- 'मिरैकिल आफ मीडिएशन' कार्यशाला में जुटे देश के विख्यात न्यायविद

ALLAHABAD:

जनता भी विवाद की जगह सामंजस्य चाहती है और यह मीडिएशन यानी मध्यस्थता के जरिए ही संभव है। शनिवार को एनसीजेडसीसी में पंडित कन्हैया लाल मिश्र की स्मृति में आयोजित सेमिनार में देश के जाने-माने न्यायविदों ने मीडिएशन को एक चमत्कार की संज्ञा देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में दोनों पक्ष संतुष्ट होते हैं। 'मिरैकिल आफ मीडिएशन' विषय पर आयोजित सेमिनार के मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अर्जुन कुमार सीकरी ने कहा कि आज के दौर में मीडिएशन बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस पद्धति के जरिए सालों पुराने मुकदमों को कुछ घंटों में निस्तारित किया जा सकता है।

इस प्रक्रिया को बढ़ावा देना जरूरी

जस्टिस सीकरी ने कहा कि इस प्रक्रिया को बढ़ावा देने के बावजूद वकीलों की फीस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने ऐसे कई उदाहरण पेश किए। मीडिएशन ने वह कर दिखाया जिसे कोर्ट के जरिए नहीं किया जा सकता है। सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे सुप्रीम कोर्ट के जज आदर्श कुमार गोयल ने मीडिएशन से मिल रहे लाभ की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने कहा कि देश में ऐसी कई जगहें हैं, जहां कोर्ट जाने के बजाय मध्यस्थता के जरिए विवादों का हल निकाल लिया जाता है।

झगड़े से ज्यादा सुलह की जरूरत

विशिष्ट अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ। डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह बात हमें ध्यान रखनी चाहिए कि लोगों की पसंद झगड़े से अधिक सुलह की होती है। मीडिएशन के पीछे मूल तत्व रिलेशन का होता है जबकि लिटिगेशन में हक कि बात होती है। कोर्ट के फैसले से एक पक्ष को खुशी मिलती है जबकि मध्यस्थता में दोनों पक्षों में खुशी देखी जा सकती है।

निस्तारण का सहज तरीका

केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अशोक भूषण ने भी इसे विवादों के निस्तारण का सस्ता और सहज तरीका बताया। उन्होंने कहा कि मीडिएशन में दोनों पक्षों की जीत होती है और हारता कोई नहीं। सेमिनार का संचालन हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राकेश पांडेय ने किया। बार के पूर्व अध्यक्ष एनसी राजवंशी ने अतिथियों का स्वागत किया। संयोजक संतोष कुमार त्रिपाठी ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया। सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट के पूर्व जज एपी मिश्र, जस्टिस सुधीर नारायण ने अतिथियों को स्मृति चिह्न प्रदान किए।