मुंबई (ब्यूरो)। मनोज बाजपेयी की इस साल बैक टू बैक फिल्में रिलीज हो रही हैं। 'बागी 2' में वह नकारात्मक किरदार में दिखे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर काफी कमाई की। हालिया रिलीज 'सत्यमेव जयते' भी सफल रही। उनकी फिल्म 'गली गुलिया' और 'लव सोनिया' इसी महीने रिलीज हो रही हैं।
सुशांत व भूमि भी अहम भूमिका में
दोनों फिल्में कई प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में सराहना बटोर चुकी हैं। उसके बाद वह अभिषेक चौबे की फिल्म 'सोन चिरैया' में डकैत की भूमिका में नजर आएंगे। उसमें उनके साथ सुशांत सिंह राजपूत और भूमि पेडणेकर प्रमुख भूमिका में हैं। इससे पहले 'बैंडिट क्वीन' में मनोज संक्षिप्त भूमिका निभा चुके हैं। फिल्म के बाबत वह बताते हैं, 'करियर की शुरुआत में शेखर कपूर निर्देशित 'बैंडिट क्वीन' में काम करना यादगार रहा। मुझे आज भी शूटिंग का एक-एक दिन याद है। जहां हम रहते थे, वहां शाम के समय बैठकर हम साथ में खाते-पीते और गाते थे।
चंबल में की शूटिंग
'बैंडिड क्वीन' के बाद फिर से चंबल जाने का मौका मिला। वहां पर शूटिंग के दौरान मैं साथी कलाकारों और यूनिट के सदस्यों को बताता था कि फलां जगह पर हमने वह सीन शूट किया था। वह यादगार समय था। उस वक्त आज की तरह तकनीक नहीं थी। 'बैंडिट क्वीन' का प्रोडक्शन हाउस विदेशी था। बहुत ही अनुशासन में शूटिंग होती थी। आजकल उसी तरह के अनुशासन में सारी फिल्में बनती हैं।'
मुंबई (ब्यूरो)। मनोज बाजपेयी की इस साल बैक टू बैक फिल्में रिलीज हो रही हैं। 'बागी 2' में वह नकारात्मक किरदार में दिखे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर काफी कमाई की। हालिया रिलीज 'सत्यमेव जयते' भी सफल रही। उनकी फिल्म 'गली गुलिया' और 'लव सोनिया' इसी महीने रिलीज हो रही हैं।
दोनों फिल्में कई प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में सराहना बटोर चुकी हैं। उसके बाद वह अभिषेक चौबे की फिल्म 'सोन चिरैया' में डकैत की भूमिका में नजर आएंगे। उसमें उनके साथ सुशांत सिंह राजपूत और भूमि पेडणेकर प्रमुख भूमिका में हैं। इससे पहले 'बैंडिट क्वीन' में मनोज संक्षिप्त भूमिका निभा चुके हैं। फिल्म के बाबत वह बताते हैं, 'करियर की शुरुआत में शेखर कपूर निर्देशित 'बैंडिट क्वीन' में काम करना यादगार रहा। मुझे आज भी शूटिंग का एक-एक दिन याद है। जहां हम रहते थे, वहां शाम के समय बैठकर हम साथ में खाते-पीते और गाते थे।
'बैंडिड क्वीन' के बाद फिर से चंबल जाने का मौका मिला। वहां पर शूटिंग के दौरान मैं साथी कलाकारों और यूनिट के सदस्यों को बताता था कि फलां जगह पर हमने वह सीन शूट किया था। वह यादगार समय था। उस वक्त आज की तरह तकनीक नहीं थी। 'बैंडिट क्वीन' का प्रोडक्शन हाउस विदेशी था। बहुत ही अनुशासन में शूटिंग होती थी। आजकल उसी तरह के अनुशासन में सारी फिल्में बनती हैं।'
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