- बीआरडी मेडिकल कॉलेज के आईसोलेशन वार्ड से अब तक 11 मरीज स्वस्थ होकर लौटे घर

- कुछ लोगों के पड़ोसियों व रिलेटिव्स ने बनाई दूरी

GORAKHPUR: भले ही कोरोना संक्रमण को मात देकर कई संक्रमित लोग बीआरडी मेडिकल कॉलेज से घर आ चुके हैं, लेकिन कहीं न कहीं उन्हें सामाजिक व मानसिक रूप से भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। कुछ ऐसे ही कोरोना योद्धाओं ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से अपना दर्द साझा किया है जो बेहद झकझोरने वाला है। इन लोगों ने बताया कि कोरोना से जंग तो उन्होंने जीत ली लेकिन पड़ोसी और रिश्तेदारों की तरफ से कई उल्टी-सीधी बाते भी सुनने में आती हैं। लेकिन उन्हीं में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो मोटिवेट भी करते हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग का भी कहना है कि ठीक हुए कोरोना पेशेंट्स से बातचीत करने में संक्रमण का खतरा नहीं होता। इसके लिए सीएमओ डॉ। श्रीकांत तिवारी ने अवेयरनेस कैंपेन भी चलाया है।

11 लोगों ने दी कोरोना को मात

बता दें, बीआरडी मेडिकल कॉलेज से अब तक गोरखपुर जिले के कुल 11 कोरोना पेशेंट्स संक्रमण को मात दे घर लौट चुके हैं। जबकि 55 मरीज बीआरडी के आईसोलेशन वार्ड व रेलवे हॉस्पिटल के 200 बेड वाले आईसोलेशन वार्ड में एडमिट हैं। घर लौटने वालों में हाटा बुजुर्ग के बाबूलाल भी हैं जिन्हें स्वस्थ होने में एक महीने का वक्त लग गया था।

देखते ही लोग बंद कर लेते दरवाजा

एक स्वस्थ हुए व्यक्ति ने बताया कि जैसे ही हमारे घर का कोई सदस्य बाहर निकलता है तो लोग अपना दरवाजा बंद कर लेते हैं। पास आना तो दूर, लोग हमें देख रास्ता बदल लेते हैं। अब लोगों से नजरें मिलाने में डर लगता है। कानों में लोगों के ताने गूंजते रहते हैं। जब स्वस्थ होकर घर लौटे थे तो बहुत खुशी थी कि अपनों के पास जा रहे हैं, लेकिन अब तो लगता है कि वह आईसोलेशन वार्ड ही अच्छा था। कम से कम सब एक दूसरे से बात तो करते थे।

हिम्मत भी बढ़ाते हैं लोग

कोरोना को हरा घर लौटे सर्वोदय नगर बिछिया के रहने वाले तिलक बहादुर थापा बताते हैं कि घर पर आना-जाना किसी का नहीं है। लोग खुद ही फोन पर हालचाल ले लेते हैं। मेरी तरफ से भी कोशिश रहती है कि लोग अभी न ही आएं। बीआरडी से आए कुल 14 दिन हो गए हैं। किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। फोन पर लोगों की सहानुभूति मिलती रहती है।

परिवार के बीच लौट मिला सुकून

बांसगांव थाना क्षेत्र के भैंसारानी गांव की रहने वाली संगीता भी कोरोना से जंग जीत कर अपने घ्परिवार के बीच सकुशल हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज होने के बाद वे डॉक्टर्स की सलाह के मुताबिक 14 दिन होम क्वारंटीन थीं जिसकी अवधि भी पूरी हो चुकी है। अब वे अपने परिवार के साथ उठ-बैठ सकती हैं। लेकिन अभी भी पड़ोसी या रिश्तेदारों से दूरी ही बनी हुई है। फोन पर ही लोग हालचाल पूछते हैं।

बहादुरी पर है गर्व

सीएमओ डॉ। श्रीकांत तिवारी कहते हैं कि संक्रमण को मात देने वालों की बहादुरी पर हर कोई गर्व करता है। इनसे संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। सामान्य लोगों की तरह वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। आम लोगों से अपील है कि कोरोना को हराने वालों का हौसला बढ़ाएं। उनके साथ उठने-बैठने पर किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है।

हेल्थ डिपार्टमेंट की अपील

- कोरोना संक्रमित व्यक्ति से बात करने पर यही पता चलता है कि उनको इसकी चपेट में आने से ज्यादा यह चिंता सताती रहती है कि लोग क्या कहेंगे और उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे।

- उनकी इस चिंता और तनाव को तभी दूर किया जा सकता है जब हम उनके साथ पहले जैसा सामान्य व्यवहार करें।

- इसके साथ ही कोरोना से स्वस्थ हुए व्यक्ति को अलग-थलग करना अवैज्ञानिक और अमानवीय भी है।

- कोविड-19 को मात देने वाले व्यक्ति के साथ बातचीत करना पूरी तरह से सुरक्षित है।

- कोरोना से जंग जीतने वाले व्यक्ति से वायरस का संक्रमण नहीं फैलता है।

फैक्ट फिगर

बीआरडी व रेलवे हॉस्पिटल में कुल 55 कोरोना पेशेंट्स का चल रहा है इलाज

बीआरडी से अब तक कुल 11 मरीज स्वस्थ होकर गए घर

कोरोना से गोरखपुर जिले में अब तक कुल 5 लोगों की मौत हो चुकी है।

गोरखपुर में कुल 71 कोरोना के मामले आ चुके हैं।

वर्जन

कोरोना को मात देकर घर पहुंचने वाले मरीजों से किसी भी प्रकार से संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। उनसे किसी भी प्रकार का भेदभाव न करें। उनके साथ उठने-बैठने या फिर उनके घर जाने से किसी भी प्रकार से संक्रमण होने का कोई चांस नहीं है।

- डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल, बीआरडी मेडिकल कॉलेज