-निष्पक्ष चुनाव के लिए तैयार हो रही है लिस्ट

-डेप्यूटेशन पर आला अफसरों पर खास नजर

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LUCKNOW: विधानसभा चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। अलग-अलग मोर्चे पर तैयारियों के परखने के दौर में आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती निष्पक्ष चुनाव कराने की है। इसी कड़ी में कई प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात कई आईएएस और आईपीएस अफसर ऐसे भी हैं, जिनको लेकर आयोग का भरोसा डगमगा रहा है। ये अफसर आयोग के राडार पर आ गए हैं। इसी के तहत कमीशन ऐसे अधिकारियों की लिस्ट तैयार कर रहा है जिसका किसी पॉलिटिकल पार्टी के नेता से कोई कनेक्शन हो या फिर डेप्यूटेशन पर हों। बता दें कि आमतौर पर किसी शिकायत के बाद ही आयोग कोई कार्रवाई करता है, लेकिन इस बार इसकी तैयारी पहले से ही की जा रही है।

डेप्यूटेशन वालों पर खास नजर

इलेक्शन कमीशन की खास नजर उन अधिकारियों पर है जो दूसरे प्रदेशों से यूपी डेप्यूटेशन पर हैं और उनकी तैनाती फील्ड में डीएम या एसपी के तौर पर है। फिलहाल प्रदेश में ऐसे आधा दर्जन अफसर हैं जो किसी दूसरे प्रदेश से डेप्यूटेशन पर आये हैं और किसी जिलों में डीएम या एसएसपी हैं। इनमें बाराबंकी में डीएम अजय यादव तमिलनाडु कैडर के 2010 बैच के आईएएस अफसर हैं। दूसरे अधिकारी एटा में तैनात डीएम अजय यादव हैं यह बिहार कैडर के 2005 बैच के आईएएस अफसर हैं। डेप्यूटेशन पर आने वाले अफसरों में मेरठ के डीएम पंकज यादव भी हैं जो हरियाणा कैडर के 2002 बैच के आईएएस अफसर हैं। फिरोजाबाद में बतौर डीएम तैनात निधि केसरवानी, मणिपुर त्रिपुरा कैडर की 2004 बैच की आईएएस अफसर हैं। इनके अलावा लखीमपुर के डीएम आकाश दीप असम कैडर के 2005 बैच के आईएएस अफसर हैं। वहीं आधा दर्जन आईपीएस अफसर भी डेप्यूटेशन पर हैं जिसमें से तीन की पोस्टिंग जिलों में बतौर कप्तान है। इसमें सहारनपुर में तैनात एसएसपी प्रदीप यादव हैं, जो पंजाब कैडर के आईपीएस अफसर हैं। वहीं कानपुर देहात में तैनात एसपी पुष्पांजलि देवी मणिपुर कैडर की 2006 बैच की आईपीएस अफसर हैं। वहीं झांसी में तैनात मनोज तिवारी सिक्किम कैडर के 2003 बैच के आईपीएस अफसर हैं।

शिकायत के बाद होती है कार्रवाई

आमतौर पर इलेक्शन कमीशन किसी भी अधिकारी को जिलों से हटाने की कार्रवाई राजनैतिक दलों की शिकायत मिलने और उसकी जांच कराये जाने के बाद करता है, लेकिन आयोग अपनी इंटरनल लिस्ट तैयार कर रहा है। जिसमें ना सिर्फ डेप्यूटेशन पर तैनात अधिकारियों के नाम शामिल हैं बल्कि उन अधिकारियों की भी लिस्ट तैयार की जा रही है जो किसी भी पार्टी के किसी नेता का रिश्तेदार हो।

पिछले चुनाव में भी हटे थे कई अफसर

पिछले विधानसभा चुनाव में भी राजनैतिक पार्टियों के नेताओं की शिकायत के बाद प्रदेश के कई जिलों के डीएम और एसएसपी के तबादले किये गये थे। यहां तक कि तत्कालीन डीजीपी बृजलाल तक को भी चुनाव आयोग ने हटाने का आदेश दे दिया था और अतुल डीजीपी बने थे। इसके अलावा कई जिलों के डीएम और एसएसपी हटाये गये थे। लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश के कई जिलों के डीएम और एसएसपी को हटाने का आदेश आयोग ने दिया था। हालांकि इसमें डेप्यूटेशन पर यूपी आये अधिकारियों के नाम नहीं थे।

इलेक्शन कमीशन निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उन अधिकारियों को हटाता है जिस पर संदेह होता है। राजनैतिक पार्टियों की शिकायत के बाद भी आयोग उन अफसरों की निष्पक्षता अपने स्तर से चेक करता है फिर कार्रवाई करता है। इस बार ऐसे अफसरों की लिस्ट पहले से तैयार की जा रही है जिनके बारे में शिकायतें आ सकती हैं।

-अरुण सिंघल,

मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश।