बिहार भूकंप की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील जोन फाइव में आता है। इसमें बिहार के 15.2 प्रतिशत क्षेत्र और 1.6 करोड़ जनसंख्या रहती है। जोन फोर में बिहार का 64 प्रतिशत क्षेत्र और लगभग 6.6 करोड़ जनता निवास करती है। बिहार में भूकंप की संवेदनशीलता को बिहार के भू-क्षेत्र में पडऩे वाले सब - फास्ट लाइनों के कारण भी प्रभावित होती है। यही वजह है कि 1934 में बिहार नेपाल की सीमा पर आने वाले भूकंप में मुंगेर भयानक रूप से प्रभावित हुआ था। सुपर सेस्मेटिक जिलों की बात करें तो उसमें पटना से मुंगर तक पैरलल रेखा जाती है। बिहार में गंगा के किनारे के ज्यादातर जिले इसमें आते हैं.
कितने को मिलेगी ट्रेनिंग
आपदा प्रबंधन विभाग को मालूम है कि बिहार अति संवेदनशील एरिया है इसलिए विभाग ने इसको लेकर कई तरह के कार्यक्रम भी चलाए। हाल में मुख्यमंत्री ने भी आपदा प्रबंधन विभाग की उच्चस्तरीय बैठक में कई निर्देश दिए। साल 2012-13 से भूकंपरोधी मकान से जुड़ी योजना बिहार सरकार से स्वीकृत है। दो हजार इंजीनियरों और 15 हजार राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। प्रशिक्षण के लिए प्रोजेक्ट विपार्ट द्वारा तैयार कराया गया था। बीएसडीएम की देखरेख में यह प्रशिक्षण दिया जाना था। विपार्ड को 2 करोड़ रुपए की राशि उपलध कराई गई है। इसके तहत 300 से ज्यादा इंजीनियर्स को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार अब बीएसडीएम सीधे इसके लिए प्रशिक्षण देगा। यहां दो विशेषज्ञ इंजीनियर हैं.
बिल्ंिडग बॉयलॉज में संशोधन पर जमीन पर लागू नहीं
सरकार ने बिल्ंिडंग बॉयलॉज में भूकंप की आशंका को देखते हुए संशोधन किया है। इसके तहत भूकंपरोधी मकान बनाने पर जोर दिया गया है। पटना में ज्यादातर मकान भूकंप को ध्यान में रखकर बनाए ही नहीं गए हैं। अपार्टमेंट्स में पीलर वाले पांिर्कंग भूकंप के नजरिए से खतरनाक हैं इसके बावजूद राजधानी में ऐसे अपार्टमेंट्स धड़ल्ले से बन रहे हैं.
19 हजार स्वयंसेवक
आपदा प्रबंधन विभाग ने भूकंप और बाढ़ से जुड़ी ट्रेनिंग के लिए बड़ी पहल करते हुए बिहार के हर पंचायत से 5-5 लोगों का चयन किया। इस तरह 19 हजार लोगों को आपदा की ट्रेनिंग दी गई। ये वैसे स्वयंसेवक हैं जो बाढ़ या भूकंप के समय लोगों की मदद भी करेंगे.
स्कूलों में बच्चों को ट्रेनिंग
भूकंप के दरम्यान सबसे ज्यादा डर जाते हैं बच्चे। कई बार स्कूलों मेंं बच्चों के बीच भगदड़ मच जाती है। पटना में तो कई स्कूलों से एक बार में इतने सारे बच्चे सीढिय़ों से नीचे उतर भी नहीं सकते। इसलिए विभाग की ओर से कई सरकारी कार्यालयों में तो मॉकड्रिल कराया ही। कई स्कूलों के बच्चों को भी ट्रेनिंग दी। स्कूलों में ट्रेनिंग के लिए 3 करोड़ रुपए दिए गए हैं.
कैलेंडर बनाकर लगातार मॉकड्रिल का अभ्यास जरूरी है। स्कूलों से लेकर ऑफिस तक में यह जरूरी है। भूकंप के पहले कंपन का एहसास होने पर ड्रॉप, कवर, होल्ड की दशा में रहने की जरूरत है। भूकंप के दौरान शांत रहिए और आत्मविश्वास से पूर्ण रहिए। लगभग दो मिनट के बाद भूकंप के झटकों के रूकने के बाद बाहर निकलिए.
-विपिन कुमार राय, विशेष कार्य पदाधिकारी, आपदा प्रबंधन विभाग
बिहार भूकंप की दृष्टि से सर्वाधिक संवेदनशील जोन फाइव में आता है। इसमें बिहार के 15.2 प्रतिशत क्षेत्र और 1.6 करोड़ जनसंख्या रहती है। जोन फोर में बिहार का 64 प्रतिशत क्षेत्र और लगभग 6.6 करोड़ जनता निवास करती है। बिहार में भूकंप की संवेदनशीलता को बिहार के भू-क्षेत्र में पडऩे वाले सब - फास्ट लाइनों के कारण भी प्रभावित होती है। यही वजह है कि 1934 में बिहार नेपाल की सीमा पर आने वाले भूकंप में मुंगेर भयानक रूप से प्रभावित हुआ था। सुपर सेस्मेटिक जिलों की बात करें तो उसमें पटना से मुंगर तक पैरलल रेखा जाती है। बिहार में गंगा के किनारे के ज्यादातर जिले इसमें आते हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग को मालूम है कि बिहार अति संवेदनशील एरिया है इसलिए विभाग ने इसको लेकर कई तरह के कार्यक्रम भी चलाए। हाल में मुख्यमंत्री ने भी आपदा प्रबंधन विभाग की उच्चस्तरीय बैठक में कई निर्देश दिए। साल 2012-13 से भूकंपरोधी मकान से जुड़ी योजना बिहार सरकार से स्वीकृत है। दो हजार इंजीनियरों और 15 हजार राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। प्रशिक्षण के लिए प्रोजेक्ट विपार्ट द्वारा तैयार कराया गया था। बीएसडीएम की देखरेख में यह प्रशिक्षण दिया जाना था। विपार्ड को 2 करोड़ रुपए की राशि उपलध कराई गई है। इसके तहत 300 से ज्यादा इंजीनियर्स को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार अब बीएसडीएम सीधे इसके लिए प्रशिक्षण देगा। यहां दो विशेषज्ञ इंजीनियर हैं।
सरकार ने बिल्ंिडंग बॉयलॉज में भूकंप की आशंका को देखते हुए संशोधन किया है। इसके तहत भूकंपरोधी मकान बनाने पर जोर दिया गया है। पटना में ज्यादातर मकान भूकंप को ध्यान में रखकर बनाए ही नहीं गए हैं। अपार्टमेंट्स में पीलर वाले पांिर्कंग भूकंप के नजरिए से खतरनाक हैं इसके बावजूद राजधानी में ऐसे अपार्टमेंट्स धड़ल्ले से बन रहे हैं।
19 हजार स्वयंसेवक
आपदा प्रबंधन विभाग ने भूकंप और बाढ़ से जुड़ी ट्रेनिंग के लिए बड़ी पहल करते हुए बिहार के हर पंचायत से 5-5 लोगों का चयन किया। इस तरह 19 हजार लोगों को आपदा की ट्रेनिंग दी गई। ये वैसे स्वयंसेवक हैं जो बाढ़ या भूकंप के समय लोगों की मदद भी करेंगे।
स्कूलों में बच्चों को ट्रेनिंग
भूकंप के दरम्यान सबसे ज्यादा डर जाते हैं बच्चे। कई बार स्कूलों मेंं बच्चों के बीच भगदड़ मच जाती है। पटना में तो कई स्कूलों से एक बार में इतने सारे बच्चे सीढिय़ों से नीचे उतर भी नहीं सकते। इसलिए विभाग की ओर से कई सरकारी कार्यालयों में तो मॉकड्रिल कराया ही। कई स्कूलों के बच्चों को भी ट्रेनिंग दी। स्कूलों में ट्रेनिंग के लिए 3 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
कैलेंडर बनाकर लगातार मॉकड्रिल का अभ्यास जरूरी है। स्कूलों से लेकर ऑफिस तक में यह जरूरी है। भूकंप के पहले कंपन का एहसास होने पर ड्रॉप, कवर, होल्ड की दशा में रहने की जरूरत है। भूकंप के दौरान शांत रहिए और आत्मविश्वास से पूर्ण रहिए। लगभग दो मिनट के बाद भूकंप के झटकों के रूकने के बाद बाहर निकलिए।
-विपिन कुमार राय, विशेष कार्य पदाधिकारी, आपदा प्रबंधन विभाग
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