- स्वास्थ्य विभाग मरीजों की दवा में ही कर रहा 'खेल'

- बड़ी मात्रा में प्रदेश भर में होनी हैं सप्लाई

LUCKNOW: स्वास्थ्य विभाग में घटिया दवा कंपनियों को टेंडर देने का खेल जारी है। ऐसी ही एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी को दर अनुबंध जारी करने की शिकायत सीएम से की गई है। यह कंपनी पहले से ही केरल में घटिया और नकली दवाएं सप्लाई करने के कारण ब्लैक लिस्ट की जा चुकी है। लेकिन, यूपी में पड़ताल किए बिना ही उसे टेंडर जारी कर दिया गया।

तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड

शिकायत कर्ता रामा शंकर शुक्ला ने आरोप लगाया है कि जी लैबोरेटरीज हिमांचल प्रदेश को केरला मेडिकल सर्विसेज कारर्पोरेशन ने 5 फरवरी 2016 को तीन साल के लिए काली सूची में डाला है। इस कंपनी को टेंडर नहीं दिए जा सकते। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग ने जी लैबोरेटरीज से टेबलेट पियोग्लिटाजोन, टेबलेट डेफलेजाकार्ट व अन्य के लिए दर अनुबंध (आरसी 714) किया है। पूरे प्रदेश के जिलों में सीएमओ व सीएमएस के माध्यम से ये कंपनी दवाएं सप्लाई करेगी।

सख्त हैं गवर्नमेंट की गाइडलाइंस

टेंडर की शर्तो में साफ लिखा है कि कोई भी ब्लैक लिस्ट फर्म टेंडर प्रक्रिया में शामिल नहीं की जा सकती। फर्मों को ऐसा एफीडेविट भी देना होता है कि कोई कोर्ट केस, विजिलेंस केस, सीबीआई केस उन फर्मो या उनके डायरेक्टर के खिलाफ पेंडिंग नहीं है। एफीडेविट झूठा या नकली पाया जाता है तो सरकार कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई कर सकती है।

पिछले वर्ष भी पकड़ी थी गड़बड़ी

स्वास्थ्य विभाग ने पिछले वर्ष भी दागी फर्मो को दवाएं सप्लाई करने का ठेका दे दिया था। आरसी जारी करने से पहले सीएमएसडी अधिकारियों ने सभी कंपनियों के प्रमाणपत्रों की जांच कर चहेती फर्मो से आरसी की लिस्ट शासन को भेज दी। बाद में प्रमुख सचिव ने महानिदेशालय के अधिकारियों का गोरखधंधा पकड़ लिया और सभी कंपनियों को नोटिस जारी करने के आदेश दिए। एक के बाद एक 50 से अधिक फर्मो को नोटिस जारी किए गए जिसमें लगभग 42 से अधिक दागी फार्मो द्वारा झूठे हलफनामे दाखिल करने की बात सामने आई थी। सभी को नोटिस देने के बाद कार्रवाई की बात कही गई, लेकिन किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। नियम कानून को ताक पर रखकर स्वास्थ्य विभाग ने उन्हीं कंपनियों को दवा खरीद के लिए आरसी जारी कर दी।

हर साल 400 करोड़ की दवाएं

प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग हर साल लगभग 400 करोड़ की दवाएं व एक्विपमेंट खरीदता है। जिसके लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय स्थित सीएमएसडी के द्वारा टेंडर निकाले जाते हैं और रेट कॉन्ट्रैक्ट किया जाता है। इसके आधार पर ही जिलों में सीएमओ, सीएमएस दवाओं, एक्विपमेंट की खरीददारी करते हैं। इस साल भी ऐसे ही रेट कांट्रैक्ट की प्रक्रिया बड़े स्तर पर की जा रही है।