RANCHI: सिल्ली में चल रही वेलफेयर बिल्डिंग एंड स्टेट प्राइवेट लिमिटेड को सील कर मैनेजर सचिन कुमार महतो को जेल भेज दिया गया लेकिन पूरी साजिश को अंजाम देने वाला मास्टरमाइंड आसानी से पुलिस की पकड़ से बाहर फरार हो चुका है। पुलिस ने 48 घंटे तक मैनेजर को हिरासत में रखा लेकिन उससे पूछताछ कर मामले से जुड़ी कंपनी के पदाधिकारियों पर हाथ तक नहीं डाला। लोकल पुलिस कंपनी पर नकेल कस रही है या कंपनी से जुड़े अधिकारियों को रियायत दे रही है, यह वरीय पुलिस अधिकारियों के लिए जांच का विषय है।

सीबीआई रिपोर्ट को मुरी पुलिस ने नकारा

विदित हो कि रांची पुलिस की रिपोर्ट सीधे सीबीआई की रिपोर्ट से टकरा गई है। एक तरफ जहां सीबीआई ने कंपनी के खिलाफ जांच कर कंपनी पर चिटफंड कारोबार करने, सेबी के नियमों का उल्लंघन करने और जमीन के नाम पर जालसाजी करने का आरोप लगाते हुए अपनी चार्जशीट फाइल की है, वहीं दूसरी तरफ रांची पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा है कि कंपनी रियल इस्टेट का काम करती है। रांची पुलिस को मामले की जांच के लिए सीएम जनसंवाद के माध्यम से शिकायत की गयी थी। पुलिस ने जांच के नाम पर खानापूर्ति करते हुए कंपनी को मदद पहुंचाते हुए जांच रिपोर्ट समर्पित कर दी।

दिसम्बर 2018 में सीबीआई ने फाइल की चार्जशीट

12 दिसम्बर 2018 को सीबीआई ने आरसी 28 (एस)/ 2017 में कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए चार्जशीट फाइल कर दी। इस चार्जशीट में साफ लिखा है कि कंपनी में जिन निवेशकों ने रुपये लगाए हैं उन्होंने आंध्र प्रदेश या देश के किसी कोने में भी किसी जमीन या मकान के लिए रुपये नहीं दिए हैं बल्कि हाई रिटर्न पाने के लिए रुपयों का निवेश किया है। यह चिटफंड कारोबार है जिसके लिए सेबी या अन्य फाइनांस संबंधित अथॉरिटी की अनुमति भी नहीं ली गयी है।

19 जून 2019 में मुरी ओपी ने की रिपोर्ट

19 जनवरी 2019 को मुरी ओपी (रांची पुलिस) के धनंजय साहू ने कंपनी पर जांच करते हुए रिपोर्ट कर दी कि कंपनी के अधिकारियों ने जो दस्तावेज सौंपा है उसके अनुसार यह कंपनी रियल इस्टेट की कंपनी प्रतीत होती है। इस रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि मामले की जांच सीबीआई कर रही है। बकायदा सीबीआई केस का नम्बर तक दर्ज है लेकिन जांच अधिकारी ने ना तो केस का स्टेटस पता किया ना ही सघन जांच की।

ऊपर लिखा रियल इस्टेट कंपनी, नीचे चिटफंड कंपनी

रांची पुलिस की रिपोर्ट में जहां ऊपर लिखा है कि कंपनी रियल इस्टेट की कंपनी है वहीं उसी रिपोर्ट में नीचे लिखा है कि चिटफंड कंपनियों का कारोबार खराब हो गया है, इसलिए इस कंपनी में रुपया जमा नहीं किया जा रहा है। पूरी रिपोर्ट पढ़ने से साफ है कि जांच की रिपोर्ट कंपनी के अधिकारियों के ईशारे पर तैयार की गई।

पुलिस जांच में किसी स्थानीय का बयान नहीं

पुलिस ने सीएम जनसंवाद मामले में हुए आदेश के बाद जो जांच रिपोर्ट दी है, उसमें कहीं भी स्थानीय लोगों से पूछताछ या बयान जैसी कोई बात नहीं है। पुलिस ने अपने स्तर से मामले की कोई जांच ही नहीं की, बल्कि सीएम के आदेश को भी ठेंगा दिखा दिया।

पुलिस का संरक्षण, लोग भयभीत

इलाके के जानकारों का कहना है कि कंपनी के अधिकारियों का लोकल पुलिस के साथ काफी गहरा संबंध रहा है। इस बात की पुष्टि कंपनी के खिलाफ हुई पुलिस रिपोर्ट भी कर रही है। यही कारण है कि कंपनी के खिलाफ लोग पुलिस कंप्लेन करने से डर रहे हैं कि कहीं पुलिस उल्टा उन्हें ही ना फंसा दे।

दोषी कितना भी हाईप्रोफाइल व्यक्ति हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस मामले की जांच कर रही है और लोकल पुलिस की भी हर एक्टिविटी पर नजर है।

अनीश गुप्ता, एसएसपी, रांची