माघ मेला के तीसरे और सबसे प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने को उमड़ा रेला

रात एक बजे से ही स्नान के बाद स्नानार्थी करने लगे थे देवी-देवताओं का स्मरण

ALLAHABAD: माघ के प्रमुख पर्व मौनी अमावस्या पर मंगलवार को गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल पर पुण्य की डुबकी लगाने को लाखों की भीड़ उमड़ी। मौनी अमावस्या पर स्नान का मुहूर्त भोर में 4.52 बजे से था, लेकिन उसके तीन घंटे पहले ही संगम नोज में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का रेला पहुंच चुका था। हाल ये था कि मेला प्रशासन के कैंप कार्यालय से संगम नोज तक सिर्फ और सिर्फ श्रद्धालुओं के सिर और उनके कंधों पर गठरी ही दिखाई दी। स्नान व पूजन-अर्चन के बाद संगम नोज के आसपास के एक किमी के दायरे में गंगा मैया की जय व पवनसुत हनुमान की जय के जयकारे की गूंज सुनाई दे रही थी।

पांचों पुल ठसाठस, घाटों पर भीड़

मकर संक्रांति के मुख्य स्नान पर्व पर देर शाम तक मेला क्षेत्र में दस लाख से अधिक श्रद्धालु संत-महात्माओं के शिविरों व प्रशासनिक रैन बसेरा में ठहरे हुए थे। इसके अलावा मंगलवार को भोर में पांच बजे से ही अमावस्या स्नान को मौन साधना के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी। ओल्ड जीटी रोड, गंगोत्री-शिवाला, महावीर व काली पुल श्रद्धालुओं से ठसाठस रहा। मौन डुबकी लगाने का मुख्य आकर्षण संगम नोज पर दिखा। श्रद्धालुओं का रेला इस कदर संगम की ओर बढ़ रहा था कि भोर में पांच बजे से लेकर सुबह दस बजे तक लगातार लाखों की संख्या में आस्था का विहंगम नजारा दिखाई देता रहा। रामानुज मार्ग, अक्षयवट मार्ग, काली पुल से शास्त्री पुल के बीच, रामघाट, संगम गंगा पट्टी व शास्त्री पुल के उत्तर रेलवे पुल के मध्य बनाए गए घाटों पर जत्थे के रूप में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने स्नान किया।

स्नान के बाद तोड़ा मौन

मौन साधना क्या होती है और कैसे मोक्ष की कामना की जाती है इसका नजारा अमावस्या स्नान पर दिखाई दिया। भोर से लेकर देर शाम तक लाखों की भीड़ मेला क्षेत्र में स्नान करने के लिए मौन साधना के साथ पहुंची। मोक्ष की कामना को लेकर पहुंचते रहे महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के अलावा छोटे-छोटे बच्चों को भी उनके परिजनों ने रास्ते भर बोलने नहीं दिया। यह मौन साधना अमावस्या स्नान के बाद ही टूटी। जब स्नान कर श्रद्धालुओं ने मौन तोड़ा तो उसके बाद पूरे मेला क्षेत्र में तीर्थ पुरोहितों को गोदान, अन्न दान व वस्त्रों का वितरण करने के लिए संगम नोज पर होड़ लग गई। यह नजारा देर शाम तक संगम नोज सहित अन्य घाटों पर दिखाई दिया।

प्रशासन बोला, दो करोड़ ने लगाई डुबकी

मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी स्नान करने के लिए अब तक की सबसे ज्यादा भीड़ पहुंची थी। मेला प्रशासन की मानें तो पौष पूर्णिमा पर 32 लाख, मकर संक्रांति के दो दिनों में डेढ़ करोड़ और अमावस्या पर डुबकी लगाने के लिए संगम नोज सहित अन्य घाटों पर शाम पांच बजे तक करीब दो करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई है।