उधर भारत में सेंसेक्स पिछले 15 महीनों में पहली बार 16 हज़ार अंकों से भी नीचे गिर गया, चाहे बाद में इसमें कुछ सुधार हुआ। दोपहर तक के कारोबार में लंदन का फ़ुटसी 1.8 प्रतिशत नीचे, जर्मनी का डेक्स 3.2 प्रतिशत नीचे और फ़्रास का सीएसी सूचकांक 2.1 प्रतिशत की गिरावट पर था।

अमरीकी बाज़ार भी खुलते ही गिरे और डाओ जोन्स 0.8 प्रतिशत और एस एंड पी सूचकांक 0.76 प्रतिशत गिरा। निवेशकों को डर है कि वैश्विक विकास दर धीमी पड़ रही है और हो सकता है कि बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ दोबारा मंदी के दौर में दाख़िल हो जाएँ। इससे पहले एशिया में दक्षिण कोरिया का शेयर सूचकांक छह प्रतिशत गिरा था और ये वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के बाद से सबसे अधिक गिरावट है। जापान का निक्केई 2.4 प्रतिशत गिरा और ऑस्ट्रेलियाई सूचकांक 3.5 प्रतिशत गिरा।

दुनिया की इस स्थिति का असर भारत पर पड़ा और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंड का सेंसेक्स 328 अंक गिरकर 16,142 पर बंद हुआ जबकि निफ़्टी 98.5 अंक गिरकर 4845.65 अंक पर बंद हुआ।

फ़्रांस, जर्मनी में अनिश्चितता

पेरिस में बीबीसी संवाददाता क्रिस्चियन फ़्रेज़र के अनुसार, "यदि कारण खोजने हों तो हाल के दो सर्वेक्षण पर नज़र डालें। पहले में पाया गया कि सर्वे में भाग लेने वालों में से दो-तिहाई को चांस्लर एंगेला मर्कल में या तो बहुत कम विश्वास है या बिलकुल नहीं है। फ़्रांस में इसी तरह के सर्वे में पाया गया कि केवल 33 प्रतिशत लोग मानते हैं कि निकोला सार्कोज़ी के पास इस समस्या के हल हैं."

फ़्रांसीसी बैंकों ने सरकारी बॉंड में निवेश किया है जिसका मतलब है कि इटली, फ़्रांस और ग्रीस के क़र्ज़ से वो भी प्रभावित होंगे। यदि इटली की सरकार समस्या में फँसती है या फिर फ़्रांस की एएए क्रेडित रेटिंग पर असर होता है तो इन बैंकों को इसकी ख़ासी कीमत चुकानी पड़ेगी। गुरुवार को मॉर्गन स्टेन्ली ने चेतावनी दी थी कि 'अमरीका और यूरोप ख़तरनाक़ स्तर तक मंदी के क़रीब' पहुँच गए हैं।

इस हफ़्ते सेंसेक्स 698 प्रतिशत गिरा

इस हफ़्ते सेंसेक्स में 698 अंकों की गिरावट दर्ज हुई है। शुक्रवार को सेंसेक्स 16 हज़ार से भी नीचे गिर गया लेकिन बाद में कुछ संभला और 16,141 पर बंद हुआ।

सॉफ़्टवेयर कंपनियों पर शेयर मार्किट का कहर बरपा क्योंकि ये कंपनियाँ सीधे अमरीका और यूरोप से जुड़ी हुई हैं। इन्फ़ोसिस, टीसीएस, विपरो पर असर पड़ा क्योंकि इनका लगभग 85 प्रतिशत मुनिफ़ा अमरीका और यूरोप से आता है।

रिलायंस इंडस्ट्रीस के शेयर पर 1.18 प्रतिशत का असर पड़ा जबकि इन्फ़ोसिस तो 5.79 प्रतिशत गिरा और नवंबर 2009 से अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ।

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