मेरठ की रैंकिंग

2019 - 286

2018 - 326

2017 - 339

टॉप 100 में भी नही हो सका शामिल

100 के दावे के बावजूद 286 रैंक पर मेरठ

62 छावनियों में दूसरे नंबर पर रहा मेरठ कैंट

Meerut। नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही और खोखले दावों की वजह से मेरठ स्वच्छता सर्वेक्षण में एक बार फिर फिसड्डी रह गया। नगर निगम अधिकारियों ने इस बार दावा किया था कि मेरठ इस बार स्वच्छ शहरों की सूची में टॉप 100 में रहेगा, लेकिन ऐसा नही हो सका। यही नहीं मेरठ नगर निगम टॉप 200 में भी अपनी जगह नही बना सका। मेरठ को इस बार 286वें नंबर से संतोष करना पडा। वहीं अपनी इस असफलता को छुपाने के लिए नगर निगम के आला अधिकारी बुधवार को कार्यकारिणी की बैठक में शहर के विकास की चिंता करने में लगे रहे।

40 अंकों का हुआ इजाफा

मेरठ नगर निगम तीसरी बार इस स्वच्छता सर्वेक्षण में शामिल हुआ है। साल 2017 में मेरठ को 339 रैंक मिली थी उसके बाद 2018 में 326 रैंक के बाद साल 2019 में मेरठ को टॉप 100 में शामिल होने की उम्मीद थी। लेकिन टॉप 100 के लिए निगम के प्रयास नाकाफी साबित हुए और इस बार भी मेरठ को मात्र 40 रैंक की बढ़ोतरी के साथ 286 रैंक से संतुष्ट होना पड़ा।

दावों तक रहे सीमित

गत वर्ष शुरु हुए स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 के लिए मेरठ नगर निगम आला अधिकारियों ने सफलता के दावे पूरे किए। उन दावों के अनुसार काम शुरु भी किया जिनमें कंपोस्टिंग यूनिट, ओडीएफ और डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की शुरुआत शहर में हुई। लेकिन शुरुआत में जोश के साथ शुरु हुई यह योजनाएं साल के अंत तक आते आते डंप हो गई। शहर के 90 वार्डो का डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन मिला, न शहर वास्तव में ओडीएफ हो सका और कंपोस्टिंग प्लांट तो अनदेखी के कारण कूडे़दान ही बन गए।

मानकों की अनदेखी

निगम की हार या विफलता का एक सबसे बड़ा कारण रहा कि नगर निगम सालभर में शहर के कूडे़ के निस्तारण का ही विकल्प या उपाय नही ढूंढ सका। 80 से अधिक कूड़ा कलेक्शन गाडि़यों को खरीद कर अपनी वाहवाही लूट ली लेकिन उन गाडि़यों का भी लाभ सभी वार्डो को नही मिल सका। शहर में अस्थाई खत्तों से लेकर मिनी कूडे़ दान साल भर कूडे़ से भरे रहे। नालों में गंदगी सिल्ट का अंबार लगा रहा लेकिन निगम बंद आंख से शहर को साफ कहने में जुटा रहा।

पड़ोसी जिलों ने मारी बाजी

मेरठ भले ही टॉप 100 में शामिल न हो सका हो लेकिन मेरठ के पड़ोसी जिलों ने टॉप 100 में जगह बनाकर मेरठ निगम को शर्मिंदा कर दिया। इसमें गाजियाबाद यूपी में प्रथम और देश में 23वें नंबर पर रहा, जबकि सहारनपुर 92वें नंबर पर रहा।

कैंट बोर्ड ने बचाई लाज

नगर निगम भले ही शहर को साफ सुथरा रखने में विफल हो गया हो लेकिन मेरठ कैंट ने अपने क्षेत्र को चमका कर मेरठ की लाज बचा ली। देश की 62 छावनियों में मेरठ छावनी स्वच्छता सर्वेक्षण में दूसरे स्थान पर रही। मेरठ छावनी के पार्षद और आला अधिकारियों की यह मेहनत थी कि बिना शोर मचाए मेहनत से छावनी को इस कदर साफ कर दिया कि वह देश में दूसरे नंबर पर आ गई।