लंदन (पीटीआई)। मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने बांस से बने क्रिकेट बैट के आइडिया को नकार दिया है। उनका कहना है कि यह खेल को नियंत्रित करने वाले नियमों के खिलाफ है। हालांकि, क्रिकेट के नियमों के संरक्षक ने कहा कि वे अपने निमयों की उप-समिति की बैठक के दौरान इस मामले पर विचार-विमर्श करेंगे। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के डारशिल शाह और बेन टिंकलर-डेविस के एक अध्ययन के अनुसार, बांस से बने बैट ज्यादा टिकाऊ होते हैं और विलो से बने लोगों की तुलना में अधिक मजबूत होते हैं, जो परंपरागत रूप से उपयोग किए जाते हैं।

क्या कहता है नियम
सोमवार को एमसीसी ने एक बयान में कहा, "वर्तमान में, कानून 5.3.2 में कहा गया है कि बल्ले के ब्लेड में पूरी तरह से लकड़ी होनी चाहिए, इसलिए बांस (जो कि एक घास है) को विलो के विकल्प के रूप में मानते हैं तो नियमों में बदलाव की आवश्यकता होगी।' आगे कहा गया, 'सबसे बड़ी बात यह है कि बांस को परमीशन देने के लिए नियम को बदलना होगा, भले ही इसे लकड़ी के रूप में मान्यता दी जाए, यह वर्तमान कानून के तहत अवैध होगा।'

बांस के बैट की खासियत
शोधकर्ताओं ने बांस के बल्ले को विलो से बने बल्ले से सख्त और मजबूत पाया। यही नहीं इसका स्वीट स्पाॅट (क्रिकेट बैट की चौड़ाई का मध्य भाग, जहां गेंद लगने पर तेजी से आगे बढ़ती है ) विलो के बने बल्ले से ज्यादा चौड़ा होता है। शाह ने रिपोर्ट में कहा था, "बांस के बल्ले पर स्वीट स्पाॅट याॅर्कर खेलने के लिए अधिक सुविधाजनक है। साथ ही यह सभी प्रकार के स्ट्रोक के लिए परफेक्ट है।" हालांकि, एमसीसी ने कहा कि हमें सावधानीपूर्वक चलना होगा ताकि बल्ले और गेंद का संतुलन बरकरार रहे।

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