- शाम होते ही स्वास्थ्य केंद्रों से नदारद हो जाते है चिकित्सक,

- थोड़ी सी चोट में ट्रामा सेंटर रेफर कर दिए जाते है मरीज

- अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों पर नहीं पहुंचते चिकित्सक

BARABANKI: जिले में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। आधारभूत ढांचा की उपलब्धता के बावजूद मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। कारण साफ है कि स्वास्थ्य केंद्रों तक डॉक्टर्स पहुंचते ही नहीं हैं। सीएचसी पर सात डॉक्टर्स की तैनाती के सापेक्ष बामुश्किल एक डॉक्टर उपलब्ध रहते हैं। जेनरेटर न चलाए जाने से यहां लालटेन व मोमबत्ती के उजाले में प्रसव करवाए जाते हैं।

नहीं हैं एंबुलेंस

जिले में क्7 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है वहीं पांच दर्जन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। क्भ् सीएचसी पर प्रसूताओं को घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध हैं। क्08 की सेवा की एंबुलेंस प्रत्येक ब्लॉक में उपलब्ध है। सीएचसी स्तर पर जनरेटर उपलब्ध हैं। पीएचसी पर जेनरेटर नहीं हैं। दवा उपलब्धता का दावा है पर जिला चिकित्सालय तक में दवाएं बाजार से मरीज लाने को विवश हैं। सबसे बड़ी समस्या चिकित्सक का उपलब्ध न रहना हैं। शाम होते ही चिकित्सक स्वास्थ्य केंद्रों से नदारद हो जाते हैं। निरीक्षण में चिकित्सक अक्सर गैर हाजिर मिलते हैं।

मरीजों को भेजते है ट्रॉमा सेंटर

थोड़ी सी चोट में भी आपातकालीन कक्ष से मरीजों को ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया जाता हैं। अधिक गंभीर मरीज इमरजेंसी रूम में आ जाने से अफरातफरी की स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं।

नहीं बढ़ सकी संख्या

सरकार द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने का उद्देश्य भी सफल न हो सका। प्रसव के लिए सरकारी चिकित्सालयों में पहुंचने वाली प्रसूताओं को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाली महिला चिकित्सकों, नर्सिग स्टाफ तथा पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई। यह अव्यवस्था सरकारी हॉस्पिटल में प्रसव के लिए पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं एवं उनके परिवारीजनों को निराश करती है। आए दिन सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों के न मौजूद रहने के कारण प्रसूताओं एवं जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं के मौत के मामले प्रकाश में आते हैं। जिले में लगभग 8ब् स्वास्थ्य केंद्र स्थापित हैं जिनमें सिर्फ ख्7 केंद्रों पर महिला चिकित्सकों की नियुक्ति है। ज्यादातर प्रसव एएनएम द्वारा कराए जाते हैं। सरकार ने स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ा दी। आशा बहुओं की नियुक्ति करके प्रसूताओं को केंद्र तक पहुंचाने के लिए नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा शुरू कर दी परंतु प्रसव के लिए नितांत आवश्यक महिला चिकित्सकों, नर्सिग स्टाफ तथा पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की।

महिला चिकित्सालय बदत्तर

जिला महिला चिकित्सालय में सरकार के प्रयासों से संस्थागत प्रसव की संख्या में बढ़ोत्तरी हो गई परंतु महिला इमरजेंसी ड्यूटी चिकित्सक, नर्सिग स्टाफ तथा सफाई कर्मचारियों की संख्या जस की तस है। बढ़ते मरीज एवं घटते मानव संसाधन के कारण चिकित्सालय की चिकित्सा व्यवस्था बदहाल है। क्क्0 बेड वाले चिकित्सालय में प्रतिमाह लगभग 700 प्रसव होते हैं। चिकित्सकों की लापरवाही अक्सर सामने आती हैं।

बाहर से हो रहे हैं टेस्ट

संसाधनों के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाना मुश्किल हो रहा है। जिला चिकित्सालय से अधिकांश रोगियों को लखनऊ रेफर कर अपना पीछा छुड़ाने की कोशिश की जाती है। हृदय रोगियों की बदहाली आज भयावह रूप ले चुकी है। इसके अलावा रोगियों की जांच की व्यवस्था होने के बावजूद चिकित्सक बाहर से जांच कराने की बात कहते हैं। जिला चिकित्सालय में हृदय रोगियों के लिए आईसीयू कक्ष, टू डी ईको कक्ष, व एक जनरल वॉर्ड है। हृदय रोग से संबंधित मरीजों की संख्या ओपीडी में प्रतिदिन सत्तर से अस्सी है पर भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या नगण्य रहती है। यहां पर बर्न वार्ड बना है पर अधिकांश मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। ऑपरेशन की सुविधाएं मौजूद है। जिला चिकित्सालय में एक्सरे व अल्ट्रासाउंड मशीन के अलावा पैथोलॉजी जांच की सुविधा भी है पर कुछ चिकित्सक यहां के बजाए बाहर से जांच कराने के लिए लिखते हैं। मरीजों को जांच के नाम पर लंबा खर्च वहन करना पड़ता है।