- गुपचुप तरीके से पुलिस ने हॉस्पिटल में भर्ती कराकर परिजनों को दी सूचना

- युवक के परिजनों ने लगाया पुलिस पर मारने-पीटने का आरोप

- प्रेमिका को भगाने के आरोप में पुलिस ने किया था अरेस्ट

GORAKHPUR: पुलिस हिरासत में एक प्रेमी ने जहर खा लिया। हालत बिगड़ने पर पुलिस ने उसे गुपचुप तरीके से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भर्ती कराया और परिजनों को सूचना देकर अपने क‌र्त्तव्य की इतिश्री कर ली। पिछले चौबीस घंटे से युवक की हालत घंटे दर घंटे बिगड़ती जा रही है। पुलिस ने युवक का हाल लेना तो दूर हॉस्पिटल में झांकना तक मुनासिब नहीं समझा। पुलिस की इस कार्यप्रणाली ने कई सवाल खड़े कर दिए है। वहीं परिजनों का आरोप है कि युवक की हालत पुलिस हिरासत में बिगड़ी है। जबकि हॉस्पिटल युवक का इलाज जहरीला पदार्थ खाने के चलते चल रहा है।

संतकबीर नगर से पकड़ा था पुलिस ने

सहजनवां के बरसाड़ निवासी सरोज कुमार पांडेय का बेटा अमित (ख्फ्) प्राइवेट जॉब करता है। उसका अफेयर जगदीश में रहने वाली एक युवती से था। परिवार के विरोध के चलते दोनों कुछ दिन पहले घर से भाग गए थे। युवती के परिजनों ने अमित के खिलाफ बहलाफुसला कर भगाने का आरोप लगाकर शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस टीम ने सोमवार को अमित और उसकी प्रेमिका को संतकबीर नगर के उसका एरिया से पकड़ा था। पुलिस ने युवती को बयान के लिए महिला थाना भेज दिया, जबकि अमित को अरेस्ट कर लिया।

पुलिस की भूमिका संदिग्ध

इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध रही है। इस तरह संवेदनहीन तरीके से कई पुलिसिया कार्रवाई ने पुलिस की कार्यप्रणामाली पर कई सवाल खड़े कर दिए है।

-जब पुलिस ने क्भ् सितंबर को अमित को हिरासत में लिया था और उसकी प्रेमिका को महिला थाने भेज दिया तो फिर उसे कोर्ट में पेश क्यों नहीं किया?

-चौबीस घंटे तक उसे क्यों थाने में ही बैठाए रखा गया।

वहींपुलिस का कहना है कि अमित मिर्गी का मरीज है और उसने इसकी दवा खाई थी, लेकिन खाली पेट होने की वजह से दवा रिएक्ट कर गई। पुलिस का यह तर्क भी हजम नहींहो रहा है और कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

- क्या हिरासत में कोई भी आरोपी बिना जांच के दवा खा सकता है?

-दवा की जांच पड़ताल क्यों नहीं हुई?

-आखिर अमित के पास दवा कैसे पहुंची?

अज्ञात में क्यों दर्ज कराया पुलिस ने

हालत बिगड़ने पर अमित को पहले इलाज के लिए स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल रिफर कर दिया। डिस्ट्रिक्ट में पुलिस कांस्टेबल जितेन्द्र ने अमित को भर्ती कराया था। अमित का नाम तो रजिस्टर में दर्ज था, लेकिन उसके पते की जगह अज्ञात लिखा था। इस बात का भी जिक्र नहीं था कि उसे किस थाने से लेकर आया गया है। रजिस्टर में दर्ज थाना भी अज्ञात लिखा गया था। जबकि पुलिस अमित के मकान का पता जानती थी। उसे भर्ती कराने के बाद दो सिपाही अमित के घर पहुंचे और उसके परिनजों को उसके हॉस्पिटल में भर्ती होने की सूचना दी थी।

परिजन लगा रहे आरोप

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में बेड नंबर फ्म् में भर्ती अमित को चौबीस घंटे बाद भी होश नहीं आया। डॉक्टर उसका इलाज जहरीला पदार्थ खाने के चलते कर रहे हैं। उसके शरीर पर चोट के निशान कुछ और कहानी बयां कर रहे है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस हिरासत में उसे मारपीट कर जहरीला पदार्थ खिलाया गया है। यह आरोप कितना सच है उसका खुलासा अमित के होश में आने के बाद हो सकेगा। उधर पुलिस का कहना है कि लड़की बालिग है और उसे बयान के लिए महिला थाने भेजा गया है। बयान दर्ज होने के बाद दोनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा।

वर्जन-

युवक को लड़की के भगाने के मामले में संतकबीर नगर से अरेस्ट किया गया था। युवक मिर्गी का मरीज है और उसने पुलिस हिरासत में मिर्गी की दवा खाई थी। खाना न खाने के चलते दवा रिएक्शन कर गई। हालत बिगड़ने पर पुलिस अभिरक्षा में उसे डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भर्ती करा परिनजों को सूचना दी गई थी।

श्रीप्रकाश यादव,

एसओ, सहजनवां