- खनन मंत्री गायत्री प्रजापति पर भी लग चुके हैं गंभीर आरोप

- एनजीटी ने भी फटकारा था, जांच के लिए भेजी थी टीम

LUCKNOW: यूपी के खनन के काले कारोबार में कई सफेद हाथ 'रंगे' हुए है। यही वजह है कि समय-समय पर सूबे में हो रहे अवैध खनन को लेकर अदालतों से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तक अपनी नजरें टेढ़ी कर चुका है। गुरुवार को अवैध खनन की जांच सीबीआई के सिपुर्द किए जाने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद कई 'सफेदपोशों' का फंसना तय माना जा रहा है। अवैध खनन को संरक्षण देने के आरोप वर्तमान खनन मंत्री पर भी लग चुके हैं तो हालिया एमएलसी चुनाव में भी अवैध खनन के कारोबारियों की गहरी 'पैठ' का नमूना देखा जा चुका है।

कई हजार करोड़ का रैकेट

जानकारों की मानें तो यूपी में अवैध खनन का कारोबार कई हजार करोड़ रुपये सालाना का है। यह पैसा राजनेताओं से लेकर पुलिस तक में बांटा जाता रहा है। पूर्ववर्ती बसपा सरकार में भी अवैध खनन की पर्चियों को लेकर खासा हंगामा मचा था, लेकिन मामला दबा दिया गया। सूबे के खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति पर भी अवैध खनन के कारोबारियों को संरक्षण देने के आरोप लग चुके है। उनके करीबी रहे अमेठी निवासी ओमशंकर द्विवेदी ने लोकायुक्त संगठन में गायत्री प्रजापति द्वारा आय से अधिक संपत्ति जुटाने का आरोप लगाने के साथ अवैध खनन को लेकर कई गंभीर टिप्पणियां भी की थी। वहीं सामाजिक कार्यकत्री नूतन ठाकुर ने तो बकायदा मंत्री पर कई जिलों में अवैध खनन कराने की शिकायत लोकायुक्त संगठन में की है। फिलहाल मामले में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है।

एनजीटी ने भी कसे पेंच

यूपी में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध खनन पर एनजीटी भी कई बार सख्त रुख अख्तियार कर चुका है। जुलाई माह की शुरुआत में ही एनजीटी ने इसकी जांच के लिए एक समिति का गठन भी किया था जिसने जालौन समेत कई जिलों में जाकर जांच की थी। एनजीटी ने पश्चिमी से लेकर पूर्वी यूपी में हो रहे अवैध खनन को लेकर कई बार राज्य सरकार से जवाब-तलब भी किया है। मालूम हो कि अवैध खनन को लेकर एनजीटी में यूपी के कई मामले विचाराधीन हैं। वहीं सूबे का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस पर लगाम लगाने में असफल साबित होता रहा है। उदाहरण के तौर पर सोनभद्र में अवैध खनन का कारोबार इतना गहरा है कि स्थानीय लोग भी इसके विरोध में उतर चुके है।