-राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 में हुआ खुलासा

-पौष्टिक आहार न मिलने से प्रभावित होता है बच्चों का स्वास्थ्य

तमाम कोशिशों के बाद भी स्मार्ट सिटी के नौनिहालों का वजन उसकी उम्र से कम है। यहां महज 55 फीसदी बच्चों को ही जन्म से पांच वर्ष तक पर्याप्त आहार मिल पाता है, जबकि 46 फीसदी बच्चे इससे वंचित रहते रह जाते हैं। इससे भी खराब हालत ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की है। यह हम नहीं नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 की रिपोर्ट कह रही है। रिपार्ट के मुताबिक बनारस में किसी बच्चे का वेट उनकी लंबाई के मुताबिक नहीं है तो किसी की लंबाई उसकी उम्र और वजन के हिसाब से नहीं है।

चिंताजनक हैं ये आंकड़े

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक जिले में छह से 23 महीने तक के करीब 4.5 फीसदी बच्चों को ही पर्याप्त आहार मिल पाता है। इस वजह से पांच वर्ष तक के करीब 46 फीसदी बच्चों की लंबाई उसकी उम्र के मुताबिक नहीं बढ़ पाती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि करीब 25 फीसदी बच्चे कम वजन के शिकार हैं। वहीं आठ प्रतिशत बच्चों की उसकी उम्र से बेहद कम वजन पाया गया है।

सिर्फ 5 प्रतिशत बच्चों को आहार

अगर पूरे प्रदेश की बात करें तो यूपी में 6 से 23 महीने तक के 5.3 फीसदी बच्चों को ही पर्याप्त आहार मिल पाता है। एक्सपर्ट की माने तो पर्याप्त आहार नहीं मिलने से जहां बच्चे तमाम बीमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं। वहीं उनका शारीरिक विकास भी ठीक से नहीं हो पाता है। ऐसी हालत तब है जब स्वास्थ्य विभाग बच्चों के आहार को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है।

पोषण ख्याल रखना जरुरी

चाइल्ड स्पेशलिस्ट की माने तो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए शुरू के एक हजार दिन (प्रेगनेंसी के 270 और जन्म के बाद दो साल) तक 730 दिन बेहद अहम होते हैं। इस दौरान बच्चों के पोषण का खास ख्याल रखना जरुरी होता है, क्योंकि सही पोषण से बच्चे संक्रमण, विकलांगता, अन्य बीमारियों की चपेट में नहीं आते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए डीडीयू हॉस्पिटल में (एनआसी) न्युट्रिशन रिहैबिलेशन सेंटर खोला गया है। जहां 5 साल तक के ऐसे बच्चों को एडमिट कर इलाज किया जाता है।

मिलता है पर्याप्त आहार

बच्चों को पर्याप्त आहार नहीं मिलने के चलते मानसिक या शारीरिक दुर्बलता होती है। एनआरसी में बच्चों के साथ उनकी मां को भी पौष्टिक आहार दिया जाता है। इसके अलावा बच्चों के उचित पोषण को लेकर जागरूकता के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये मां और फैमिली को पोषण, स्वच्छता और पुष्टाहार आदि की जानकारी दी जाती है।

फैक्ट फाइल

54

फीसदी बच्चों को ही मिलता है ठीक आहार

46

फीसदी बच्चे आज भी है पौष्टिक आहार से वंचित

5.3

फीसदी 6 से 23 महीने तक के बच्चों को ही मिल पाता है पर्याप्त आहार

8.1

फीसदी बच्चों की लंबाई की तुलना में कम है वजन

25

फीसदी बच्चों का लंबाई के मुताबिक कम बढ़ता है वजन

45 फीसदी बच्चे कम वजन के है शिकार

37.3

प्रतिशत 6 से 8 माह के बच्चों को ही मिल पाता है सॉलिड फूड और मां का दूध

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बच्चों के पोषण को लेकर संबंधित अधिकारियों को निरीक्षण के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा आशाओं को घर-घर जाकर लोगों में जागरुकता लाने के साथ बच्चों को दिए जाने वाले पौष्टिक आहारों की जानकारी देने के लिए कहा गया है।

-डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ