- जैन मुनि ने कहा, दुनिया में कोई अमीर अपना अतीत नहीं खरीद सकता

-शनिवार को श्रद्धा का ऐसा सैलाब उमड़ा कि पंडाल भी कम पड़ गया

Meerut : भैंसाली मैदान में शनिवार को हुई अमृतवर्षा ने श्रद्धालुओं को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। भक्ति और श्रद्धा की लहरें मिलीं तो अध्यात्म का संचार हो उठा। क्रांतिकारी राष्ट्रसंत जैनमुनि तरुण सागर महाराज ने भौतिक व लौकिक सुख का भावपूर्ण अंतर बताया। गूढ़ता भरी शैली में परमपिता का सान्निध्य और भक्त के परमात्मा से मिलन का मार्ग सुझाया। जीवन के रहस्य एवं जीवनशैली में सुधार से प्रभुमिलन का अर्थ बताया तो श्रद्धालु मुग्ध हो गए। शनिवार को श्रद्धा का ऐसा सैलाब उमड़ा कि पंडाल भी कम पड़ गया। मुनिश्री के प्रवचन सुनने के लिए श्रद्धालु बाहर तक खड़े रहे।

सबकुछ छोड़ना होगा

क्रांतिकारी राष्ट्रसंत जैनमुनि तरुण सागर महाराज ने तीसरे दिन भक्ति की गंगा बहायी। उन्होंने कहा कि कुछ-कुछ पाना है तो कुछ-कुछ छोड़ो, बहुत कुछ पाना है तो बहुत कुछ छोड़ो और अगर सबकुछ पाना है तो सबकुछ छोड़ना होगा। महावीर, बुद्ध जैसे महापुरुषों ने सबकुछ पाने के लिए घर-परिवार राजपाट सबकुछ छोड़ दिया और सबकुछ (परमात्मा) को पा भी लिया।

मुस्कुराहट का फैशन

मुनिश्री ने कहा कि मोबाइल और स्माइल दो चीजे हैं। हाथ में मोबाइल भले न हो पर चेहरे पर स्माइल हर हाल में रहनी चाहिए। क्योंकि आदमी स्मार्ट मोबाइल से नहीं बल्कि स्माइल से बनता है। दुनिया में अभी तक ऐसा कोई अमीर पैदा नहीं हुआ जो अपने अतीत को खरीद सके और ऐसा गरीब भी पैदा नहीं हुआ जो मुस्कुराहट का भी दान न कर सके। हर हाल में मुस्कुराते रहें क्योंकि मुस्कुराहट ही एक ऐसा फैशन है जो कभी आउट नहीं होता।

दुख है दामाद

सांसारिक उलझनों से बढ़ती प्रभु से दूरी पर कहा कि आदमी अपने बच्चों के भविष्य की चिंता करे तो समझ में आता है, पर आज का आदमी बच्चों के बच्चों की चिंता कर रहा है। यह गलत है। ऐसा करने वालों से सवाल किया कि क्यूं चिंता करते हो क्या वे विकलांग पैदा होंगे। मुनिश्री ने कहा कि सुख चाचा है और दुख दामाद है, पर स्वागत तो दोनों का ही होता है। जीवन में सुख आए या दुख दोनों का ही स्वागत होना चाहिए। दुख ढीठ मेहमान है, आएगा जरूर। मगर आपको ध्यान रखना है कि दुख से कैसे मुकाबला कैसे करें।

जिंदा हैं दुर्याेधन-दुशासन

जैनमुनि ने कहा कि महाभारत के दो पात्र आज भी जिंदा हैं और वो हैं दुर्याेधन और दुशासन। अन्याय और अनीति का धन ही दुर्याेधन और भ्रष्टाचार का शासन ही दुशासन है। अन्याय से कमाया हुआ धन खाया तो जा सकता है पर पचाया नहीं जा सकता। मुनिश्री ने कहा कि फ्0 सालों से भ्रमण कर रहा हूं, लोग पूछते हैं कि फ्0 सालों की साधना, तपस्या में क्या जोड़ा है। मैं कहता हूं कि मैंने छोड़ने के नाम पर ही छोड़ा है और जोड़ने के नाम पर इंसान को इंसान से जोड़ा है।

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बच्चों ने दी भक्तिमय प्रस्तुति

सत्संग से पहले ऋषभ एकेडमी के बच्चों ने भक्तिमय नृत्य की प्रस्तुति से मन मोहा। लोगों ने तालियां बजाकर बच्चों का उत्साहवर्धन किया। कैंट के पूर्व विधायक अमित अग्रवाल, आयकर अधिकारी कमल जैन, डिप्टी कमिश्नर गोपाल तिवारी ने श्रीफल भेंटकर आशीष लिया। दीप प्रज्जवलन कर शुभारंभ किया गया। आनंद प्रकाश, अनिल कुमार, मानवेंद्र कुमार, मृदुल जैन, योगेश चंद्र जैन, विमल प्रसाद जैन आदि ने मांगलिक कार्यक्रम संपादित किए। सुरेश जैन रितुराज, विनेश जैन, रंजीत जैन, दिनेश जैन आदि का सहयोग रहा। आयोजन समिति के प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि भारी भीड़ के कारण टेंट छोटा पड़ गया, देर शाम इसका और विस्तार किया गया है। रविवार को सुबह 8.फ्0 बजे से प्रवचन होंगे।