगवान के नाम का सहारा क्यों लेते हैं? नींबू-मिर्ची लटकाने व टोना-टोटका करने से भलाई नहीं होती है। इसके लिए लोगों का मन साफ होना चाहिए।

चलते हैं बेईमानी से धंधे

लोगों को बुरी नजर से बचने के लिए लोग अपने घरों के बाहर नींबू-मिर्च या काला सा मुखौटा लटकाते हैं। पीके ने काफी ऐसे घरों व दुकानों को टटोला जहां पर इसी तरह का दृश्य था। अब तो एक नया ट्रेंड चलने दिखने लगा। जमाने के साथ वो नींबू-मिर्ची भी प्लास्टिक में बदल चुके थे। साफ है कि अंधविश्वास को कैश करने में बाजार भी पीछे नहीं है। तभी तो दुकानों पर प्लास्टिक के बने नींबू मिर्च को धड़ल्ले से अंधविश्वास के नाम पर बेचा जा रहा है। पीके ने दुकानदार से पूछा ये क्या है? दुकानदार ने बताया कि इसको लटकाने से लोगों का बुरी नजर से बचाव होता है। लोग इसे अपनी कार, घर, ऑफिस में बड़े चाव से यूज करते हैं। पीके ने कहा कि यह तो ओरिजनल नहीं है, फिर कैसे असर होगा। अगर इस प्लास्टिक वाले से भी नजर नहीं लगती है तो फिर हमारी कार, ऑफिस और घर ही क्यों हमारा शरीर भी क्यों नहीं। ऐसे तो लोगों को अपने गले में भी यही लटकाकर घुमना चाहिए, ताकि लोगों को कभी डॉक्टर के पास जाने की भी आवश्यकता न रह जाए क्यों। इसपर दुकानदार भी कान खुजलाने लगा उसके पास कोई जवाब नहीं था।

सौ फीसदी गारंटी वाले रत्‍‌न

ग्रह रत्‍‌नों की चाल का लोगों के जीवन पर अधिक असर होता है। ऐसा ज्योतिष विज्ञान का कहना है और ऐसा हो भी सकता है, लेकिन पब्लिक सही जगह से उपाय कराए तो समझ में आता है। ढोंगियों व ठग के चक्कर में पड़कर पैसा गंवाना समझ से परे हैं। रंग-बिरंगे पत्थरों को रत्‍‌न बताकर लोगों को चूना लगाया जा रहा है। रत्‍‌नों के जरिए सौ फीसदी असर की गारंटी है। इस पर पीकेने दुकानदार से पूछा कि रत्‍‌न की गारंटी तो आप ले रहे हैं, लेकिन आपकी गारंटी कौन लेगा? इस पर वह भड़क गया और कहा कि भरोसा हो तो लीजिए नहीं तो जाइए। इस रत्‍‌न को पहनने से मात्र से जीवन बदलना शुरू हो जाएगा।

जॉब के लिए दीपक जलाते हैं

पीके ने एक पुराने से पेड़ के नीचे काफी सारे दीपक देखे। उसने देखा यहां तो बहुत सारे लोग आते हैं, दीपक जलाते है और अपनी दुआ मांगते हैं और दुखों को दूर करने की कामना करते हैं। पीके ने एक महिला से पूछा ये क्या कर रही हो? उसने बताया बेटी की जॉब नहीं हो रही है। पंडित ने बताया है कि यहां दीपक जलाने से प्रभु सुन लेंगे। पीके ने सवाल पूछा कि अगर दीपक जलाने से जॉब मिल जाती है तो लोग इतनी सारी पढ़ाई और इतना दिमाग क्यों लगाते हैं। इसपर वो महिला हंसी बोली बात तो ठीक बोली है।

पब्लिक भी पीके के साथ

अगर पीके की बातों पर ध्यान दिया जाए तो सबकुछ सही ही बोला है। क्योंकि यहां तो ढोंगी बाबाओं की दुकानें चल रही हैं।

-आंचल अग्रवाल

धर्म के नाम पर काफी लोग लूट का बिजनेस चला रहे हैं, पीके के सभी लॉजिक सही साबित हो रहे हैं। देखा जाए तो उसने काफी कुछ अच्छा बताया है।

-मनीषा शर्मा

अगर बाबा लोग पैसा लेकर हमारी समस्या दूर करने का दावा करते हैं तो पूरी तरह से रॉन्ग नंबर है। इससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए कोई बाबा किसी का दुख दूर कर दें तो ये सोचो वो खुद सड़क पर क्यों हैं।

-स्मृति नागपाल

आई नेक्स्ट ने यह सही कहा है, कल मैं एग्जाम देने से पहले बाबा के पास गई थी आर्शीवाद लेने, मगर यहां तो पेपर ही बेकार गया सब उल्टा हो गया।

-आरती नेगी

आज समाज में भगवान के नाम पर अंधाधुंध लूट की कमाई हो रही है। ढोंगी लोग लोगों के विश्वास का नाजायज फायदा उठा रहे हैं।

-उत्सव सिंह

भगवान को ढूंढना है तो अपने मन में ही ढूंढे, उसके बनाए हुए बंदों से प्यार कर लो वो खुद ब खुद आपका हो जाता है।

-विनेश सिंह