साल 2018 में इतनी गई जानें

- 114 लोगों की मौत बरेली में मलेरिया से हुई

-163 लोगों की जान पड़ोस के जिले बदायूं में गई

-19 लोगों की जान शाहजहांपुर में गई

-10 लोगों की मौत पड़ोस के जिले पीलीभीत में हुई थी

यह भी जानें

-4 जिले बरेली समेत मलेरिया के अतिसंवेदनशील की लिस्ट में

-50 बेड का वार्ड डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मलेरिया के लिए बनाया गया है

-49 पेशेंट बुखार के वार्ड में एडमिट हैं अभी

-7 लाख स्पेशल मच्छरदानी की डिमांड शासन को भेजी गई थी

-485 स्पेशल मच्छरदानी मिली अभी तक

- मलेरिया से पीडि़त मरीज मिलने के बाद भी अभी भी नहीं किए गए इंतजाम

-मोहल्लों में अभी तक नहीं कराई गई फॉगिंग, गंदगी और जलभराव से संक्रमण का खतरा

बरेली। मलेरिया के प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम ने जिले में दस्तक दे दी है। स्वास्थ्य विभाग ने डिस्ट्रिक हॉस्पिटल समेत सभी सीएचसी और पीएचसी को अलर्ट रहने के आदेश दिए हैं। हेल्प डेस्क भी बनाई गई है। साथ ही जिन मोहल्लों में पिछले साल सबसे ज्यादा मलेरिया के मरीज मिले थे, वहां पर सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने के आदेश भी दिए हैं। लेकिन मौजूदा हालातों की बात करें तो डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बने 50 बेड के वार्ड में अभी से 49 पेशेंट बुखार के एडमिट हैं। जबकि मलेरिया ने अभी ढंग से पैर भी नहीं पसारे हैं। हालांकि अभी इन मरीजों में बुखार की पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन आने वाले दिनों में हालात और खराब हो सकते हैं।

न के बराबर मिली स्पेशल मच्छरदानी

मलेरिया के लिहाज से बरेली मंडल के चार जिलों समेत प्रदेश के 18 जिले अतिसंवेदनशील घोषित किए गए हैं। इसी को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओर से शासन को करीब सात लाख स्पेशल मच्छरदानी की डिमांड भेजी गई थी, जिसमें करीब 485 ही मिली हैं। ऐसे में मलेरिया से बचाव कैसे होगा यह सोचने वाली बात है।

यहां हालात अभी भी बदतर

पिछली बार गंदगी वाले मोहल्लों से सबसे ज्यादा फाल्सीपेरम से पीडि़त पेशेंट आए थे और यहां कई लोगों की जान भी गई थी। इसके बावजूद मढ़ीनाथ, सुभाष नगर, शांति विहार, संजय कुमार, गणेश नगर, कटरा चांद खां और पुराना शहर आदि मोहल्लों में कूड़े का अंबार लगा हुआ है। जिससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है।

पिछले साल से नहीं ले रहे सबक

पिछले साल मलेरिया से हुई मौतों के बाद स्वास्थ्य मंत्री को निरीक्षण के दौरान कई खामियां मिली थी। इस पर जिला मलेरिया अधिकारी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी और एक चिकित्साधिकारी को सस्पेंड किया था। इसके बाद भी इस बार हालातों में कोई सुधार नहीं है। मोहल्लों में न तो फॉगिंग कराई गई है। और न ही इससे निपटने के लिए लोगों को जागरूक किया है।

आईवीआरआई को मिली थी जांच

पिछले साल बरेली के आंवला डिवीजन में सबसे ज्यादा मरीज मिले थे। स्वास्थ्य विभाग ने आईवीआरआई के वैज्ञानिकों को बंदरों का ब्लड सैंपल लेकर जांच करने के लिए कहा था क्योंकि दक्षिण पूर्वी एशिया में बंदरों में मलेरिया पैरासाइट, प्लाज्मोडियम नोलेसी का कारण है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने कारण जानने के लिए जांच का आदेश दिया था।

ऐसे करें बचाव

-ताजे पानी में मलेरिया के मच्छर पनपते हैं। इसलिए अपने घरों में या आस-पास पानी न जमा होने दें।

-कूलर में जमा पानी रोज बदलना चाहिए।

-घर की छतों में पड़े कबाड़ और टायर आदि में पानी न जमा होने दें।

-सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।

-फुल स्लीव के कपड़े पहनकर सोएं।