- लॉकडाउन में बंद हो गए शादी के सामान के छोट-छोटे कारोबार

- पांडेयहाता सहित कई एरियाज में बनते हैं शादी-ब्याह से जुड़े सामान

- मशीनों के अलावा हाथ से भी करते कारीगरी

- सिद्धार्थनगर, महराजगंज, देवरिया, बस्ती, कुशीनगर तक से पहुंचते दुकानदार

<- लॉकडाउन में बंद हो गए शादी के सामान के छोट-छोटे कारोबार

- पांडेयहाता सहित कई एरियाज में बनते हैं शादी-ब्याह से जुड़े सामान

- मशीनों के अलावा हाथ से भी करते कारीगरी

- सिद्धार्थनगर, महराजगंज, देवरिया, बस्ती, कुशीनगर तक से पहुंचते दुकानदार

GORAKHPUR: GORAKHPUR: सात जन्मों के रिश्तों को मिलाते हैं, दो परिवार का मेल कराते हैं, खुशियों में हम चार चांद लगाते हैं फिर दर्द क्यों हमारे दरवाजे पर ही दस्तक देता है। ये दर्दभरी दास्तां शादी-ब्याह से जुड़े सामान बनाने वाले व्यापारियों की है। दूल्हे के सिर सजने वाला सेहरा हो या फिर दुल्हन का सिंदूर रखने वाला सिंघोरा, इसे लेने के लिए गोरखपुराइट्स को पांडेयहाता आना ही पड़ता है। यहां होल सेल से लगाए सैकड़ों फुटकर दुकानदार हैं, जो केवल शादियों के परंपरागत सामान बेचते और बनाते हैं। बरसों से पांडेयहाता में इसका व्यापार होता चला आया है। गोरखपुर ही नहीं महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया और सिद्धार्थनगर के दुकानदार भी यहीं खरीदारी करने आते हैं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से शादी-विवाह पर ही ब्रेक लग गया जिससे खड़ी हुई आर्थिक तंगी ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है।

भ्00 से अधिक दुकानदार हो गए बेकार

पांडेयहाता में करीब ख्भ्-फ्0 छोटे-बड़े कारखाने हैं जहां मशीनें लगी हुई हैं। यहां आम की लकड़ा का स्पेशली सिंघोरा बनाया जाता है। इसके अलावा यहां दूल्हे की टोपी, मउर, दूल्हे की माला तैयार की जाती है। क्00 रुपए से लगाए ब्00 रुपए तक का सिंघोरा होलसेल में यहां मिलता है। जबकि दूल्हे की टोपी का रेट उसके कपड़े की क्वालिटी के हिसाब से घटता-बढ़ता है। यही नहीं शादी में यूज होने वाला कलर, सांचा, कागज का पैराशूट, रंगोली से संबंधित सामान भी यहीं मिलता है। एक ही जगह शादी के परंपरागत सामान मिल जाने के कारण कस्टमर भी कहीं और ना जाकर पांडेयहाता ही जाना पंसद करते हैं। होलसेल के साथ ही फुटकर की करीब भ्00 दुकानों पर केवल शादी के सामान ही मिलते हैं। लॉकडाउन में शादियां पोस्टपोन हुईं तो सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना इस मार्केट के दुकानदारों को उठाना पड़ा। भ्00 दुकानदार इसके बाद से ही बेकार हो गए। अब इनके पास दूसरा काम ही नहीं बचा।

लगन के पहले ही तैयार कर लेते माल

पांडेयहाता के एक होल सेल दुकानदार ने बताया कि लगन के पहले ही हम लोग अधिक से अधिक माल तैयार कर लेते हैं। बस्ती, कुशीनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर और महराजगंज के फुटकर दुकानदार लगन के एक महीने पहले ही अधिक से अधिक माल ले जाते हैं। इसलिए हम लोग सारी तैयारी पहले ही कर लेते हैं। इस बार भी हम लोगों ने पूरी शिद्दत से पहले ही सामान तैयार कर लिया था। लेकिन लॉकडाउन की वजह से सारा सामान गोदाम में ही पड़ा रहा गया। यही हाल यहां के फुटकर दुकानदारों का भी हुआ, जिसके पास जो माल था वो अभी भी दुकान में पड़ा हुआ है।

इस कमाई से चलता पूरे साल का खर्च

दुकानदार अभिजीत ने बताया कि लगन में जो कमाई होती है, इससे पूरे साल का खर्च चलता है। इसके बाद लगन आने तक हम लोगों के पास ज्यादा काम नहीं रहता है। ठंड में भी जो लगन है वो भी बहुत कम दिनों की है। ऐसे में जो माल दुकान में बचा है उसका बिक पाना काफी मुश्किल है। हम लोग लगन की तैयारी के लिए कर्ज लेकर दुकान फुल कर लेते हैं। जहां अधिक रेंज रहती है कस्टमर भी उसी के पास जाता है। इसलिए हम लोग कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। अब तो ये समझ नहीं आ रहा कि कर्ज लेकर दुकान तो फुल कर ली अब इसका कर्ज कैसे चुकाउंगा।

बच्चों की पढ़ाई दे रही टेंशन

वहीं, दुकानदार धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि सब कुछ बंद है। ऐसे में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई चालू हो गई है। इसके लिए कॉपी-किताब भी खरीद दी है। अब फीस जमा करने के लिए बार-बार मैसेज आता है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई भी अब टेंशन बढ़ा रही है। अपने लिए तो नहीं लेकिन बच्चों की खातिर मोबाइल में भी महंगा टैरिफ डलवाना पड़ रहा है ताकि ऑनलाइन पढाई में बाधा ना आए। जिस मार्केट में दिनभर इतनी भीड़ रहती थी कि पैर रखने की जगह नहीं मिलती थी, वहां सन्नाटा पसरा हुआ है। हम लोगों का बिजनेस सीजनल होता है। ऐसे में कर्ज लेकर ही घर खर्च भी चलाना पड़ रहा है।

कोट्स

तिनका-तिनका जमा कर दुकान को सजाया था। चमकती दुकानों पर कस्टमर का ध्यान पहले जाता है। एक से बढ़कर एक दूल्हे का सेहरा तैयार किया गया था लेकिन सारी मेहनत पर पानी फिर गया। ऐसे में सरकार को हम लोगों को भी मदद देनी चाहिए।

अभिजीत, दुकानदार

मशीन लगाकर डेली ब्0-भ्0 सिंघोरा बनाता था। इसके बाद भी ऑर्डर इतना आता था कि ये भी कम पड़ जाता था। इस बार पहले सेहरा और सिंघोरा बनाकर तैयार कर लिया गया। लेकिन हम लोगों को ये नहीं पता था कि सब कोरोना की भेंट चढ़ जाएगा।

धीरेंद्र सिंह, दुकानदार

जिस मार्केट में दूर-दूर से लोग आकर शादी का परंपरागत सामान ले जाते थे वहां आज सन्नाटा पसरा हुआ है। सरकार ने अभी तक कोई सर्कुलर हम लोगों के लिए तो नहीं जारी किया है। अगर दुकान खोलने के लिए कह भी दें तो इस समय सामान लेगा कौन ये सबसे बड़ी समस्या है।

राजन, दुकानदार

लगन के सीजन में कमाई की उम्मीद थी। इस कमाई से ही बच्चों की फीस, किताब-कॉपी भी खरीदने का बजट तैयार किया था। कमाई तो हुई नहीं, अब बच्चों की स्कूल फीस कहां से जमा करें।

जय प्रकाश पटवा, दुकानदार