शहीद मेजर केतन शर्मा के परिजनों ने सैन्य अधिकारियों से शहादत पर पूछे सवाल

कई बार बेसुध हुई केतन की मां उषा शर्मा, बेटे के पार्थिव शरीर को लेने पहुंची तो छोड़ ही दी थी सां

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MEERUT :
अनंतनाग में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए मेरठ निवासी मेजर केतन शर्मा के घर सैन्य अधिकारी उनके परिजनों का हाल जानने पहुंचे. जैसे ही कर्नल जसविंदर एस वोहरा शहीद मेजर केतन शर्मा की मां उषा शर्मा के पास पहुंचे तो वे कहने लगी कि मेरा शेर बेटा कहां गया..मेरा जवान बेटा कहां गया. हालात से मजबूर कर्नल साहब के पास ढाढस बंधाने के अलावा शायद इस सवाल का कोई दूसरा जवाब ही नहीं था.

कई बार हुई बेसुध

दरअसल, शहीद मेजर के परिजनों केतन की मां उषा शर्मा से जैसे-तैसे केतन के शहीद होने की बात सोमवार शाम से मंगलवार शाम तक तो छिपाई लेकिन मां के टूटते सब्र के आगे केतन के पिता रविंद्र शर्मा और बहन मेघा ने बेसब्र होकर मेजर बेटे के शहीद होने की बात मां को बता ही दी. बस फिर क्या था मां ऐसी बेसुध हुई कि एसीएमओ डॉ. प्रवीण गौतम को टीम के साथ मौके पर बुलाया गया. टीम ने उषा शर्मा के स्वास्थ्य की जांच की और जरूरी दवाईयां दी.

पिता ने पूछे सवाल

सैन्य अधिकारियों से पिता रविंद्र शर्मा ने पूछा कि आखिर कश्मीर में कब तक भारत मां के जवान बेटों की शहादत का सिलसिला चलता रहेगा. कैसे मां-बाप बिना बेटे अपने जीवन का यापन करेंगे. खून-पसीने से सींचकर जिसे देश के सुपुर्द कर दिया उसे कब तक अपने हाथों से मुखाग्नि देते रहेंगे. सैन्य अधिकारियों से पूछे गए पिता के इन सवालों के जवाब में सिर्फ हिम्मत रखिए का जवाब ही पिता को मिला.

सरकार पर साधा निशाना

दवाइयों से होश में आई उषा शर्मा ने आंखे खुलते ही अपने लाल के घर आने पर सवाल पूछा. परिजनों ने कहा कि वो थोड़ी देर में आ जाएगा. इस पर उषा शर्मा बिलख पड़ी. बिलखना रूका तो वह भर्राती आवाज में बोली दूसरों के बेटे डिब्बे में बंद होकर आते थे लेकिन कभी नहीं सोचा था कि मेरा भी डिब्बे में ही बंद होकर आएगा. मेरा लाल डिब्बे में बंद होने वाला नहीं है कहते हुए उषा शर्मा फिर बेहोश हो गई. खैरियत ये रही कि डॉक्टर्स की टीम ने हालात पर काबू पाया.

आरवीसी पर छोड़ी सांस

इस बार जब उषा शर्मा होश में आई तो शहीद बेटे के पार्थिव शरीर को लेने परिजनों संग आरवीसी में हेलीपैड पर पहुंची. कुछ मिनटों के इंतजार के बाद हेलीकॉप्टर जैसे ही मेजर केतन के पार्थिव शरीर को लेकर पहुंचा तो मां उषा और बहन मेघा बदहवास होकर रोने लगी. भाई के पास पहुंचते-पहुंचते बहन को संभाला तो मां उषा शर्मा ने सांस ही छोड़ दी. जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने पानी पिलाने की कोशिश की लेकिन फर्क नहीं पड़ा. आखिर में नाक दबाकर रखने से उन्हें सांस आया. मां समेत परिजनों के बिगड़ते हालात ये बताने के लिए काफी हैं कि बॉर्डर हो या अनंतनाग, जिसका जाता है दर्द वहीं पाता है.