-अगले 20 वर्षों में दून के लिए वेस्ट होगा सबसे बड़ा चैलेंज

-एमडीडीए ने शुरु किया दून मास्टर प्लान 2040 पर वर्क

-दावा, कुछ महीनों में मास्टर प्लान पर शुरु हो जाएंगे टेंडर्स

देहरादून, देहरादून के शुरु हो चुके मास्टर प्लान 2040 पर यूटिलिटी से जुड़े आधे दर्जन से अधिक डिपार्टमेंट ने आज से करीब 20 वर्षो के दून की तस्वीर का खाका खींचा। पीडब्ल्यूडी, पेयजल निगम, जल संस्थान, यूपीसीएल, नगर निगम, एमडीडीए व पुलिस ने जैसे कई डिपार्टमेंट ने अपनी सहमति दी कि अगले 20 वर्षो के दून पर वे मॉडर्न दून के लिए डिपार्टमेंटवाइज ड्राफ्ट तैयार कर मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को सौंपेंगे। जिससे सुंदर व स्वच्छ दून सिटी की परिकल्पना साकार हो सके। लेकिन दून में लगातार आबादी की तर्ज पर बढ़ रहे सोलिड वेस्ट को लेकर आना वाला वक्त फिक्रमंद साबित हो सकता है। इस बात पर भी जोर दिया गया कि स्मार्ट दून के लिए डिपार्टमेंट के बीच कॉर्डिनेशन कमेटी का गठन हो।

आधे दर्जन डिपार्टमेंट्स जुटे

मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण अपना 36वें फाउंडेशन डे मना रहा है। थर्सडे को इस बावत हरिद्वार बायपास रोड स्थित एक होटल में प्राधिकरण की ओर से दून मास्टर प्लान 2040 को लेकर आधे दर्जन से अधिक डिपार्टमेंट को आमंत्रित किया गया। जिसमें इन डिपार्टमेंट की ओर से सुझाव आमंत्रित किए जाने के साथ ही अगले 20 वर्षो में दून की तस्वीर व चैलेंजेज पर मंथन हुआ। गढ़वाल कमीश्नर व एमडीडीए के चेयरमैन रविनाथ रमन ने वर्कशाप की अध्यक्षता की। चेयरमैन ने कहा कि 2040 की परिकल्पना के लिहाज से आज के दून में काफी गैप हैं। इसके लिए एमडीडीए के वीसी सिटी के प्लानिंग पर जुटे जुटे हुए हैं। एमडीडीए के वीसी डा। आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि अथॉरिटी ने मास्टर प्लान पर वर्क शुरु कर दिया है। सबसे बड़ी चुनौती लैंड यूज डिफाइन करने की है। जिस रफ्तार से आबादी बढ़ रही है, अगले 20 वर्षो के लिए इसको ध्यान में रखना होगा। मास्टर प्लान में बेहतर वर्क को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2040 का मास्टर प्लान नहीं, बल्कि 2041 के मास्टर प्लान पर कार्य करने के लिए कहा है। वीसी ने कहा कि सभी डिपार्टमेंट अपने प्लान तैयार करेंगे। उसके बाद तय हो पाएगा कि कितने इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पड़ेगी। कहा, जल्द ही इसके लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरु कर दिए जाएंगे। उन्होंने चेयरमैन से सभी डिपार्टमेंट को ड्राफ्ट तैयार करने के लिए निर्देश दिए जाने का आग्रह किया। इस दौरान डीएम दून सी रविशंकर ने कहा कि मास्टर प्लान के तहत आगामी 20 वर्षो में लॉ-एन-ऑर्डर की उसी तर्ज पर आवश्कता होगी। वैसे ही काम करना होगा। जिला प्रशासन जल्द ड्राफ्ट सौंपा जाएगा।

अब जितना पानी खर्च, उतना बिल

पेयजल निगम के एमडी भजन सिंह ने कहा कि वर्तमान में पानी का प्रोडक्शन डिमांड के एवज में डेढ़ गुना ज्यादा है। लेकिन अगले दो दशकों में सौंग डैम से डिमांड में कोई कमी नहीं आएगी। कोशिश की है कि मीटर युक्त सुविधा हो। जितना पानी यूज, उतना बिल। ट्रायल श्रीनगर में हो चुकी है। एमडी ने भी डिपार्टमेंट की कॉर्डिनेशन कमेटी पर जोर दिया। कहा, भविष्य में निगम डिजिटलाइनेशन के तहत डैश बोर्ड पर सूचना मिल जाएगी। कहा, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान भी डि-सेंट्रलाइज्ड किया जा रहा है। 8 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। वहीं जल संस्थान के सीजीएम एसके शर्मा ने कहा कि दून में जिन स्रोतों से पानी की सप्लाई है, वे गर्मियों में ग्राउंड वाटर लेवल कम हो जाने के कारण दिक्कत पैदा कर रहे हैं। पानी की कुछ लाइनें 70वर्ष पुरानी हैं। लाइन लीकेज में डिपार्टमेंटल परमिशन से दिक्कतें आती हैं। उन्होंने भी टैरिफ में मीटरिंग के अलावा पानी का दुप्रयोग गार्डनिंग के लिए व बजट की कमी की बात कही।

सोलिड वेस्ट बिग चैलेंज

नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने कहा कि दून में वेस्ट की सबसे ज्यादा दिक्कत है। वर्तमान में दून से 400 मीट्रिक टन वेस्ट जनरेट हो रहा है। 8.5 लाख आबादी वाले दून में अगले 20 वर्षो कितना वेस्ट जनरेट होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। कहा, शीशमबाड़ा स्थित डेंपिंग ग्राउंड की कैपिसिटी भी केवल डेढ़ वर्षो तक ही सीमित मानी जा रही है। हालांकि हिमाचल के बाघा में स्थित सीमेंट फैक्ट्री से वेस्ट के लिए बातचीत जारी है। राहत मिलने की उम्मीद है। 196 एरिया में फैले नगर निगम अगले 20 वर्षो में संभव नहीं हो पाएगा कि आम लोगों को सुविधाएं मिल पाए। इसके लिए रूरल एरियाज पर ध्यान देने की उन्होंने आवश्कता बताई।