पहली बात, क्या देसी रोल करना आपका सोचा-समझा डिसीजन है?

जब मेरे पास ऑफर आते हैं तो मैं बेस्ट चुनने की कोशिश करता हूं. मैं इसे रूरल या अर्बन जैसे सीमित नजरिए से नहीं देखता. मुझे अच्छा लगता है कि आज-कल ऐसी कहानियां दिखाई जा रही हैं. ये 80 या 90 के डिकेड में नहीं होता था. और वैसे भी, अगर मैं ऐसे रोल्स नहीं करूंगा तो और कौन करेगा (मुस्कुराते हैं)?

... और निगेटिव रोल्स प्रिफर करने के पीछे क्या वजह है?MAnoj Bajpai

असल में चीजें अक्सर ग्रे होती हैं. अनफॉर्चुनेटली, ये सिर्फ इंडियन सिनेमा है जहां पॉजिटिव और निगेटिव के बीच की लाइन इतनी गहरी है. ये भी एक वजह है जो मेरे फेलो एक्टर्स अक्सर निगेटिव रोल करने से बचते हैं.

अपनी आने वाली फिल्म में अपने कैरेक्टर के बारे में कुछ बताइए?

ये बंदा बेहद खुदगर्ज है और इसका मॉरल्स से कोई वास्ता नहीं है. ये वायलेंट है और अपनी बीवियों के हाथों पिटता है. इन सारी कमियों के बाद भी, ये पसंद किए जाने लायक है.

क्या आप फिल्म में अपनी परफॉर्मेंस से सेटिस्फाइड हैं?

मैं बेहतर कर सकता था. मैं कभी अपने काम से सेटिस्फाई नहीं हो पाता, फिर वो बैंडिट क्वीन का मान सिंह हो या पिंजर का राशिद या सत्या का भीखू म्हात्रे.

सत्या की बात करें तो आपने धमाकेदार शुरुआत की. क्या आपको लगता है कि इसने आपके खिलाफ काम किया?

नहीं. आप सत्या को बेअसर नहीं मान सकते, ना ही मेरे किसी और कैरेक्टर को. मैं सिर्फ अपने अचीवमेंट्स पर अटक कर नहीं रह सकता. क्या ये बतौर स्क्रीन आर्टिस्ट मुझे खत्म नहीं कर देगा?

अनुराग कश्यप सत्या के राइटर थे. अब वह आपको डायरेक्ट कर रहे हैं. क्यों दोनों के बीच कोई अंतर है?

पहले वह अपनी पहचान बनाने के लिए डेस्परेट थे, गुस्सैल थे, इमोशनल थे और उन पर ज्यादा जल्दी असर पड़ता था. अब वह कांफिडेंट महसूस करते हैं. हम सत्या के दौरान फ्रेंड्स थे. अब मैं उनको ऊंचे ओहदे पर रखता हूं.

...और क्या बॉलीवुड इतने सालों में बदला है?

हालांकि हिंदी फिल्में अभी भी मेरे पोटेंशियल का 20 परसेंट भी नहीं यूज कर पा रही हैं, फिर भी, मैं आज वो काम कर रहा हूं जिसका मैं पहले इंतजार करता था.

क्या फादरहुड ने आपको बतौर एक इंसान बदला है?

मेरी बेटी की बात हो तो पेशेंस के मामले में मैं पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हो गया हूं. मैं हमेशा जल्दी से जल्दी घर जाकर उसके साथ होने के बारे में सोचता हूं. ये तब भी नहीं हुआ जब मैं अपनी बीवी के प्यार में पागल था (हंसते हैं).

फाइनली, राम गोपाल वर्मा को लेकर रीसेंट क्रिटिसिज्म के बारे में आपका क्या ख्याल है?

मैंने लम्बे वक्त से उनकी फिल्में नहीं देखीं लेकिन जो भी मैंने पढ़ा है, उसके बेसिस पर मैं श्योर हूं कि उनके लिए चीजें फिर वैसी ही हो जाएंगी. वह फिर वापसी करेंगे और अपनी बुराई करने वालों का मुंह बंद कर देंगे. रामू एक जिद्दी बच्चे जैसे हैं, जिसे एक बार मार पड़े तो वह बार-बार वही करता है जो आपको परेशान करे. मगर उसे पता होता है कि वह क्या कर रहा है.

Powered by Mid Day