-मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा में नहीं थम रहा है दलालों का आतंक,

-इनसे बचाने के लिए पीडि़त मरीज व तीमारदार एसआईसी से लगा रहे गुहार

-हॉस्पिटल में प्राइवेट मेडिकल स्टोर्स से लेकर पैथालॉजी, एक्सरे सेंटर्स व फर्जी मेडिकल बनवाने वाले दलालों का है दबदबा

VARANASI

एसएसपीजी मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा में दलालों का सिंडिकेट खत्म होने के बजाय दिन ब दिन और मजबूत ही होता जा रहा है। हॉस्पिटल में दलाली की तीन पुश्तों से चली आ रही परिपाटी थमने का ना नहीं ले रही है। खुद मेडिकल ऑफिसर्स भी इस सिंडिकेट को तोड़ पाने में असमर्थता जाहिर कर रहे हैं। उनकी मानें तो तीन पुश्तों से चली आ रही दलाली के इस रोग का इलाज करना किसी के वश में नहीं है। हां, यदि पुलिस प्रशासन का चाबुक चले तो फिर अस्पताल में दलालों की परछाई तक न दिखे। दलालों के चंगुल में फंसने वाले पीडि़त मरीज व तीमारदार इनसे बचाने के लिए प्रमुख अधीक्षक से गुहार लगा रहे हैं। सालों से जमे यहां के कुछ डॉक्टर भी साइड से कमाई के लिए प्राइवेट मेडिकल स्टोर्स, एक्सरे, पैथालॉजी सेंटर्स से सांठगांठ कर लिए हैं। हॉस्पिटल के कुछ स्टाफ भी हैं जो फर्जी मेडिकल बनवाने के खेल में शामिल हैं।

जहां देखिए, वहीं मिल जाएंगे

पुरानी बिल्डिंग के अधिकतर ओपीडी, पैथालॉजी सेंटर, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, ऑपरेशन थिएटर के अलावा न्यू बिल्डिंग के सभी ओपीडी में दलाल एक्टिव हैं। ये इतने मजबूत स्थिति में हैं कि स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों का दौरा होता है तब भी वह बेखौफ होकर अपना काम जारी रखते हैं। बाकायदा स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के ओपीडी में बैठकर रजिस्टर मेंटेन करते हैं और मरीजों को दवा खाने का तौर तरीका भी बताते हैं।

आधे से ज्यादा स्टाफ हैं शामिल

दलाली के इस खेल में हॉस्पिटल के आधा से ज्यादा स्टाफ भी शामिल हैं। कुछ ऐसे भी स्टाफ हैं जिनका बाहर में मेडिकल स्टोर, पैथालॉजी, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड सेंटर्स धड़ल्ले से चल रहा है। यह खुलासा हॉस्पिटल के ही एक सीनियर डॉक्टर ने किया है। उनकी मानें तो हॉस्पिटल में दलाली का यह खेल इन्हीं स्टाफ की शह पर चल रहा है। भोले-भाले गरीब मरीजों को अपने बहकावे में लेकर बेहतर इलाज के नाम पर उनसे पैसा ऐंठते हैं।

एक सर्जन पर लगा था आरोप

बता दें कि हाल ही में मंडलीय हॉस्पिटल के ही एक सर्जन डॉक्टर पर लोहता निवासी मुहम्मद इमरान ने ऑपरेशन करने के नाम पर पैसे मांगने का आरोप लगाया था। एक दलाल के थ्रू उससे पांच हजार रुपये की डिमांड की गई थी। पैसा नहीं देने पर उसे दो बार इमरजेंसी वॉर्ड से बाहर निकाल दिया था। पीडि़त ने इसकी कम्पलेन डीएम, एसआईसी सहित स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों से भी की थी। लेकिन इस आरोप के बाद भी हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।

अस्पताल से दलालों को खदेड़ने के लिए कई बार अभियान चलाया जा चुका है। लेकिन लोकल होने के कारण अस्पताल में उनकी घुसपैठ जबरदस्त है। पुलिस प्रशासन का यदि सहयोग मिले तो दलालों का प्रवेश वर्जित हो जाए।

डॉ। सीपी कश्यप

एसआईसी

मंडलीय हॉस्पिटल, कबीरचौरा

मंडलीय हॉस्पिटल पर एक नजर

-कुल वॉर्ड क्ब्

-कुल बेड फ्क्म्

-मरीज लगभग फ्00 हैं एडमिट

-पूर्वाचल सहित बिहार से आते हैं यहां पेशेंट्स

-डेली बारह से पंद्रह सौ के बीच कटती है ओपीडी पर्ची।

-यहां हर जांच होती है फ्री

-एक दर्जन से अधिक चलते हैं ओपीडी