Meen Sankranti 2020 : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस पृथ्वीतल सम्पूर्ण विश्व में प्राणिमात्र को जीवनदायिनी शक्ति का अक्षय स्त्रोत सम्पूर्ण वस्तुजात के परम प्रकाशक भगवान सूर्य हैं। अखिल काल गणना इन्ही से होती है। दिन एवं रात्रि के प्रवर्तक ये ही हैं।प्राणिमात्र के जीवनदाता होने के कारण इन्हें विश्व की आत्मा कहा गया है।" सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च"। चाहे नास्तिक हो या आस्तिक, भारतीय हो या अन्य देशीय, स्थावर जंग में सभी इनकी सत्ता स्वीकार करते हैं तथा इनकी ऊर्जा से ऊर्जावान् हो अपने दैनन्दिन कृत्य में प्रवृत्त होते हैं। भगवान सूर्य की महिमा का वर्णन वेद( संहिता, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद्) आर्ष ग्रन्थ (रामायण, महाभारत,पुराण आदि) सभी करते हैं। उन भगवन् प्रत्यक्ष देवता सूर्य की उपासना प्राणिमात्र को करनी चाहिये क्योंकि आराधना के आराध्यस्थ दिव्य गुणों का संक्रमण आराधक में भी अवश्य होता है। इसलिये आस्तिकों में लोक कल्याण की भावना रूप दैवी गुण सर्वाधिक होता है। सूर्य से ही दिन, रात, लग्न, ऋतु, अयन, वर्ष, तथा युगादि निर्णीत होते हैं।

इसी प्रकार गुरु को भी ज्योतिष शास्त्र में मंत्री, पुरोहित तथा ज्ञान एवं सुख का कारक माना गया है। गुरु पुत्र, पति, पत्नी, धन, धान्य का भी कारक है। सूर्य की राशि में गुरु हो तथा गुरु की राशि में सूर्य मौजूद कर रहा हो तो उस काल को 'गुर्वादित्य' नाम से जाना जाता है जो समस्त कार्यों के लिए वर्जित माना गया है।

यथा- रविक्षेत्र गते जीवे जीवक्षेत्र गते रवौ।

गुर्वादित्यः स विज्ञेयः गर्हितः सर्वकर्मसु।।

वर्जयेत्सर्वकार्याणि व्रतस्वत्यनादिकम्।।

इसी प्रकार सिंह राशि में गुरु के होने पर सिंहस्थ दोष माना जाता है। जो कि विवाह आदि कार्यों मे वर्जित है। अतएव जब सूर्य गुरु की राशियों मे होता है तब सूर्य के प्रताप से गुरु की राशि धनु एवं मीन निर्बल हो जाती है अतएव इस स्थिति में किया गया शुभ कार्य निष्फल हो जाता है अथवा अपूर्ण रह जाता है।

- ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश प्रसाद मिश्र