-डेंगू को लेकर मलेरिया विभाग को मिले थे आठ लाख रुपए

-बजट को छेड़े बिना ही ठिकाने लगा दिया डेंगू का दानव, बजट वापस भेजने की तैयारी

Meerut । डेंगू और चिकनगुनिया को लेकर पैदा हुए गंभीर हालातों ने जहां दवा कारोबार अरबों तक पहुंचा दिया, वहीं स्वास्थ्य विभाग ने इस महामारी का इलाज मुफ्त में ही बांध दिया। ऐसा करतब हमारा स्वास्थ्य विभाग ही दिखा सकता है कि जानलेवा बुखार से निपटने के लिए सरकार ने मलेरिया विभाग को जो आठ लाख का बजट जारी किया था, उसको विभाग ने छेड़ा तक नहीं। आलम यह है कि अब यह बजट को वापस भेजने की तैयारी में है।

बजट वापसी की तैयारी

दरअसल, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारी से निपटने के लिए जिला मलेरिया विभाग को हर साल बजट जारी होता है। हर बार की तरह इस बार भी विभाग के खाते में आठ लाख रुपए का बजट आया था, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि इस बार विभाग ने बजट से एक फूटी कोड़ी भी खर्च नहीं की। ऐसा तो तब है जब पूरा जिला डेंगू और चिकनगुनिया की महामारी से जूझ रहा था। यही नहीं विभाग बिना कुछ खर्च किए इस बजट को वापस भेजने की तैयारी में है।

खराब उपकरण

एक ओर हैरान करने वाली बात यह भी है कि जिन संसाधनों और उपकरणों के माध्यम से मलेरिया विभाग ने डेंगू का विजय प्राप्त की, उनमें से अधिकांश कंडम पड़ी हुई हैं। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ। योगेश सारस्वत ने बताया कि मुख्यालय से बजट मंजूर न होने के कारण अधिकांश फॉगिंग मशीनों के पंप ठीक नहीं हो पाए। जबकि कई मशीन पूरी तरह से खराब पड़ी हैं। उन्होंने बताया कि पुरानी मशीनों के पंप सेट को इस्तेमाल कर किसी तरह से काम चलाया गया है।

तो खत्म हो जाता डेंगू का डंक

समय पर बजट मंजूर न होने के कारण मलेरिया विभाग ने इस बार पिछले साल खरीदी कर रखी गई दवाइयों से काम चलाया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि यदि विभाग अपने बजट का आधा हिस्सा भी शहर में खर्च कर देता तो डेंगू और चिकनगुनिया को काफी हद तक कवर किया जा सकता था। ऐसे में बजट को बिना खर्चे ही वापस भेजना स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहरवासियों के स्वास्थ्य से बड़ा खिलवाड़ है।

बॉक्स

गर्मियों में प्रभावित होगा शहर

मलेरिया विभाग के अनुसार समय पर बजट मंजूर न होने से आगामी गर्मियों खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। डॉ। सारस्वत ने बताया कि विभाग की ओर से फॉगिंग व एंटी लार्वा छिड़काव का कार्यक्रम पूरे साल चलाया जाता है। जबकि फरवरी से विभाग फॉगिंग आदि शुरू करता है। उन्होंने बताया कि इस बार बारसीलो टेबलेट को डिस्ट्रीब्यूट कर डेंगू व मलेरिया को कंट्रोल करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था, जो बजट के अभाव में अधूरा पड़ा है।

पिछले साल खरीदी गई दवाइयों से काम चलाया गया है। बजट के लिए सारी कुटेशन बनाकर रखी गई हैं। आला अधिकारियों के यहां से बजट सैंक्शन होने में विलंब हो रहा है।

-डॉ। योगेश सारस्वत, डीएमओ