कोलकाता (एएनआई)। गरीबों की मसीहा के रूप में पहचानी जाने वाली व त्याग की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा की आज 110वीं जयंती मनाई जा रही है। ऐसे में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को मदर टेरेसा को उनकी 110 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। मदर टेरेसा (कलकत्ता के संत टेरेसा) को याद करते हुए ममता बनर्जी ने ट्वीट करते हुए कहा कि हमें हमेशा एक-दूसरे से मुस्कुराहट के साथ मिलना चाहिए, क्योंकि मुस्कान प्यार की शुरुआत है। भारत रत्न से सम्मानित मदर टेरेसा 26 अगस्त, 1910 को मेसिडोनिया की राजधानी स्कोप्जे शहर में जन्मीं थी। मदर टेरेसा का असली नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था।


मदर टेरेसा ने बचपन में ही मिशनरी खोलने का प्लान कर लिया था
इनके पिता की मौत तभी हो गई थी जब यह महज 8 साल की थीं। इस दाैरान पूरी फैमिली को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। एक अधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक मदर टेरेसा के मन में गरीबों को देख बचपन से ही उथल पुथल होने लगती थी। ऐसे में मदर टेरेसा ने बचपन में ही मिशनरी खोलने का प्लान कर लिया था। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह जब 18 साल की उम्र की थी तभी उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था। इस दाैरान तमाम उतार चढ़ाव आए। 1948 में, टेरेसा ने चर्च छोड़ने का फैसला किया और कोलकाता में गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए झुग्गी-झोपड़ी में जीवन शैली अपनाई।
मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार लेने से किया था इंकार
1950 में, उन्होंने रोमन कैथोलिक धार्मिक मण्डली की आधारशिला रखी, जिसे अब मिशनरीज ऑफ चैरिटी के नाम से जाना जाता है। मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाना था लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया और उन्होंने जूरी से इसकी 192,000 डॉलर की धन-राशि मिली भारत के गरीब लोगों में देने का आग्रह किया। 2003 को रोम में मदर टेरेसा को धन्य घोषित किया था। वहीं सितंबर 2017 में, मदर टेरेसा को कोलकाता में वंचितों और गरीबों की मदद करने की दिशा में अपनी निस्वार्थ सेवा के लिए वेटिकन पोप द्वारा कलकत्ता के आर्कडिओसी के संरक्षक संत घोषित किया गया था।

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