हर साल सैकड़ों महिलाओं की हाई रिस्क प्रेगनेंसी से हो जाती है मौत

प्रदेश में सात फीसदी महिलाओं तक ही पहुंच रहा आयरन सप्लीमेंट

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ALLAHABAD: लाल बिंदी अब महिलाओं की जान बचाने का काम करेगी। खासतौर से उन महिलाओं की, जो एचआरपी (हाई रिस्क प्रेगनेंसी) जोन में हैं। मातृत्व सप्ताह में एनीमिक महिलाओं के एमसीपी कार्ड पर लाल बिंदी मुहर लगाकर ऐसी महिलाओं को चिन्हित किया जाएगा। इनकी सेफ डिलीवरी कराने के साथ सुनिश्चित किया जाएगा कि जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहें।

284 महिलाओं की हो जाती है मौत

इलाहाबाद में मातृ मृत्यु दर के आंकड़े चौकाने वाले हैं। जिले में प्रति लाख 284 महिलाओं की कमजोरी और कुपोषण के चलते डिलीवरी के दौरान मौत हो जाती है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में पचास फीसदी महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान एनीमिक (खून की कमी की शिकारर) हो जाती हैं। यही उनकी मौत का कारण बनता है। तीन फरवरी तक चलने वाले मातृत्व सप्ताह के दौरान चिंहित एचआरपी महिलाओं को जरूरत के अनुसार इलाज मुहैया कराया जाएगा।

संतुलित आहार का क्या होगा?

आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में हर दूसरी प्रेगनेंट महिला एनीमिया की शिकार है। इस पर यूनीसेफ भी चिंता जता चुका है। बुधवार से शुरू मातृत्व सप्ताह के दौरान महिलाओं को ट्रेस करके उनका चेकअप कर उन्हें दवाएं दी जाएंगी। उनके भोजन का क्या होगा? इसका जवाब स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए शासन की ओर से पुष्टाहार उपलब्ध कराया जा रहा है।

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क्या होगा मातृत्व सप्ताह में

28 जनवरी से हुई शुरुआत तीन फरवरी तक चलेगा

प्रेग्नेंट महिलाओं की हीमोग्लोबिन, पेशाब में एल्बुमिन व शुगर, पेट, ब्लड प्रेशर की जांच होगी

उन्हें एमसीपी कार्ड के साथ आयरन फोलिक एसिड की गोलियां एवं सेफ मदरहुड बुकलेट प्रदान की जाएगी

खतरे वाली महिलाओं के एमसीपी कार्ड पर लाल बिंदी एवं एमआरपी की मुहर लगेगी

इन्हें पांच फरवरी को ब्लॉक स्तरीय चिकित्सा इकाइयों अथवा जिला महिला अस्पताल पर बुलाया जाएगा

गंभीर महिलाएं 102, 108 एंबुलेंस से हॉस्पिटल भेजी जाएंगी

हर दिन ब्लॉक चिकित्सा प्रभारी चिंहित महिलाओं की संख्या, गर्भवती महिलाएं जिनकी जांच हुई तथा एचआरपी महिलाओं की संख्या संबंधी सूचना www.supohanup.in पर उपलब्ध कराएंगे

मातृत्व सप्ताह का उद्देश्य

प्रेगनेंट महिलाओं का पंजीकरण बढ़ाना।

उन्हें स्वास्थ्य, पोषण की जांच व सेवाएं उपलब्ध कराना।

संस्थागत प्रसव में वृद्धि लाना।

मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करना।

चौंकाने वाले आंकड़े

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 64 फीसदी प्रेगनेंट महिलाएं रजिस्टर्ड

इनमें से 28 फीसदी की ही हुई संपूर्ण जांच

7.6 फीसदी को प्रेग्नेंसी के दौरान एनीमिया से बचाव के लिए आयरन की गोली दी गई

महज 4.3 प्रतिशत ने ही इसका सेवन किया

हाई रिस्क जोन की प्रेगनेंट महिलाओं को चिंहित कर उन्हें उचित इलाज मुहैया कराया जा रहा है। जिनके एमसीपी कार्ड पर लाल बिंदी मुहर लगेगी, उनका विशेष ख्याल रखा जाएगा।

डॉ। पदमाकर सिंह, सीएमओ, इलाहाबाद