PATNA : मिड डे मील योजना की कड़ी मानिटरिंग बिहार में सुनिश्चित की गई है। इसके बावजूद बच्चों की एकेडमिक डेवलपमेंट में अपेक्षित विकास हासिल नहीं हो सका है। यह खुशी की बात है कि बिहार देश में एक ऐसा राज्य है, जहां 7भ्000 विद्यालयों में मीड डे मील सर्विस को प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली काम कर रही है। इससे हर विद्यालय का हर दिन का डेटा उसी दिन प्राप्त हो जाता है। ये बातें इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद के शिशिर देबनाथ अपने प्रजेंटेशन के दौरान कह रहे थे। वे इंटरनेशनल ग्रोथ सेंटर 'आइजीसी' की ओर से होटल मौर्या में आयोजित बिहार ग्रोथ कांफ्रेंस के दौरान कहा। आगे उन्होंने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की एक प्रमुख गतिविधि के बतौर सरकार विश्वविद्यालय प्रबंध सूचना प्रणाली विकसित करने पर काम कर रही है।

समावेशी विकास जरूरी

इंटरनेशनल ग्रोथ कांफ्रेंस के दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहा कि विकास को समावेशी होना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वितरण संबंधी न्याय को हटाकर कोई सामाजिक न्याय नहीं हो सकता है। संसाधनों की कमी की स्थिति में उनका समान आबंटन जरूरी है। उन्होंने भारत एवं बिहार जैसे राज्य में संपत्ति और जीविका के अवसरों के मामलों में असमानता की समस्या का जिक्र किया।

मानव पूंजी का विकास जरूरी

गेस्ट ऑफ ऑनर शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय का एक ही फोकस है। इस रणनीति के अंग के बतौर बालिका शिक्षा प्राथमिकता का क्षेत्र है। यदि लड़कियां शिक्षित होंगी तो आबादी के विस्तार पर भी लगाम लगेगा। उन्होंने खुशी व्यक्त किया कि राज्य ने लड़कियों के प्राथमिक स्तर पर एडमिशन में देश में लगभग सबसे तेज विकास किया है।

मूल्यांकन है जरूरी

आम तौर पर शिक्षा की समस्या पर सरकार की ओर से संसाधन जुटाने को ही सब कुछ मान लिया जाता है। लेकिन इसके दुष्परिणाम भी हैं। इस बारे में आई नेक्स्ट से बातचीत में 'प्रथम' के रीजनल को-आर्डिनेटर संजय कुमार ने कहा कि शिक्षा के आधारभूत संरचना को यदि इनपुट के तौर पर देखा जाता है तो दूसरी ओर इस बात को भी देखना जरूरी है कि आउटपुट हमे इससे क्या और किस प्रकार का प्राप्त हो रहा है। लेकिन यह स्थिति निराशाजनक है।

जबावदेह बनाना जरूरी

'प्रथम' के रीजनल को-आर्डिनेटर संजय कुमार ने कहा कि शिक्षकों का मूल्यांकन प्राथमिकता में नहीं लिया गया है। जब बात रिजल्ट की होती है तो निराशा होती है। उदाहरण देते हुए कहा कि बीते वर्ष मैट्रिक में पास का प्रतिशत 8म् प्रतिशत था जो इस वर्ष ब्म् प्रतिशत पर आकर सिमट गया। कम से कम यह तय किया जाए कि बच्चे ठीक से पढ़ सके। शिक्षकों का सिस्टमेटिक असेसमेंट जरूरी है।

चर्चा आज

रविवार को कांफ्रेंस के दूसरे और अंतिम दिन फूड प्रोसेसिंग इनिसिएटिव पर चर्चा की जाएगी। इस टॉपिक पर आयोजित कांफेंस की अध्यक्षता बिहार सरकार के पशु एवं मत्सय संसाधन विभाग की सचिव एन। विजय लक्ष्मी करेंगी। शनिवार के कार्यक्रम में आईजीसी

-इंडिया -बिहार के कंट्री को-डायरेक्टर डॉ शैबाल गुप्ता ने गेस्ट एवं वक्ताओं का स्वागत किया।