-2030 के बाद माइंस को लेकर बढ़ी टाटा स्टील की चिंता

सुधीर पांडेय

<-ख्0फ्0 के बाद माइंस को लेकर बढ़ी टाटा स्टील की चिंता

सुधीर पांडेय

JAMSHEDPUR JAMSHEDPUR : टाटा स्टील के लिए आने वाला समय काफी चुनौतीपूर्ण होगा। इस दिग्गज स्टील निर्माता कंपनी को भविष्य में चीन, रूस जैसे बाहरी देशों से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, साथ ही देश में भी दूसरी बड़ी स्टील निर्माता कंपनियों जैसे जिंदल स्टील, एस्सार स्टील, वाइजेग स्टील, भूषण स्टील आदि से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलेगी। यही वजह है कि टाटा स्टील अपने आप को इन चुनौतियों से निपटने के लिए अभी से तैयारी कर रही है।

ख्0फ्0 तक ही आयरन ओर

जमशेदपुर प्लांट की उत्पादन क्षमता 9.भ् मिलियन टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर क्भ् मिलियन टन करने और कलिंगनगर प्लांट की क्षमता छह मिलियन टन प्रतिवर्ष करने की योजना को इसी तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके बावजूद कंपनी भविष्य को लेकर चिंतित है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि टाटा स्टील के पास वर्तमान आयरन ओर माइंस वर्ष ख्0फ्0 तक के लिए ही हैं। इसके बाद कंपनी को नीलामी की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। नीलामी में कंपनी को आयरन ओर माइंस मिलेगी या नहीं, यह दावा नहीं किया जा सकता है।

महंगा खरीदना होगा कच्चा माल

टाटा स्टील भारत एवं दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन भी इससे चिंतित हैं। उन्होंने गत दिनों कहा था कि कंपनी कर्मचारियों को ख्0फ्0 के बाद की स्थिति के लिए तैयार हो जाना चाहिए। तब तक कंपनी के पास वर्तमान कैप्टिव माइंस नहीं रहेगी। टाटा स्टील के एक वरीय अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कंपनी का थिंक टैंक इस पर अभी से मंथन कर रहा है। चूंकि आयरन ओर माइंस नहीं रहने पर टाटा स्टील को बाजार मूल्य पर कच्चा माल खरीदना पड़ेगा। इसका सीधा असर लागत खर्च पर पड़ेगा। ऐसे में कंपनी को उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने के लिए मैनपावर की बड़े पैमाने पर कटौती करनी होगी। कंपनी अधिकारी ने बताया कि भविष्य को देखते हुए वर्ष ख्0ख्भ् तक के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है। उसी के तहत कंपनी में नित नये प्रयोग किए जा रहे हैं। जॉब फॉर जॉब व सुनहरे भविष्य की योजना का समय-समय पर प्रभावी होना इसी का हिस्सा है।

भ् हजार कर्मियों व अफसरों की छंटनी संभव

एक अनुमान के मुताबिक, टाटा स्टील की भारतीय इकाइयों में अगले पांच सालों में करीब पांच हजार कर्मचारियों व अधिकारियों को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा अलाभकारी कारोबार को समेटने और दूसरी नई परियोजनाओं में निवेश न करने पर भी विचार किया जा रहा है।