-एमडीए बोर्ड में कुछ प्रस्ताव पास तो कुछ अगली बोर्ड तक टाले

-कांशीराम आवास के 1208 मकानों पूरा कर बेचेगा एमडीए

-मेट्रो की डीपीआर समेत कई अहम मुद्दों पर लगाई गई मुहर

Meerut: कमिश्नरी में गुरुवार को एमडीए की क्0भ् वीं बोर्ड बैठक में ब्70 करोड़ का बजट पास किया गया। कमिश्नर आलोक सिन्हा की अध्यक्षता और एमडीए उपाध्यक्ष राजेश यादव समेत बोर्ड डीएम पंकज यादव समेत बोर्ड सदस्यों की मौजूदगी में एमडीए ने जहां कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोर्ड की मुहर लगवाई तो कुछ अहम एजेंडे अगली बोर्ड के लिए टाल लिए गए। जबकि कुछ मुद्दों को बोर्ड ने अहम न मानते हुए गिरा दिया।

ये एजेंडे हुए पास

क् - यदि बोर्ड पटल पर रखे गए प्रस्तावों पर नजर डालें तो सबसे अहम एजेंडा मेट्रो की डीपीआर का रहा। बोर्ड ने प्रोजेक्ट की डीपीआर के लिए पचास लाख के बजट पर मुहर लगा दी। हालांकि यह राशि अवस्थापना निधि की बैठक में स्वीकृत कर ली गई थी, लेकिन बोर्ड के सामने इसकी औपचारिकताएं पूर्ण की गई। प्रोजेक्ट की डीपीआर के लिए एमडीए को दस लाख रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से ढाई करोड़ रुपए कंसल्टेंसी फीस के रूप में कार्यदायी संस्था राइट्स को देने हैं। इसकी पहली किस्त के रूप में दी जाने वाली राशि को बोर्ड से पास कराया गया।

ख्- एमडीए की आवासीय योजना गंगानगर में प्रस्तावित सीएनजी स्टेशन के लिए गेल कंपनी को भूमि मुहैया कराए जाने संबंधी प्रस्ताव पर भी मुहर लगाई गई। इसके लिए एमडीए ने गंगानगर की बी पॉकेट में ख्ख् हजार रुपए वर्ग मीटर का क्भ्भ्0 वर्ग मीटर का भूखंड मुहैया कराने का प्रस्ताव पास किया गया है। इसके लिए गेल को ब्ख्0 करोड़ रुपए डिपोजिट करने होंगे। इसके बाद यह जमीन कंपनी को लीज पर दी जाएगी। प्रोजेक्ट से होने वाले सालाना प्रॉफिट का दस फीसदी कंपनी को एमडीए में जमा करना होगा, जिससे एमडीए की स्थाई इनकम का रास्ता तैयार हो सकेगा।

फ्- पिछली सरकार में शुरू कांशीराम शहरी आवासीय योजना के बंद पड़े काम को सुचारू करने और निर्मित आवास बेचे जाने के लिए एमडीए ने शासन से अनुमति मांगी है। इस प्रस्ताव के मुताबिक योजना के अंतर्गत मेरठ में क्ख्08 आवास बनाया जाना तय हुआ था, जिसके लिए शासन ने फ्ख् करोड़ रुपए एमडीए को दिए थे। योजना बंद होने के साथ एमडीए ने बजट के सापेक्ष उपभोग किए गए ख्78ब् रुपए के अलावा शेष ब्क्म् लाख रुपए शासन को वापस भेज दिए थे। एमडीए का मत है कि अधूरे पड़े आवासों को पूर्ण कर आवेदकों को बेचा जा सकता है। इस प्रस्ताव को बोर्ड से पास करा लिया गया है। इससे भी एमडीए की आय दुरुस्त हो सकेगी।

ब्- अब मुआवजे संबंधी समझौते वाले मामले को एमडीए उपाध्यक्ष अपने विवेक से निपटा सकेंगे। पूर्व में इसके लिए लाभार्थी को जिला जज के आदेश के बाद एडीएम एलए के यहां से अपने पक्ष में आदेश कराने होते थे। एडीएम एलए के संस्तुति के बाद ही एमडीए उस पर मुआवजा राशि जारी करता था।

भ्-प्रमुख सचिव आवास के सुझाव पर प्राधिकरण कर्मचारियों के मृतक आश्रितों को नौकरी देने का प्रस्ताव।

ये प्रस्ताव गिरे

गंगानगर स्थित आईआईएमटी इंजीनियरिंग की ओर से ब्याज माफी लिए प्रार्थना पत्र सौंपा गया था। इस पर एमडीए ने प्रस्ताव तैयार कर बोर्ड में रखा था, जिसको बोर्ड ने गिरा दिया। अब आईआईएमटी को ख्.ब्ख् करोड़ रुपया एमडीए को बतौर ब्याज देना होगा।

अगली बैठक को प्रस्तावित

-डीएम के सुझाव पर बढला आलमगीरपुर और मखदूमपुर को एमडीए सीमा विस्तार योजना में शामिल करना। एमडीए की ओर से इसके जवाब में इन गांवों को शामिल करने के लिए ब्म् अन्य गांवों को भी शामिल करना अनिवार्य बताया गया। बोर्ड में इसके लिए अलग कमेटी का गठन कर उसकी रिपोर्ट अगली बोर्ड बैठक में रखने की बात कही गई।

-कर्मचारियों के लिए वाहन भत्ते की मांग को अन्य प्राधिकरणों के आधार पर दिए जाने की बात बोर्ड बैठक में कही गई। इस प्रस्ताव पर अध्ययन के बाद अगली बोर्ड बैठक में प्रस्तुत करने की बात कही गई।

-प्राधिकरण में नई नियुक्तियों पर मृतक आश्रित नौकरी दिए जाने के प्रस्ताव को अगली बोर्ड में रखने का प्रस्ताव।

-विभिन्न आवासीय योजनाओं के पंद्रह सौ आवंटियों को ओटीएस का लाभ पहुंचाने के लिए शासन की तर्ज पर एक स्कीम शुरू करने का प्रस्ताव

-किसानों की मांग पर आबादी वाली जमीन को अर्जन मुक्त करने का प्रस्ताव

बोर्ड सदस्य राजेश ने उठाया सवाल

एमडीए बोर्ड सदस्य डॉ। राजेश ने बैठक के दौरान कमिश्नर को मांग पत्र सौंपते हुए कहा कि बोर्ड बैठक में हर बार एमडीए की आय का लक्ष्य रखा जाता है, लेकिन अभी तक एक भी बार लक्ष्य का आधा भी पूरा नहीं किया जा सका। डॉ। राजेश ने कहा कि सामान्यत: एमडीए की आय मानचित्र, कंपाउंडिंग और संपत्ति से होती है, लेकिन अफसरों के नजरों तले बढ़ रही अवैध निर्माण जहां कंपाउडिंग फीस नहीं आने देती, वहीं मानचित्रों से भी उतनी आय नहीं हो रही। बोर्ड सदस्य ने कहा कि अवैध निर्माणों पर सीलिंग के बावजूद अफसर पूरा निर्माण करा देते हैं, जिससे एमडीए को राजस्व हानि सहनी पड़ती है।