जी हां,  ममता बनर्जी की सरकार शनिवार को हुगली पार बनी एक चौदह मंज़िला इमारत में चली जाएगी. यह कहना ज्यादा सही होगा कि पश्चिम बंगाल की राजधानी कहलाने का श्रेय अब कोलकाता की बजाए कुछ अर्से के लिए हावड़ा को मिलेगा. इसकी वजह है कि राइटर्स बिल्डिंग को मरम्मत की ज़रूरत है.

यह काम कोई साल भर तक चलेगा और इस पर दौ सौ करोड़ रूपए से ज्यादा ख़र्च होंगे.

इतिहास

थॉमस लायन ने सत्ता के केंद्र राइटर्स बिल्डिंग का डिज़ाइन तैयार किया था. साढ़े चार लाख वर्ग फ़ीट में फैली इस ऐतिहासिक इमारत में 180 कमरे हैं. यह पहला मौक़ा है जब बंगाल का शासन राजधानी कोलकाता से बाहर स्थित किसी इमारत से चलाया जाएगा.

हुगली पार ममता सरकार

राइटर्स बिल्डिंग में कोई साढ़े चार हज़ार कर्मचारी काम करते हैं और मंत्रियों और अफ़सरों से मुलाक़ात के लिए रोज़ाना बाहर से लगभग 10 हज़ार लोग यहां पहुंचते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह इमारत बारूद के ढेर पर बैठ गई थी. इसमें कई बार आग लग चुकी थी. बिजली के तारों के मकड़जाल और जहां-तहां बने गुमटीनुमा कमरों की वजह से किसी बड़े अग्निकांड की स्थिति में इस भवन को बचाना लगभग नामुमकिन हो गया था.

फ़ायर ब्रिगेड मंत्री जावेद अहमद ख़ान कहते हैं, ''राइटर्स बिल्डिंग की मरम्मत बेहद ज़रूरी है. इस इमारत को आग से बचाने के लिए यहां काम करने वाले लोगों को कहीं दूसरी जगह ले जाना ज़रूरी हो गया था.''

वर्ष 1776 में बनी यह इमारत समय की मार और उपेक्षा के चलते बेहद जर्जर हो चुकी है.

नई इमारत

अब हावड़ा ज़िले में हुगली के किनारे जिस नई इमारत में सत्ता का केंद्र शिफ्ट हो रहा है वह हुगली रिवर ब्रिज कमीशन (एचआरबीसी) की है. इन इमारत की सबसे ऊपरी मंज़िल पर  मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दफ़्तर होगा. 11 सरकारी विभाग शनिवार से यहां काम करने लगेंगे. इनमें से ज्यादार विभाग मुख्यमंत्री के ही अधीन हैं.

इस स्थानांतरण से सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा परेशान हैं. उनका कहना है कि तमाम फ़ाइलों को सुव्यवस्थित कर काम को सूचारू रूप से चलाने में ही महीनों गुज़र जाएंगे. तीन मंत्रियों समेत सैकड़ों कर्मचारियों ने शुक्रवार से ही नए भवन में काम शुरू कर दिया है. राइटर्स बिलिडंग स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय का फ़र्नीचर भी यहां पहुंच गया है.

हालांकि शुक्रवार को पूरी इमारत में अफ़रा-तफ़री का माहौल था. बचे-खुचे काम को युद्धस्तर पर पूरा किया जा रहा था. अब ममता शनिवार को इसका औपचारिक उद्घाटन करेंगी. ज़िला बदलने के बावजूद मौजूदा परंपरा के उलट इस इमारत की भीतरी सुरक्षा का ज़िम्मा कोलकाता पुलिस को सौंपा गया है जबकि बाहरी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी हावड़ा ज़िला पुलिस पर होगी.

"अब हावड़ा जिले में हुगली के किनारे जिस नई इमारत में सत्ता का केंद्र शिफ्ट हो रहा है वह हुगली रिवर ब्रिज कमीशन (एचआरबीसी) की है. इन इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दफ्तर होगा."

सरकार ने हावड़ा ज़िले में ही नया सचिवालय भवन बनाने की भी योजना बनाई है. उसमें कम से कम चार साल का समय लगेगा.

मरम्मत पर ख़र्च

राइटर्स बिल्डिंग के जीर्णोद्धार और मरम्मत पर लगभग दो सौ करोड़ रुपए ख़र्च होंगे और इसमें लगभग एक साल का समय लगेगा. ऐतिहासिक धरोहरों की सूची में शुमार इस इमारत का बाहरी ढांचा जस का तस रखते हुए इसे ममता की इच्छा के अनुरूप कॉरपोरेट लुक दिया जाएगा.

 ममता की देख-रेख में यह पूरा काम राज्य लोक निर्माण विभाग करेगा. इस परियोजना में यादवपुर और शिवपुर तकनीकी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने भी सहायता दी है.

पीडब्ल्यूडी मंत्री सुदर्शन घोष दस्तीदार कहते हैं, ''राइटर्स के जीर्णोद्धार का काम अंतरराष्ट्रीय स्तर का होगा.''

हुगली पार ममता सरकार

अंग्रेज़ों के शासनकाल में राइटर्स बिल्डिंग ईस्ट इंडिया कंपनी के राइटरों या क्लर्कों के लिए बनाई गई थी. उसी वजह से इसका नाम राइटर्स बिल्डिंग रखा गया था.

लोगों में ख़ुशी

सत्ता का केंद्र हावड़ा ज़िले के शिवपुर इलाक़े में जाने से स्थानीय लोगों में भारी ख़ुशी है. शिवपुर के एक स्थानीय क्लब के अध्यक्ष आलोक गुप्ता कहते हैं, ''हावड़ा पांच सौ साल पुराना है.

यह पहला मौक़ा है जब किसी मुख्यमंत्री ने इस जगह को अहमियत देते हुए सत्ता का केंद्र यहां स्थानांतरित करने का फ़ैसला किया है.''

रिटायर्ड प्रोफ़ेसर दिनेश दासगुप्ता कहते हैं, ''हावड़ा का इतिहास पांच सौ साल पुराना है और कोलकाता का तीन सौ साल. हम चाहते हैं कि दीदी (ममता) स्थायी तौर पर यहीं से सरकार चलाएँ. इससे इलाक़े का दिन दूना रात चौगुना विकास होगा.''

विपक्ष नाराज़

सत्ता के केंद्र के स्थानांतरण के  ममता के फ़ैसले से विपक्षी सीपीएम में भारी नाराज़गी है. उसने इसकी तुलना मोहम्मद बिन तुलगक़ के अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद ले जाने के साथ की है.

हुगली पार ममता सरकार

पार्टी ने इस फ़ैसले पर श्वेतपत्र जारी करने की भी मांग उठाई है.

विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र आरोप लगाते हैं, ''सरकार ने असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ही राजधानी हावड़ा ले जाने का फ़ैसला किया है. सरकार को इस पर श्वेतपत्र जारी करना चाहिए. ''

वह कहते हैं कि राइटर्स बिल्डिंग की मरम्मत चरणबद्ध तरीक़े से की जा सकती थी. महज़ स्थानांतरण में ही करोड़ों का ख़र्च आया है. विपक्ष के मुताबिक़, सरकार का यह फ़ैसला तानाशाही का नमूना है.

लेकिन ममता को इन आलोचनाओं की कोई परवाह नहीं है. वह कहती हैं, ''पूर्व वाम मोर्चा सरकार ने राइटर्स को लाक्षा गृह बना दिया था. अब मेरी सरकार उसकी ग़लतियों को सुधारने का प्रयास कर रही है.''

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