कानपुर। मार्गशीर्ष पूर्णिमा इस साल आज यानी कि 11 दिसंबर को है। इस दिन चंद्रमा अपने पूरे रूप में होते हैं। चंद्रमा पूर्णिमा के दिन पृथ्वी और जल तत्व को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं। एक तरह से चंद्रमा इस तिथि के भगवान होते हैं। इस दिन हर तरह की मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। इस दिन स्नान-दान और ध्यान विशेष का बड़ा महत्त्व है। दृकपंचांग के अमुतबिक, 11 दिसंबर को पूर्णिमा सुबह 10:59 बजे शुरू हो रहा है और यह 12 दिसंबर को सुबह 10:42 पर खत्म होगा।

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पूर्णिमा का व्रत

पूर्णिमा के दिन व्रत अवश्य करनी चाहिए। पूर्णिमा का व्रत चतुर्दशी के दिन सिर्फ तब होता है जब पूर्णिमा पिछले दिन दोपहर के दौरान ही शुरू हो जाती है। ऐसा मनना है कि अगर चतुर्दशी दोपहर के बाद भी प्रबल रहती है तो वह पूर्णिमा तिथि को अशुद्ध कर देती है और ऐसा चतुर्दशी का दिन पूर्णिमा उपवास के लिए सही नहीं माना जाता। ऐसा होने पर सम्पूर्ण सांयकाल व्यापिनी पूर्णिमा वाले दिन का भी त्याग कर दिया जाता है। उत्तर भारत में जिस दिन चांद पूरा होता है उसे पूर्णिमा कहते हैं। वहीं, दक्षिणी भारत में इस दिन का उपवास पूर्णामी व्रतम के नाम से जाना जाता है। पूर्णामी व्रतम सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक किया जाता है। पूर्णिमा व्रत के दिन किन्ही दो स्थानों के लिए अलग-अलग भी हो सकते हैं। इसीलिए हर किसी को पूर्णिमा व्रत के दिन देखने से पहले अपना शहर का चुनाव कर बदल लेना चाहिए।