दरअसल एक ताज़ा शोध से पता चला है कि जो लोग अपनी खुशी के लिए कुछ न कुछ पढ़ते रहते हैं, उनकी क्लिक करें गणित और अंग्रेजी उन बच्चों के मुक़ाबले ज़्यादा अच्छी होती है, जो फुर्सत में मुश्किल से ही कुछ पढ़ते हैं.

इस शोध के तहत लंदन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन ने 6,000 बच्चों की पढ़ने संबंधी आदतों का परीक्षण किया.

इस अध्ययन में पता चला कि बच्चे के विकास के लिए माता-पिता की शिक्षा की अपेक्षा स्वाध्याय की उसकी आदत अधिक महत्वपूर्ण है.

शोधकर्ताओं ने पाया कि शब्दावलियों के व्यापक ज्ञान से बच्चों को पाठ्यक्रम की विषयवस्तु को समझने में मदद मिलती है.

उन्होंने जिन बच्चों का अध्ययन किया वे सभी एक ही सप्ताह में पैदा हुए थे.

समझने की क्षमता

अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे दस वर्ष की उम्र में अक्सर पढ़ते थे और 16 वर्ष की उम्र में सप्ताह में एक से अधिक बार कोई किताब या समाचार पत्र पढ़ते थे, उनका प्रदर्शन उन बच्चों के मुक़ाबले बेहतर था जो कम पढ़ते थे.

शोध में पाया गया कि उनका शब्दों का ज्ञान 14.4 प्रतिशत बेहतर था और दूसरे बच्चों के मुक़ाबले गणित 9.9 प्रतिशत बेहतर और स्पेलिंग 8.6 प्रतिशत बेहतर थी.

अध्ययन में कहा गया कि शौकिया पढ़ने की आदत का असर माता-पिता की शिक्षा से भी अधिक था.

अध्ययन की लेखिका डॉक्टर एलिस सुलिवन ने कहा, "यह आश्चर्यजनक है कि बच्चों में शौकिया पढ़ने की आदत से उनका गणित का ज्ञान बढ़ता है."

उन्होंने कहा, "पढ़ने की आदत के कारण बच्चों में नई सूचनाओं को ग्रहण करने और उन्हें समझने की क्षमता बढ़ जाती है."

उन्होंने कहा कि अगर किसी बच्चे का सीमित शब्द ज्ञान होगा तो उसे समझने में दिक्कत हो आएगी ही.

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