हम किस्मत वाले हैं, हम मेरठ वाले हैं। क्रांति धरा के वाशिंदे। जंग-ए-आजादी की लौ जलाने वाली धरती। 10 मई 1857 को पहले स्वतंत्रता संग्राम की जोत जलाने वाले शहीदों को आइए आज हम सब नमन करते हैं।

सूरजकुंड पार्क में एक साल का तिरंगा

पिछले साल आज (10 मई) ही के दिन सूरजकुंड पार्क में तिरंगा लहराया गया था, जो हर पल हमें आजादी की लड़ाई पर गर्व की याद दिलाता है।

41 मीटर - तिरंगे के पोल की ऊंचाई

20 फीट - ध्वज की चौड़ाई

30 फीट - ध्वज की लंबाई

21 लाख - प्रोजेक्ट की लागत

आज छुट्टी - आज क्रांति दिवस तो नहीं, हां बुद्ध पूर्णिमा पर अवकाश घोषित किया गया है। स्कूल और दफ्तर बंद रहेंगे।

क्या हुआ था

857 में अंग्रेज सेना की तीन रेजीमेंट मेरठ में तैनात थीं। 10 मई 1857 को तीनों रेजीमेंटों के हिन्दुस्तानी सैनिकों ने खुली बगावत का झंडा उठा लिया। शाम 5 बजे गिरजाघर का घंटा बजते ही उन्होंने कोर्ट मार्शल के बाद विक्टोरिया पार्क जेल में बंद अपने 85 सैनिकों को आजाद कराया और दिल्ली की ओर कूच कर दिया। 11 मई को दिल्ली पहुंचकर नाम मात्र के अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा दिया। मेरठ में क्रांति की यह ज्वाला पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में मंगलपांडे के विद्रोह के बाद भड़की थी, जो कारतूस में गाय की चर्बी सामने आने पर भड़का था। मंगल और इसूरी पांडे को फांसी के बाद मेरठी सैनिक का खून खौल उठा और इसके बाद यह क्रांति थामे नहीं थमी।

जश्न मना लें

शाम 6 बजे : आजादी के लोक रंग, लोक गायिका मालिनी अवस्थी के साथ। यूनिवर्सिटी के सुभाष चंद्र बोस ऑडिटोरियम में