इलाहाबाद प्रधानपीठ में 159 व लखनऊ में 130 को मिली नई नियुक्ति

नई सूची पर भी उठने लगे सवाल, अयोग्य अधिवक्ताओं को महत्वपूर्ण पद देने के आरोप

prayagraj@inext.co.in

इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्यरत राज्य विधि अधिकारियों में व्यापक फेरबदल किया गया है। कई की पदोन्नति हुई तो कई हटा दिए गए। बड़ी तादाद में नई नियुक्तियां की गई हैं। विधि और न्याय मंत्रालय ने आठ फरवरी को 289 राज्य विधि अधिकारियों (159 इलाहाबाद प्रधानपीठ व 130 लखनऊ खंडपीठ) की नियुक्ति की है। कुल 151 राज्य विधि अधिकारियों को हटा दिया गया है।

जुलाई में आयी थी पहली सूची

मालूम हो कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद सात जुलाई 2017 को राज्य विधि अधिकारियों की नियुक्ति की जारी सूची को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई। कोर्ट के आदेश पर महाधिवक्ता की अध्यक्षता में पांच अधिकारियों की कमेटी बनाई गई। इस कमेटी ने समीक्षा कर अयोग्य लोगों को सूची से हटाते हुए अक्टूबर 2017 में नई सूची जारी की। इसके बाद कई अन्य सूची जारी हुई। उन पर भी सवाल उठे। महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि भविष्य में गलती दोहराई नहीं जाएगी। लेकिन, जारी हुई नई सूची में भी खामियां दिखाई दे रही हैं।

बिना योग्यता के कर दी नियुक्ति

कहा जा रहा है कि करीब दर्जन भर ऐसे अधिवक्ताओं को सूची में शामिल किया गया है जो निर्धारित योग्यता नहीं रखते। ऐसे में वे पदभार ग्रहण नहीं कर सकेंगे। आशंका जताई जा रही है कि कमेटी ने हड़बड़ी में सूची जारी की है। अनुभवी लोगों को सूची में शामिल करने की बजाए कभी कबार ही कोर्ट में पहुंचने वाले अधिवक्ताओं को राज्य विधि अधिकारी बना दिया गया है। इस सूची से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। एक तो यह कि क्या सरकार कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर कोर्ट की अवमानना कर रही है। और दूसरा यह कि योग्य वकीलों को हटाकर किस तरह का संदेश दिया जा रहा है।