शाहिद होना इतना आसान नहीं

शाहिद हो जाना इतना आसान नहीं है। मैं तो कहूंगा कि यह नामुमकिन है। उनके खेल में जो क्लास था वह बड़े परिश्रम से आता है। उनसे मुझे बहुत सीखने को मिला। मेरे आदर्श थे शाहिद भाई। उनका चला जाना भारतीय हॉकी के लिए एक बहुत बड़ी कमी है। मैं शुरू से ही उनके टच में था। विश्वास नहीं हो रहा है कि शाहिद भाई अब हमारे बीच में नहीं रहे।

धनराज पिल्लई, इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर

सबसे पहले तैयार होते थे

मोहम्मद शाहिद उन लोग में से जो किट पहनकर सबसे पहले मैदान में पहुंच जाते थे। खेल शुरू होने के आधा घंटा पहले पूरे मैच की प्लानिंग उनके दिमाग में हो जाती थी। उनके लिए हॉकी से बढ़कर कुछ भी नहीं था। अपने प्रतिद्वंदी को डॉज देने में इनका कोई सानी नही था। रिवर्स फ्लिक लगाने में उनको महारत हासिल थी। कई बार तो विपक्षी टीम के प्लेयर्स इनके डॉज के चक्कर में मैदान पर गिर जाते थे।

नागेन्द्र सिंह, इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर

स्ट्रेट हॉकी से रोकते थे बॉल

मुहम्मद शाहिद में इतनी काबिलियत थी कि वह एस्ट्रोटर्फ पर खेले जा रहे मैच में खड़ी हॉकी से शाट को रोक लेते थे। बाकी प्लेयर्स शाट को हॉकी को लिटाकर रोकते थे। हॉकी की दुनिया को शार्ट हिट बताने वाले अपने शाहीद भाई ही थे। खेलने वाले शाहिद बिजली की गति से विपक्षी टीम के डिफेंस एरिया में पहुंच जाते थे। उनके जैसे प्लेयर का फिर से होना अब मुश्किल है। उनमें हॉकी के लिए जो डिवोशन था वह अजब ही था।

राजेंद्र सहगल, इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर

अब दूसरा शाहिद नहीं पैदा होगा

मोहम्मद शाहिद की एक खासियत यह थी कि जो कोई भी उनके पास किसी समस्या को लेकर आता वह पूरे मन से समाधान करते थे। खिलाड़ी अधिकतर पर उनके पास कई तरह की समस्या लेकर आते थे लेकिन वह कभी ऊंची आवाज में आदेश नहीं देते थे। घर पर तो वह अपने मित्रों के लिए दूसरे शाहिद भाई होते थे। अब दूसर मोहम्मद शाहिद नहीं पैदा होगा।

राकेश मल्होत्रा, सहकर्मी

फिर से मैंने बड़ा भाई खोया है

आज फिर से मैंने अपना बड़ा भाई खोया है। शाहिद भाई एक ऐसे प्लेयर थे जिनके लिए हॉकी से बढ़कर कुछ भी नहीं था। उन्हें हॉकी के बाद अपने शहर बनारस से बहुत लगाव था। बनारस छोड़कर जाना उनके लिए कठिन होता था। मोहम्मद शाहिद एक ऐसा सितारा थे जिसकी चमक ने भारतीय हॉकी को एक अलग मुकाम पर पहुंचाया।

राहुल सिंह, इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर